Nojoto: Largest Storytelling Platform

New शाम ढलने Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about शाम ढलने from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, शाम ढलने.

    PopularLatestVideo

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

शाम ढलने पर....कीर्तिप्रद

read more
शाम और इंतज़ार 

कुछ  !  बूढ़े  ,   कुछ   जवान  , कुछ   बच्चे  , होगें

जो , कर  रहे   इंतजार  , वो  कितने ;  अच्छे  होगें

और देखकर हमें न जाने मिलेगा उन्हें कितना सुखूँ

रिश्ते और ज्यादा मजबूत ; और ज्यादा ;पक्के होगें

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

 शाम ढलने पर....कीर्तिप्रद

Kajalife....

#शाम... #ये शाम ढलने दो जरा ... #चांद ....

read more
"शाम" 



ये शाम अभी गमगीन है , 
किसी और दिन होगी हंसी ,
खुद को चांद की रोशनी में ,
भीग जाने दो जरा .....
ये शाम ढलने दो जरा...
क्यों खोये हुए हो , अतीत के पन्नों में ,
वर्तमान में दो पल, ठहरो तो जरा ...
ये शाम ढलने दो जरा ...! #शाम...
#ये शाम ढलने दो जरा ...
#चांद ....

Shiva hooda

शाम ढलने का समय हो गया है|

read more
शाम ढलने का समय हो गया है ,
 सूरज के डुबने का समय, 
पक्षीयों के घोसले में लोटने समय
लोगों का घर लौटने का समय हो गया है|     
चिड़िया का चूजों से, माँ का बच्चों से
घरवालों का गृहणियों से और मेंरा तुमसे
दिन का रात से मिलने का समय हो गया है | शाम ढलने का समय हो गया है|

Saurav Das

शाम ढलने के साथ ज़िन्दगी का एक पन्ना ढल जाएगा!
 
आज बुरा है तो क्या हुआ कल अच्छा 
आएगा!!

©Saurav Das #शाम 
#ढलने 
#ज़िन्दगी 
#एक_पन्ना 
#आज 
#बुरा 
#कल 
#अच्छा

OMG INDIA WORLD

ख्वाहिशें तमाम पिघलने लगी है फिर से एक और शाम ढलने लगी हैं उनसे मुलाकात के इन्तजार में बैठे हैं अब ऐ जिद भी तो हद से गु #शायरी #OMGINDIAWORLD

read more
ख्वाहिशें तमाम पिघलने लगी है
फिर से एक और शाम ढलने लगी हैं
          उनसे मुलाकात के इन्तजार में बैठे हैं
           अब ऐ जिद भी तो हद से गुजरने लगी है

©OMG INDIA WORLD ख्वाहिशें तमाम पिघलने लगी है
फिर से एक और शाम ढलने लगी हैं
          उनसे मुलाकात के इन्तजार में बैठे हैं
           अब ऐ जिद भी तो हद से गु

Prerna Singh

#sunsetnature जमी है बर्फ जो #पलकों पे मत #पिघलने दे जरा सी देर तक ठंडी हवा भी चलने दे #खफा न हो मेरे घर की उदास #तन्हाई मैं तेरे पास ही आऊं #शायरी

read more
sunset nature जमी है बर्फ जो पलकों पे मत पिघलने दे
जरा सी देर तक ठंडी हवा भी चलने दे
खफा न हो मेरे घर की उदास तन्हाई
मैं तेरे पास ही आऊंगी शाम ढलने दे...........

©Prerna Singh #sunsetnature जमी है बर्फ जो #पलकों पे मत #पिघलने दे
जरा सी देर तक ठंडी हवा भी चलने दे
#खफा न हो मेरे घर की उदास #तन्हाई
मैं तेरे पास ही आऊं

Atit Arya

सफर की शाम हाे ग ई है, देखाे जिन्दगी आराम हाे गई है, साे गई है इच्छाये शाम ढलने पर, और उम्मीदे विराम हाे गई है, जल रही है उदासी किसी की, त

read more
सफर की शाम हाे गई है,
देखाे जिन्दगी आराम हाे गई है,
 साे गई है इच्छाये शाम ढलने पर,
और उम्मीदे विराम हाे गई है,

जल रही है उदासी किसी की,
ताे किसी की खुशिया निलाम हाे रही है,
और अपने अहंकार नदियां दिलाे से बाहर हाे रही है,

किसी की गुस्सा बदनाम हाे रही है,
और मतलबी दुनिया देखाे ख्वाब बाे रही है,
बना रही है चहरे कुछ पाने के खातिर,
क्याेंंकि ये दुनिया दाैलत की हाे रही है ! सफर की शाम हाे ग ई है,
देखाे जिन्दगी आराम हाे गई है,
 साे गई है इच्छाये शाम ढलने पर,
और उम्मीदे विराम हाे गई है,

जल रही है उदासी किसी की,
त

गिरीश पाठक

चलो तुम साथ में मेरे ,,,,,,,,,कई मंजर दिखाऊंगा । कहां मरता है मुफलिस भूख से वो घर दिखाऊंगा ।। कमाया शाम ढलने तक ,,,,,तो खाई रात की रोटी । सु #शायरी #nojotophoto

read more
 चलो तुम साथ में मेरे ,,,,,,,,,कई मंजर दिखाऊंगा ।
कहां मरता है मुफलिस भूख से वो घर दिखाऊंगा ।।
कमाया शाम ढलने तक ,,,,,तो खाई रात की रोटी ।
सु

Sawariya Meena

"तेरा हर रूप सूनहरा में हर पल तेरा दिवाना सुबह होने से पहले शाम ढलने के बाद बस तू हि मेरे ख्वाबो में आये क्यू कि #Quotes #chai

read more
 "तेरा हर रूप सूनहरा
में हर पल तेरा दिवाना

सुबह होने से पहले
शाम ढलने के बाद बस तू हि मेरे ख्वाबो में आये

क्यू कि

बद्रीनाथ✍️

मैं पेड़ अनजान सा हवा से खेला करता था न दुनिया की चिंता थी न दुनियादारी की फिकर ! एक रोज एक चिड़िया मेरी डाली पर आती हैं कुछ दुखी,कुछ मायू #thought #कविता #L♥️ve #loV€fOR€v€R

read more
मैं पेड़ अनजान सा
हवा से खेला करता था
न दुनिया की चिंता थी
न दुनियादारी की फिकर  !

एक रोज एक चिड़िया
मेरी डाली पर आती हैं
कुछ दुखी,कुछ मायूस सी
अपनी कहानी सुनाती हैं !

मैं विशाल पेड़ भी 
उससे प्रभावित हो गया
देखते देखते मेरा डाली
उसका बसेरा हो गया !

अब उसकी चंचलता से
मेरी सुबह शाम ढलने लगी
 आंखों से ओझल होती तो,
दिल में ,कुछ कमी खलने लगी !

जिससे डरते थे 
आख़िर वही बात हो गई 
उस छोटी सी जान से 
न जाने कैसी लगाव हो गई ?

©बद्रीनाथ✍️ मैं पेड़ अनजान सा
हवा से खेला करता था
न दुनिया की चिंता थी
न दुनियादारी की फिकर  !

एक रोज एक चिड़िया
मेरी डाली पर आती हैं
कुछ दुखी,कुछ मायू
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile