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wishu
सूखी शाख सा हो गया है ये जीवन मेरा।। जब तुम थे ़ तो !! हर तरफ हरियाली थी #सूखी शाख wishu
deshank sharma
विरह वेदना जिसमे जागृत अमर वही एक प्रेम हुआ, सूखी सूखी मिट्टी पे तभी पल्लवित कमल हुआ -देशांक #love
Bajrangautam
चाहत की नदियां..... "जाने क्यों, चाहत की नदियां सब सूख रही, हम तो यहां अब भी प्यासे ठैहरे।।" #चाहत #नदियां #प्यासे #सूखी #प्यार #aapkejazbaat #bajrangbhagat #bajrangautam
Chandan Gusain
एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम। अजी वाह ! क्या बात तुम्हारी, तुम तो पानी के व्योपारी, खेल तुम्हारा, तुम्हीं खिलाड़ी, बिछी हुई ये बिसात तुम्हारी, सारा पानी चूस रहे हो, नदी-समन्दर लूट रहे हो, गंगा-यमुना की छाती पर कंकड़-पत्थर कूट रहे हो, उफ!! तुम्हारी ये खुदगर्जी, चलेगी कब तक ये मनमर्जी, जिस दिन डोलगी ये धरती, सर से निकलेगी सब मस्ती, महल-चौबारे बह जायेंगे खाली रौखड़ रह जायेंगे बूँद-बूँद को तरसोगे जब - बोल व्योपारी – तब क्या होगा ? नगद – उधारी – तब क्या होगा ?? आज भले ही मौज उड़ा लो, नदियों को प्यासा तड़पा लो, गंगा को कीचड़ कर डालो, लेकिन डोलेगी जब धरती – बोल व्योपारी – तब क्या होगा ? वर्ल्ड बैंक के टोकनधारी – तब क्या होगा ? योजनकारी – तब क्या होगा ? नगद-उधारी तब क्या होगा ? एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम। - गिर्दा #उफ_तेरी_ये_खुदगर्जी एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम।
slni
#OpenPoetry तुम्हारी यादें है या बूंदे बारिश की, दिल की सूखी जमीन पर पड़ते ही तुम्हारे साथ बिताए पल बरबस ही याद आ जाते हैं.. "सलोनी" #सूखी#जमीन
Pnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
Pnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।