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Sanjay Singh
Hame kya pata Jisko Hamdard sunaye ge wahi Hame darrd de jayege ©Sanjay Singh singh sanjay
Jashvant
दीप जिस का महल्लात ही में जले चंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले वो जो साए में हर मस्लहत के पले ऐसे दस्तूर को सुब्ह-ए-बे-नूर को मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता मैं भी ख़ाइफ़ नहीं तख़्ता-ए-दार से मैं भी मंसूर हूँ कह दो अग़्यार से क्यूँ डराते हो ज़िंदाँ की दीवार से ज़ुल्म की बात को जहल की रात को मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता फूल शाख़ों पे खिलने लगे तुम कहो जाम रिंदों को मिलने लगे तुम कहो चाक सीनों के सिलने लगे तुम कहो इस खुले झूट को ज़ेहन की लूट को मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता तुम ने लूटा है सदियों हमारा सुकूँ अब न हम पर चलेगा तुम्हारा फ़ुसूँ चारागर दर्दमंदों के बनते हो क्यूँ तुम नहीं चारागर कोई माने मगर मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता ©Jashvant दस्तूर Jaimal Singh Rajput Sadma qureshi Anshika Gangwar Anisha Rawat Monika
Author Rupesh Singh
White चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥ ©R. k. singh #ramnavmi #jai_shree_ram Ashish Singh Sanju Singh Adarsh Thakur pratibha Singh thakur Jagsir Singh
Jashvant
Life Like हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का निहायत ग़म है इस क़तरे को दरिया की जुदाई का असीर ऐ दोस्त तेरे आशिक़ ओ माशूक़ दोनों हैं गिरफ़्तार आहनी ज़ंजीर का ये वो तिलाई का त'अल्लुक़ रूह से मुझ को जसद का ना-गवारा है ज़माने में चलन है चार दिन की आश्नाई का फ़िराक़-ए-यार में मर मर के आख़िर ज़िंदगानी के रहा सदमा हमेशा रूह ओ क़ालिब की जुदाई का हुई मंज़ूर मुहताजी न तुझ को अपनी साइल की बनाया कासा-ए-सर वाज़गूँ कासा गदाई का नज़र आती हैं हर-सू सूरतें ही सूरतें मुझ को कोई आईना-ख़ाना कार-ख़ाना है जुदाई का विसाल-ए-यार का वा'दा है फ़र्दा-ए-क़यामत पर यक़ीं मुझ को नहीं है गोर तक अपनी रसाई का भरोसा आह पर हरगिज़ नहीं ऐ यार आशिक़ को शिकार अब तक कहीं देखा नहीं तीर-ए-हवाई का दिखाया हुस्न से एजाज़-ए-मूसी किल्क-ए-क़ुदरत ने यद-ए-बैज़ा बनाया चूर अंगुश्त-ए-हिनाई का नहीं मिटती है पत्थर की लकीर अहबाब कहते हैं रहेगा पा-ए-बुत पर नक़्श अपनी जब्हा-साई का शिकस्त-ए-ख़ातिर-ए-अहबाब होती है दुरुस्त इस से तवज्जोह में तिरी ऐ यार असर है मोम्याई का दिल अपना आईना सा साफ़ इश्क़-ए-पाक रखता है तमाशा देखता है हुस्न इस में ख़ुद-नुमाई का कफ़-ए-अफ़्सोस मलवाती है तेरी पाक-दामानी पिन्हा कर शाहिद-ए-इस्मत को जामा पारसाई का नहीं देखा है लेकिन तुझ को पहचाना है 'आतिश' ने बजा है ऐ सनम जो तुझ को दावा है ख़ुदाई का ©Jashvant Gazal Raj Guru Arun Raina ADV.काव्या मझधार Jaimal Singh Rajput Mahira Khan. shayri lover
Aadil khan
White मोहब्बत कभी स्पेशल लोगों 🔸से नहीं होती, जिनसे होती है वही #स्पेशल बन जाते हैं।। ©Aadil khan #Couple Ruhi indu singh Kajalife.... yashomitra singh Shalvi Singh