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R B SAINI रिपोर्टर

राजतंत्र #शायरी

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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "

लोकतंत्र वो समूह होते हैं
जो राजशाही और
तानाशाही से बेहतर होते हैं

©Anushi Ka Pitara #लोकतंत्र #तानाशाही #राजतंत्र 

#PulwamaAttack

Divyanshu Pathak

न्यायतंत्र और प्रशासन की पोल तो इसी बात से खुल जाती है कि-लोग आज़ादी के इतने सालों बाद भी बहन बेटी का कोर्ट कचहरी या थाने जाना शर्म की बात समझा जाता हैं।गाँव देहात का पुरुष वर्ग भी अधिकारियों पर भरोसा नहीं करता।भारतीय समाज ने कभी इस तंत्र को स्वीकार नहीं किया।वे गाँव की पंचायतों को आज भी अदालतों से अधिक भरोसेमंद और सुरक्षित मानते हैं।इसका एकमात्र कारण तंत्र का बेईमान होना है।हम समाज को बहुत कम ईमानदार और कर्मनिष्ठ सेवक दे पाए हैं।हमारी शिक्षा ने कर्मचारियों को धन इकट्ठा करने का जुगाड़ लगाने वाला बनाया है।वे हर हाल में बस कुछ ले-दे कर मामला निपटाने के तरीके ढूंढते हैं।जब कुछ मिलने की उम्मीद नहीं होती तो 'मामला' तंत्र को सौंप दिया जाता है।तंत्र भी विक्टिम से पैसे निचोड़ने का काम करता है। #पाठकपुराण #yqdidi #yqhindi #न्याय #राजतंत्र #अदालत #अधिकारी

राणु जांगिड़...

आज का राजतंत्र ्

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फैसला लिखा हुआ होता है
 पहले से जनाब,
आप क्या खाक गवाह दोगे
 अदालत में। आज का राजतंत्र





्

हरीश वर्मा हरी बेचैन

माला पहन के घूमना अच्छी नहीं बात! जमानत ही है मिला नहीं फैसला आज! धन कुबेर कैसे बने बतला दो तुम राज! राजतंत्र ये है नहीं लोकतंत्र है आज! हरी

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माला पहन के घूमना अच्छी नहीं बात!
जमानत ही है मिला नहीं फैसला आज!
धन कुबेर कैसे बने बतला दो तुम राज! राजतंत्र ये है नहीं लोकतंत्र है आज!
हरीश वर्मा माला पहन के घूमना अच्छी नहीं बात!
जमानत ही है मिला नहीं फैसला आज!
धन कुबेर कैसे बने बतला दो तुम राज! राजतंत्र ये है नहीं लोकतंत्र है आज!
हरी

ck bable

राजा महराजाओं से हमने संपत्ति छीना उसके राज्य को मिलाया, लोकतंत्र लाया ये क्या ! फिर से वही होना शुरू हो गया है, देश की संपत्ति नीजि हाथों

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राजा महराजाओं से हमने संपत्ति छीना
उसके राज्य को मिलाया, लोकतंत्र लाया
 ये क्या !
फिर से वही होना शुरू हो गया है,
देश की संपत्ति नीजि हाथों में सौपी जा 
रही है, क्या फिर से राजतंत्रवादी व्यवस्था 
का आभास नहीं होगा ?









ं

©ck bable राजा महराजाओं से हमने संपत्ति छीना
उसके राज्य को मिलाया, लोकतंत्र लाया
 ये क्या !
फिर से वही होना शुरू हो गया है,
देश की संपत्ति नीजि हाथों

Adv Di Pi Ka

#happy_international_democracyday मैं वस्तुतः नहीं जानती जनता कितना शासन करती हैं, परन्तु भारत में प्रजातंत्र होने का मतलब यह तो नहीं हैं कि

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शासन जनता का,
जनता के लिए,
जनता द्वारा 
शासित हैं!
-अब्रहिम लिंकन #happy_international_democracyday
मैं वस्तुतः नहीं जानती जनता कितना शासन करती हैं,
परन्तु भारत में प्रजातंत्र होने का मतलब यह तो नहीं हैं कि

