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Rajendra Jakhad
आवश्यकता से अधिक चिंता का चिंतन मनुष्य की ऊर्जा,कौशल और क्षमता के लुप्त होने का कारण बनता है..! ©Rajendra Jakhad #चिंता का चिंतन#..
Ek villain
भारतीय हिंदी साहित्य के शुक्ला पुरुष रामवृक्ष बेनीपुरी का चिंतन वाले का आदित्य माना जाता है राष्ट्रीय निर्माण और समाज संगठन पर आधारित उनकी रचनाओं की आज भी बड़ी प्रसन्नता है रामवृक्ष बेनीपुरी में हिंदी साहित्य जगत को सम्राटों के भरपूर निधि दी गई आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके हृदय स्पर्शी मरण करीम 8 मील का पत्थर पर आज का सत्ता मसा भेजो पहली बार 1956 में प्रकाशित हुआ था मील के पत्थर में बेनीपुरी में उन्होंने जीवन को प्रभावित करने वाले भारतीय वैश्विक नेता प्रभावशाली हस्तियों महापुरुष और चिंतकों को उन्हें के जनों के परिणाम घोषित करने की कोशिश की है वर्ष 2017 में जगह दी गई है विभिन्न विभागों में महात्मा गांधी शब्दों में राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के कलाकार विश करने की कोशिश करते हैं उन्होंने वरुण करते हुए देखा है उनकी रचनात्मक और दो निशान भाई अपनी सोचा का अर्थ वितरित की दृष्टि से बचने का जतन किया शायद इसीलिए इतने साल बीत जाने के बाद रचनाकारों की स्थापना पड़ता नहीं और महत्वपूर्ण जान पड़ती है फिर वह ब्राह्मणों पर लिखते समय उन्हीं की आत्मकथा का वाक्य में प्रयोग करते हुए साधारण में आत्म निवेदन की परिक्रमा समझते हैं वे मानते हैं कि ब्राइडल सोने अपनी भाषा शैली का एक नया युग बनाते हुए रचनात्मक लोकप्रियता से खुद को निरपेक्ष रखकर सदा अपने को अर्पित रखा महात्मा गांधी पर उनके आत्महत्या का कुर्ता और है वे लिखते हैं कि सादगी में तुम कितने महान हो यह क्या इसका एहसास तुम कभी होता है ©Ek villain #साहित्य और चिंतन के सहकार की माननीय छवियां #Moon
Ajay Shastri
सुलझी हुई सी किताब समझते है लोग मुझे... कोई जानता नहीं की उलझा हुआ सा मुझ में कोई और भी है... ©Ajay Shastri चिंतन मेरे दिल का
Author kunal
मैं चिंतन करता हूं सिर्फ इस धारणा को प्रधानता दे या इसे मेरे विलक्षण भाव के साथ जोड़ के आप मुझे लेखक कहेंगे तो साहित्य की दृष्टी से ये पूरी तरह खारिज होगा मैं कवि हूं इसलिए क्योंकि मैं अपने अंतर्मन में चल रहे विचारों को खुद तक सीमित नहीं रखता हर किसी के मनोबल तक स्याही और पन्नों के सहारे पहुंचाता रहता हूं मैं कवि हूं क्योंकि मेरे अंदर बदलाव लाने के लिए विलक्षण शक्ति का स्रोत है और यही स्रोत यही शक्ति मुझे कवि का ओहदा प्रदान करती है । एक कवि की बस इतनी ही आकांक्षा होती है कि उसकी लिखी कविता से दूसरों का मन शांत और विचारों में डूब जाए उनका मन मोह ले उनकी कविता से किसी के विचारों में बदलाव आ जाए बुझे हुए मन में उम्मीद की एक ज्योति जल उठे और सही मायने में कवि वही है जो अपनी स्याही के दम पे बदलाव ला सकता है मृत अवस्था को जीवित कर सकता है असल में वही कवि है । #मेरे_जज्बात008 #साहित्य #कवि पे चिंतन #प्रेमी_मन #हकीकत #yqdidi #yqbaba #kunu
Aditya Gupta
किस कवि की है ये कल्पना कौन उसका शिल्पकार है। साँवले पन की मलिनता में प्रस्फुटित अद्भुत श्रृंगार है। मृगनयनी, मृदुभाषिणी, गजगामिनी ,राका यामिनी सी, ये किस चित्रकार की है रचना ये किसका शाहकार है। ये कंचुकी कसी कसी सी कुंतल परस्पर फँसी फँसी सी, लहराता, बलखाता बदन है या सम्पूर्ण तन मंझधार है। रस खान है या पग-हाथ रस हैं या है काव्य बना रस, अंग अंग के किरणों से निकलती नव रस की बौछार है। उन्मादित रास रंग में धड़कन में गुंजित मंजीरा मृदंग में, स्त्री है या ये ईश्वर द्वारा निर्मित कल्पनातीत चमत्कार है। आदित्य गुप्ता गरियाबंद छतीसगढ़ आदित्य का साहित्य
Aditya Gupta
ख्वाहिश थी जिसे बहार की वो चमन देखता रहा। तलाश थी जिसे खुशी की वो भी धन देखता रहा। मगर मैं अपने ही प्यार को ढूंढने निकला सुबह से, टूटते रिश्ते और नाते मेरे मैं दफ़्अतन देखता रहा। किसी का भी हो हर ख्वाब तो कभी पूरा नहीं होता, ख्वाबों में भी ख्वाबों का उजड़ा गुलशन देखता रहा। दिन भी कयामत का आ गया एक रोज आख़िरश, वो लिबास देखते रहे मैं अपना कफ़न देखता रहा। ज़िन्दगी क्या है समझ ना पाया"आदित्य"महशर तक, अपनी मौत को बनाकर मैं अपनी दुल्हन देखता रहा। आदित्य का साहित्य