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SUNIL KUMAR VERMA
*सांझ* कई बार जाने क्यूं ऐसा भी होता है? मंजिलों को पाकर लौटना जरूरी होता है. ©SUNIL KUMAR VERMA सांझ
Shashi Ranjan
साँझ जब सूरज की किरणें थकने को होती है जब चांद के दीदार को दिल बेकरार होता है हर परिंदा लौटता है घर अपने जब अपनों से मिलन को मन तैयार होता है। उस वक़्त एक कसक सी उठती है जिया में आंखे ढूंढ़ती हैं तुझको परिंदों की आवाजें झिंझोड़ते हैं मुझको कोई आवाज आती है उस आसमा की लाली से एक दर्द उठती है सूखे पेड़ो की डाली से कोई तो लौटा दो मेरे सांझ के सहारे को मेरे पत्तियां मेरे हमसफ़र मेरे साखों की हरियाली को ये सांझ की तन्हाई क्यों तोड़ देते है मुझे इस वक़्त में अपने मेरे क्यों छोड़ देते हैं मुझे।। सांझ
Baisa_Raj_Neha_Pandya
साँझ सांझ भी कितनी खूबसूरत है, प्रकृति के प्यार का मिला-जुला रूप हैं। #सांझ
Anuj Ray
साँझ गुल खिले प्यार ,के अरमां दीदार के . तेरी बाहों में झूले गल मिले यार के.. यूं ही आना सदा लेकर खुशियों के जाम .. ओ प्यारी सांझ तुझको लाखों सलाम सांझ
KAVI RAMDAS GURJAR
साँझ छिपते सूरज को देखकर सोचता हूँ कि मैं भी किसी दिन इस प्रकार ही अस्त हो जाऊंगा। कवि रामदास गुर्जर #सांझ
प्रेरक नीर जैन
साँझ वो चली फिर कुछ यादे । कुछ जख्म कुछ मरहम सी ।। कुछ अंत कुछ शुरुआत सी ।। बढ़ चली सांझ एक याद सी । आने वाले कल से कराने एक मुलाकात सी ।। ये बढ़ चली है रात से होने वाली मुलाकात सी ।। #सांझ
Baisa_Raj_Neha_Pandya
साँझ ये सूरज जब आसमां को छोड़ कर जाता हैं, तब सारे आसमां को कैसरीयां रंग जाता हैं, खुद मुस्कुरा कर प्रकृति को मायूस कर जाता हैं। #सांझ