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Kasim Ali Latif

"तुझे मैं अपने सिर का ताज बनाकर रखूंगा 👑, क्योंकि किसी ने मुझे पैरों की धूल तक बनने न दिया था ✨।" दिल की गहराइयों से निकले ये शब्द, आत्मसम्

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White Tujhe Main Apne Sir Ka Taj Banakar Rakhunga 👑 Kisi Ne Mujhe Pairo Ki Dhool Tak Banne Na Diya Tha ✨

©Kasim Ali Latif "तुझे मैं अपने सिर का ताज बनाकर रखूंगा 👑,
क्योंकि किसी ने मुझे पैरों की धूल तक बनने न दिया था ✨।"

दिल की गहराइयों से निकले ये शब्द, आत्मसम्

नवनीत ठाकुर

#नवनीत हर ग़म को अपनी ताक़त बना, हर ठोकर को अपनी इबादत बना। जो डिगे न कभी, वो इरादा बना, और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना। तेरे ख्वाब तेरे हौ

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green-leaves हर ग़म को अपनी ताक़त बना,
हर ठोकर को अपनी इबादत बना।
जो डिगे न कभी, वो इरादा बना,
और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना।

तेरे ख्वाब तेरे हौसले की दुआ हैं,
तेरी मेहनत ही तेरी सबसे बड़ी वफ़ा है।
ख़ुदा भी देगा तुझे ताज-ए-क़ामयाबी,
बस चलते रहना, यही रास्ता सच्चा है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीत 
हर ग़म को अपनी ताक़त बना,
हर ठोकर को अपनी इबादत बना।
जो डिगे न कभी, वो इरादा बना,
और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना।

तेरे ख्वाब तेरे हौ

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का

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न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज,
भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए।
दो वक्त की सिर्फ रोटी,
या थोड़ा सा अनाज चाहिए।

महल नहीं, एक छत काफी है,
आराम नहीं, बस राहत काफी है।
सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ,
खाली पेट को बस बरकत काफी है।

न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी,
बस इंसान की भूख मिट जाए।
जिंदगी की असली हकीकत यही,
कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज,
भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए।
दो वक्त की सिर्फ रोटी,
या थोड़ा सा अनाज चाहिए।

महल नहीं, एक छत का

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई, ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई। ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए, सफ़र का हिसाब करने स

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सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई,
ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई।

ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए,
सफ़र का हिसाब करने से पहले ही गुज़र गए।

बरसों बरस का सामान किस काम आएगा,
जब मौत का फरिश्ता पल में बुलाएगा।

जिंदगी को समझने में उम्र गुजर गई,
और मौत ने आते ही कहानी बदल गई।

साजो-सामान क्या, ये तख़्तो-ताज क्या,
पल भर की है जिंदगी, फिर ये आज क्या।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई,
ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई।
ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए,
सफ़र का हिसाब करने स
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