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Biikrmjet Sing
जियो महा उध्यान मै मार्ग पावै तेऊ साधु संग मिल जोत प्रगटावे।। तिन सन्तन की बाछो धूड़ नानक की हर लोचा पूर।। जैसे महा भूल-भूलैया में कोई मार्ग पाता है वैसे सच्चे साधुओ की सच्ची संगत से परमात्मा की जोत (जो हर जगह समुंदर की तरह प्रकाश की लहरें हैं) प्रगट हो जाती है।। ऐसे सन्तो के वचनों रूपी धूड़ को हे नानक मन लोचता है।। हे परमात्मा नानक रूपी मन की यह इच्छा पूर्ण करो!।। ©Biikrmjet Sing #साधु
Vikas Sharma Shivaaya'
साधु भूखा भाव का धन का भूखा नाहीं । धन का भूखा जो फिरै सो तो साधु नाहीं । साधु का मन भाव को जानता है, भाव का भूखा होता है, वह धन का लोभी नहीं होता जो धन का लोभी है वह तो साधु नहीं हो सकता ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' साधु
HP
जिस प्रकार अपने प्राण प्यारे हैं, वैसे ही और प्राणियों को भी अपने-अपने प्राण प्यारे हैं, इसलिए साधुजन अपने प्राणों के समान दूसरों पर दया करते हैं। साधु
मलंग
अहोभाव प्रेम करना हो तो किसी साधु से करना। प्रेम ही करना हो तो साधु से करना; कर सको तो साधु से करना। क्योंकि बाकी सब प्रेम डुबाने वाले हैं, साधु से हुआ प्रेम पार लगाने वाला है। साधु से हुआ प्रेम सत्य से हुआ ही प्रेम है। साधु का अर्थ है झरोखा, जिससे सत्य की थोड़ी सी झलक मिली। साधु का अर्थ है जैसे बिजली कौंध गई; राह दिखी, मार्ग मिला। साधु का अर्थ है हमारे पास तो आंखें नहीं हैं, हमें तो परमात्मा की कोई प्रतीति नहीं होती, लेकिन किसी के पास आंखें हैं और किसी को उसकी प्रतीति हुई है, और उसके पास भी बैठ जाते तो वर्षा की दो बूंदें हम पर भी पड़ जातीं! साधु से प्रेम का अर्थ है सत्संग। शास्त्र से नहीं मिलेगा सत्य, क्योंकि शास्त्र तो मुर्दा हैं। शास्त्र में तो तुम वही पढ़ लोगे जो तुम पहले से ही जानते हो। शास्त्र में तो तुम अपने को ही पढ़ लोगे। साधु जीवंत है। साधु का अर्थ है अभी शास्त्र जहां पैदा हो रहा है। शास्त्र का अर्थ है कभी वहां साधु था। साधु तो जा चुका है, रेत पर पड़े चिह्न रह गए हैं। पक्षी तो उड़ गया है, पिंजड़ा पड़ा रह गया है। शास्त्र का अर्थ है साधुओं की याद। साधु का अर्थ है शास्त्र जहां अभी पैदा हो रहा है। जहां शास्त्र में अभी नए पल्लव आ रहे हैं, नई कलियां उग रही हैं, नए फूल खिल रहे हैं। फूल शब्द में तो सुगंध नहीं होती, ऐसे ही शास्त्र में भी सुगंध नहीं होती, क्योंकि शास्त्र तो केवल शब्द मात्र हैं। और कितना ही तुम पाकशास्त्र पढ़ो, इससे भूख न बुझेगी। भोजन पकाना होगा। भोजन ही भूख मिटाएगा। साधु भोजन है। उसके पाठ, उसकी शिक्षाएं, उसकी देशनाएं, उसकी मौजूदगी सब पौष्टिक है। जीसस ने कहा है अपने शिष्यों से: कर लो मेरा भोजन। पी लो मुझे, खा लो मुझे, पचा लो मुझे। इसी अर्थ में कहा है। फिर पीछे तुम दोहराओगे शब्दों को। फिर शब्दों को कितना ही दोहराओ, उन दोहराए गए शब्दों से तुम्हारा मस्तिष्क भरा भरा हो जाए, तुम्हारे प्राण तो खाली के खाली ही रहेंगे। साधु अभी जीवंत तरंग है। अभी वहां संगीत उठ रहा है। अभी कान खोलो, अभी हृदय खोलो, तो तुम्हारे भीतर भी दौड़ जाए लहर। तुम भी कंपित हो उठो। तुम भी नाच जाओ! तुम्हारी आंखें भी गीली हो जाएं। तुम भी भीग जाओ! Osho Zorba The Buddha ©मलंग #साधु