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Mamta Singh
आम माेजराई गइले ,सरसाे फूलाई गइले, काेयल के कूक लगावे ,मनवा मे हूक परदेशी बालम ,एही फगुनवां में। एक ताे हमरी सांवरी सूरतीयां,दुजे मारी काेरी चुनरीयां, उसपे पर गई ताेरी जुल्मी नजरीया, अपने प्रीत के रंग मे रंग डालाे जी परदेशी बालम,एही फगुनवां मे। अंग-अंग महुआ अधर पलाश भइल अबकी के हाेलीया में मिलन के आस भइल छाेड़़ी के नाेकरियां घर आजा परदेशी बालम,एही फगुनवां मे। रूखी-सूखी खाएगें जिंदगी संग ही बिताएगें हाेली#परदेशी#yqbaba#yqdada#yqdidi#yqlove#yqhindi#
Mamta Singh
चुनाव बाद सरकार चाहे किसी की बने, मेरे सरकार ताे आप हाे।🤓 मानती हूं नखरे थाेड़े ज्यादा है ,पर👁👁ये ताे पहले साेचना था।। रूखी-सूखी खाएगें जिंदगी संग ही बिताएगें।ठीक है......😎😎😎😎😎😎😎😎 चूनाव#सरकार#जिंदगी #yqbaba#yqdada#yqdidi#yqlove#yqhindi
Siddharth shrivastav..#
तुम्हारा नाम "बोरो प्लस" होना चाहिए था तुम्हारे बिना जिंदगी रूखी सूखी सी लगती है...!!!❤️🙈 तुम्हारा नाम "बोरो प्लस" होना चाहिए था तुम्हारे बिना जिंदगी रूखी सूखी सी लगती है...!!!❤️🙈
शुभम ठाकुर
Mirror कुछ रूखी सूखी यादों मे खुशियां ढूंढ रहे है हम तुझे नही बस तेरे आईने को ढूंढ रहे है ©raghav thakur #Mirror कुछ रूखी सूखी यादों मे खुशियां ढूंढ रहे है हम तुझे नही बस तेरे आईने को ढूंढ रहे है
DrLal Thadani
रूखी सूखी खाकर भी रहता है मगरुर शहर की चकाचौंध से शिक्षा से दूर सूरज के साथ रोज़ जलता है अविरल अथक होता नहीं चूर धरती मां का वो लाल है मजदूर डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे रूखी सूखी खाकर भी रहता है मगरुर शहर की चकाचौंध से शिक्षा से दूर सूरज के साथ रोज़ जलता है अविरल अथक होता नहीं चूर धरती मां का वो लाल है मजद
Vandana
बिन प्रिय जीवन में नहीं रास बिन सांस जैसे तन में नहीं प्राण,, रूखी सूखी सी जिंदगी में अमृत रस से भरा कोई कलश हो तन से प्राण जाते हुए के लिए कोई संजीवनी बूटी हो,,, गर्मी से तपते हुई भूमि के लिए बारिश की
Kuldeep
!!कंचन सा स्वेत मन है!! सावली सी काया, लबों पे रस हैं और आंखो में माया, तुम्हे रचा हैं खुदा ने खुदाई के लिए, और लोगो ने नवाजा है इस जादुई के लिए।। कंचन सा श्वेत मन है बिखरे सपनों के सतरंगी मोती निराशा की भी अद्भुत खेती आशाओं के कितने मिलन हैं कंचन सा श्वेत मन है।। धरे कपारे मेहनत की
Kuldeep Garg
!!कंचन सा स्वेत मन है!! सावली सी काया, लबों पे रस हैं और आंखो में माया, तुम्हे रचा हैं खुदा ने खुदाई के लिए, और लोगो ने नवाजा है इस जादुई के लिए।। कंचन सा श्वेत मन है बिखरे सपनों के सतरंगी मोती निराशा की भी अद्भुत खेती आशाओं के कितने मिलन हैं कंचन सा श्वेत मन है।। धरे कपारे मेहनत की
Kh_Nazim
मज़दूर...! यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं.. रूखी सूखी रोटियां चटनी से खाते पर हाथ नही फैलाते, पत्थर तोड़ पानी बहते जो मकान खड़ा है इनके पसीने से बना है यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं। दुनियाँ की चकाचोंध से भटकते नहीं अपनों के लिए मेहनत से डरते नहीं रोज़ कुआँ खोदते है,रोज़ प्यास भुझाते है यह ईंट ईंट जोड़ अपना आसियान सजाते है । यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं। जन को तो आरक्षण मिला साहब पर मझधार भूल गए. सत्ता में आ के वो इन के अधिकार भूल गए जो कुछ भी बना है... सड़क,मकान,बहुमंजिला इमारत इन में दबके तुम्हारी... यह सियासत खड़ी है यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं.. अब... बेग़री से जो तुमने जोड़ रखा था उन हालातों में जीना हुनर सीख रखा है यह मजबूर है साहब, मज़दूर नहीं..! मज़दूर...! यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं.. रूखी सूखी रोटियां चटनी से खाते पर हाथ नही फैलाते, पत्थर तोड़ पानी बहते जो मकान खड़ा है
Ankita Shukla
मजबूर नही मजबूत बनिये... 🌸🌸 ©Ankita Shukla #Alive स्नेह रति के आनंद मन में मानव का हो सफल जानहायत हर जीव प्राणी पर करे नज़राना भेंट उपकार जीवन का संदेश दे अपार्थिव न हो जीवन उसका नीति