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Manmohan Dheer
कैसे करे श्रृंगार जब तन मन हो गरल अश्रु की धार जब कपोलों पर अविरल . स्मृति वन में आच्छादित सहचर आँचल बन रहता साथ जैसे अनुचर . साथ होने न होने की दुविधा वही कथा उसकी और श्रोता भी वही . हूक भरे संकुचन और श्वास पर अविश्वास रुक तनिक पथ निहार वो आई तेरी श्वास . धीर सहचर
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
प्रकृति सहचरी बनी है साथ मेरे। अंतरिक्ष में फैले हैं ये दोनों हाथ मेरे। प्रभु की कृपाओं का बरसा है रंग पर्वतों पर, बिखरे हैं चहुंओर नजारे तेरी रहमत के निष्णात हूं तेरे प्यार में ओ नाथ मेरे।। ©Veena Kapoor प्रकृति सहचरी पर्वत रंग #hills
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
तूलिका तुम्हें उठाने को मन फिर हुआ व्याकुल, किन्तु शिथिल हो गई उंगलियां मेरी। तम्हारे स्पर्श से फिर हुई सिहरन कभी तुम ही बनी थीं सहचरी मेरी।। ©Veena Kapoor तूलिका कला स्पर्श सिहरन सहचरी #Trees
Anjali Raj
सहचरी माना तुझे,लेखनी, छोड़ तुझे कहाँ जाऊं लोग लिख गए महाकाव्य मैं पंक्ति ना लिख पाऊं सुख दुख बांटे सभी तुझी से राज़ तू मेरे जाने जैसा मैं चाहूँ तू लिख दे कैसे तुझे चलाऊँ इत उत उड़ता फ़िरे ये मन का पंछी दुनिया देखे मोती चुग लाये संग तुझसे माला मैं पिरवाऊं मीत भी तू ही, प्रीत भी तू ही, जीत भी मेरी तू ही जग रूठे तो रूठे पर जो तू रूठी ,मर जाऊं #अंजलिउवाच #YQdidi #लेखनी #सहचरी #मीत #जीत #मेरीलेखनी
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व्यथित सी व्यापित कुण्ठाओं में सहचर तुम बन जाना फिर।। #NojotoHindi
Sarita Shreyasi
प्रिया हूँ, जबतक,प्रेम करती हूँ, जुड़ने के लिए संगिनी बनती हूँ, सहचरी हो कर जब बँध जाती हूँ, तुम्हारी स्वच्छंदता से उलझ जाती हूँ। सहचरी हो कर बँध जाती हूँ, तुम्हारी स्वच्छंदता से उलझ जाती हूँ
Alok Vishwakarma "आर्ष"
सहचर वर्णों की माला के, ताल लये मन हरते हैं । वीणा की वाणी सुमधुर, सुन मनु नये अर्थ विचरते हैं ।। हर्ष से सजले नयन, प्रच कमलिनी खिल मध्य में । कुण्ड जल क्षिति भनन, भानु जो छजे नभ गंग में ।। मूर्धनी धन धान्य विद्या, दीप्ति वन्दे अस्तुति । चरण रज चिर चितन सेवती, अस्ति मात सरस्वती ।। An elaboration to.. मनहर वीणा, सुमधुर लयताल । वर्ण सहचर, काव्य जंघाल ।। deepti tuli #saraswati #alokstates #yqbaba #yqdidi #कविता #devotion
Qasim
री हर इक सांस में... तेरे ही आईने में मेरा बचपन, ये यौवन और बारहों मास.. तुझे झील, ताल, सरोवर कहूं, या मेरा रहबर... तुझे नैनीताल कहूं, या मे