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Shivkumar
White सारा शहर तो मेरे दो शेर सुनकर ही झूम उठता है और तुम पूछते हो कि शायर की औकात ही क्या है ।। ©Shivkumar #City #Nojoto #nojotohindi #शायरी #दिलकीबातशायरी143 # सारा #शहर तो मेरे दो #शेर सुनकर ही #झूम उठता है और तुम पूछते हो कि #शायर की #औक
Sethi Ji
White 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 💝 इश्क़ का सुरूर , इश्क़ का ग़ुरूर 💝 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 दिल को जलाएं , यादों को सजाएं बैठा हूँ तेरे नाम को होंठों में छुपाएं बैठा हूँ क्या कशिश हैं तेरी मोहब्बत में ख़ुदा जाने या तू जाने मैं आज भी तेरे इंतज़ार में अपना वजूद मिटाएं बैठा हूँ 💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 ©Sethi Ji 💞💞 आधा चाँद , आधा प्यार 💞💞 आधा चाँद हैं , आधा प्यार हैं दोनों में बसता मेरा पूरा संसार हैं ।। उस चाँद को अपनी खूबसूरती पर बड़ा ग़ुमान हैं
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Beautiful Moon Night दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२ जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश । करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३ इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास । वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४ कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज । ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५ कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप । वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६ मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर । कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७ करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर । ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८ जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान । कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९ माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ । उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१० ११/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ
Manish Jakhmi
कुछ सच ऐसे होते है जिनके परिणाम बारे में हमें पता होता है परंतु हम तब भी उसके विपरीत कार्य करने की कोशिश करते है, चलिए अपनी जगह किसी और को रखकर देखते है क्यूंकि लोग इस तरह के उदाहरण दूसरों पर सुनना ही पसंद करते है, परंतु यह पसंद और न पसंद करने का सवाल नहीं उठता क्योंकि कुछ इस तरह की अनगिनत चीजे व्यक्ति के जीवन हो जाती है जिससे भिड़कर वह अपने आप के एक आदमी बनाता है, अब एक आदमी कैसा हो ये प्रश्न भी बनता है, परंतु यह तो अक्सर नियती पर निश्चित होता है क्यूंकि परिस्थिति तो मात्र श्रेणी बदलती है, जीवन में पड़ावों को पार करते करते ही कुछ इस तरह (कविता में दिए गए) के निर्णय लेने होते है, जिनका ख्याल मात्र दो बार आता है एक निर्णय लेते वक्त और दूसरा उस परिस्थिति के अंत में परिणाम के वक्त। मनीष जख्मी ©Manish Jakhmi कुछ सच ऐसे होते है जिनके परिणाम बारे में हमें पता होता है परंतु हम तब भी उसके विपरीत कार्य करने की कोशिश करते है, चलिए अपनी जगह किसी और को र
Sangeeta Kalbhor
प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थरथरले काळीज दाटून नयनात अश्रूतून झुरझूरले काय चुकले माझे की मी माझेपण अर्पिले पाषाण ह्रदयी असणाऱ्याला शेंदुराने सजविले घाव बसता घावावर हाक तरी निघावी कशी निपचित पडून वेडे सत्त्व घेत असे वामकुक्षी ह्रदया तुझ्या कारणे मी काय काय सोसले शब्द आग ओकताना रे कुठले देऊ दाखले एक बरे जाहले मला वेडीला प्रेम रे घावले काळजाला काजळवणारे प्रेम मी रे जाणले..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #outofsight प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थर
Jesus_ka_chuna_huaa
AJAY NAYAK
नई सुबह हर रोज उठता हूं बैठता हूं, चलता हूं शाम होते होते हर रोज गिर जाता हूं । वही रात जो शीतलता देती है उष्ण बनकर मुझ पर टूट पड़ती है । करवटे बदल बदल कैसे कैसे रात कटती है फूल जैसे बिस्तर भी रात भर शूल बन चुभते हैं । फिर जीवन में आती है वही सुबह जिसका रहता है संध्याकाल से ही इन्तजार । एक नई ऊर्जा लिए एक नए विश्वास लिए उठाती है, और खड़ा करती है । फिर से जीवन के नए आयाम स्थापित कर उस ओर हमारे पगों को बढ़ा देती है। हर रोज उठता हूं। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #bicycleride नई सुबह हर रोज उठता हूं बैठता हूं, चलता हूं शाम होते होते हर रोज गिर जाता हूं ।
Shivkumar
Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है इसकी माटी तो अति पावन है देवों की भी यह मानस माता है ये धरती मां बंधुत्व भाव ही दिखलाती है गंगा , जमुना और सरस्वती जी वो संगम तट पर बहती नित धारा है सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है ऋषि मुनियों का अब भी बसता संसार है मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है मुझे इसके विशेष होने पर गर्व है अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश ©Shivkumar #MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश
Vikrant Rajliwal