सुसि ग़ाफ़िल

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। इंसान रोका जाएगा तुम तूफान को कैसे रोक पाओगे , उदय होते हुए सूरज को तुम कभी नहीं झुक

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इंसान रोका जाएगा तुम तूफान को कैसे रोक पाओगे ,
उदय होते हुए सूरज को तुम कभी नहीं झुका पाओगे।

रक्त का कतरा - कतरा जब सोलहों से बढ़कर होगा ,
आजादी का नारा तब सबके सिर मथे चढ़कर होगा।

धरती के इस छोर से उस छोर तक जो नाम की गूंज जाएगी,
शक्ति दे हमें भारत माता अब तेरी लाज बचाई जाएगी।

कफन बांधकर सिर पर अब निकला एक परवाना है ,
देखते ही उसको पता चले यह भारत मां का दीवाना है।

तानाशाह और राजतंत्री सब इसके आगे झुकते थे ,
देखा हमने बड़े-बड़े तूफान भी इसके आगे रुकते थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

इंसान रोका जाएगा तुम तूफान को कैसे रोक पाओगे ,
उदय होते हुए सूरज को तुम कभी नहीं झुक

Nadbrahm

सिर्फ इस लिए कुछ न बोलूं की किसी को बुरा लग जायेगा तो इस चुप्पी की देश को बड़ी कीमत चुकानी होगी। दिल्ली के पास जिसका घर है या जिसके हाथ तलवा #विचार #सिंघुबॉर्डर #किसन_के_भेष_में

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भांड में जाए वह लोकतंत्र जो असुरों को पोषित करता है आजादी के नाम पर

©BK Mishra सिर्फ इस लिए कुछ न बोलूं की किसी को  बुरा लग जायेगा तो इस चुप्पी की देश को बड़ी कीमत चुकानी होगी। दिल्ली के पास जिसका घर है या जिसके हाथ तलवा

यशवंत कुमार

#dilkibaat #dilkikalamse #hindustan #communalharmony #dirtypolitics #leadersofindia #democracy कौन सुनेगा अकड़ में? बिखरा है हिंदुस्तान

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कौन सुनेगा अकड़ में?

बिखरा  है  हिंदुस्तान  वहाँ,   बँटे  हैं  भगवान जहाँ,
एकता,सद्भाव की बातें, आती अब किसे रास यहाँ?
               लोकतंत्र  हमारे देश का ; आज  है जाति, धर्म  का दास बना।
               सादे लिबास की आस्तीनों में है, नफ़रत का खंजर खून सना।
सोने, चाँदी  हो  गए महँगे,  और  सस्ती  हो  गई  जान  यहाँ,
मरघट जाने को आतुर दिखता है, सड़कों पर हिंदुस्तान यहाँ।
               लोकतंत्र  को  राजतंत्र,  बनाने का  चल रहा है खेल,
               फतवे पर फतवे होते हैं, नहीं होती है किसी को जेल,!
इंसानों की मति  मारी गई है;  मंदिर, मस्जिद  के  चक्कर में ,
कोरोना ने बता दी है सच्चाई, पर कब कौन सुनेगा अकड़ में?
               कितने आए कितने चले गए, और आगे भी आना-जाना है,
               जब दिखता नहीं खुली आँखों से, व्यर्थ अलख जगाना है।
अभी भी समय है गर चेते हम, भविष्य भी सुधर भी जाएगा,
और जो ज्यादा अकल दिखाई, सब चला  अधर में जाएगा।
               सियासतदान करें सियासत, उनकी नब्ज़ टटोलें हम,
               उनकी कथनी और करनी में, मिलकर अंतर तोलें हम।
एक कुर्सी और थोड़ी-सी शान ,और उनका क्या जाएगा?
समझ सके न हम जो खेल, कहीं इंसान नजर ना आएगा।
               छोटी- सी हमारी जिंदगी है, लड़-मरकर हासिल होगा क्या?
               अपनी खुद की खैर नहीं है, तू पुश्तों का करने चला भला,!! #dilkibaat #dilkikalamse #hindustan #communalharmony #dirtypolitics #leadersofindia #democracy 
कौन सुनेगा अकड़ में?

बिखरा  है  हिंदुस्तान
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