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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
New Year Resolutions तरुः यथावत् तिष्ठति, कदापि परिवर्तनं न करिष्यति हिन्दी अनुवाद तरु जैसी है वैसी ही रहेगी खुद को कभी बदलने ना देगी ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु २०२४ के अध्याय को अलविदा २०२५ के अध्याय का आरंभ #wellwisher_taru #नववर्ष #Nojoto #Poetry #Life #कवितावाचिका #संस्कृत #newyearresolution
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White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreShailendra Anand
रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,, वार बुधवार समय सुबह पांच बजे ्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में, एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ््् ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ् वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है, देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,, ्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,, यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ् मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में, रौवे जींव जगत का मैला ढोने लाग्या रै््।।1।। ।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,, थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में, सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।। चौरासी लख जणम जोणि में,, पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।। माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे , माखण मिश्री की मटकी फोड़ी, ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से , माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।। तण मण जोगण बरसाणा में,, लागी लगण राधिका श्याम में।।5।। मण धण में जींव म्हारो घट में,, लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।। मण आंन्दणो जाणो माणो,, गौरक्षधामणो में पंछी बणके, रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।। प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,, चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 4, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 3 दिसम्बर 2024 वार मंगलवार समय सुबह दस बजे ््भाव रस से भावचित्र ्् ्निज विचार ् ्््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम इस नश्वर शरीर में प्राण वायु और पंचतत्व से बना हुआ प्राणतत्व में माया मोह में फंसे हुए जीवन में कर्मलीला कर्मशील नायक बम्हदेव वरदानित भाव है क्या देव असुर, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, मनुज देह है प्राण गंवाए है मारिच असूर सर्वग्य भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं ब़म्हकर्मसाक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है ्् ््् ,,निज मानस स्वरचित है भावचित्र स्वज्ञान है,, ़्् कंचन मृग मारिच असूर,मन हरण, सियाजानकी रघुराज लीला करत ,मारिचप्रान अधार करंहि,, लखन राम राम उच्चारण ही हरण,शरण, दासहनुं््यमदूत शोकविनाशमं काल है,।। छल माया मोह ््मद सब धर्मों में, भेद नहीं भाव नहीं है, सब कर्म भूमि पर जातक जींवजीवाश्म प्राणी में , प्राण वायु सब कुछ एक है,, ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 3,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreसाहब _की_ दुनिया
#poetryunplugged #हिंदी #साहित्य #रामधारी_सिंह_दिनकर # हिंदी कविता Poetry #poem
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक,,16,, नवम्बर 2024 वार। शनिवार समय। सुबह पांच बजे ््निज विचार ्् ्््भावचित्र ््् ्््शीर्षक ््् ्््ऐ नज़र ््््निजविचार्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ऐ नज़र बड़े खुश नसीब है वो,, जो अपने होते नहीं देख सकते थे।।1।। जिन्हें अपना कहते थकते नहीं थे,, वो लफ्जो से आस्तीन के सांप बन गये।। देखें सपनो में खो गए ऐ नज़र,, वो लफ्जो का नूर काफ़िर बन गया।।3।। कहने को परखना तन मन नहीं,, ये पूतला माटी का नही है।।4।। ये इबादत अकीदत पेश किया गया,, मेरे हजूर नबी की खिदमत में पेश है।5। ये अल्फाज़ नगीना है नूर है,, ये साफ़ आयना मेरे ज़िगर से है।6। ये ईमान लिखूं या प्रेम की हकीकत,, ऐ नज़र इश्क में जो कुछ लिखा गया,, वो मतला तेरे ख्यालों का,, ये नूर ए नज़र रुहानी जिंदगी का।7। यूं ही पत्थरों को तराशते रहे,, किसी कि याद में जिंदगीसवार दी।8। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् किसी की यादों में हम दिलों सए ©Shailendra Anand शायरी दर्द ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
शायरी दर्द ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
read moreAshvani Awasthi
White गम सारे दिल के पिए जा रहे हैं तन्हाइयों से लड़े जा रहे हैं। खुद ही ज़ख़्म हमने दिल को दिए है खुद ही ज़ख्म को सिले जा रहे हैं ।। ©Ashvani Awasthi #good_night कवि अश्वनी अवस्थी
#good_night कवि अश्वनी अवस्थी
read moreDeep Bawara
मोबाइल हैकर ब्लैकमेलर साहित्य चोर। साहित्य चोरी का विरोध करे #Paris_Olympics_2024 #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine
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