Nojoto: Largest Storytelling Platform

New गणपतये Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about गणपतये from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गणपतये.

    LatestPopularVideo

Suraj Sharma

🙏ऊँ गं गणपतये नमः 🙏प्रथम पूज्य रिद्धि-सिद्धि के दातार #जयगणेश #दिव्य_दर्शन #भक्ति #सनातनधर्म #शुभकामनायें #सूरजशर्मामास्टरजी #viral #Reels # #Trending #वीडियो

read more

vandana,s hobby & crafts

#ओम गंग गणपतये नमः # nojoto

read more

Shree

तबियत से बुलाया तुमको, तुम आए गणराया, जब-जब पुकारा तुमको, तुम आए गणराजा! अंधेरों में धर कर धैर्य, हम पाए लंबोदरा, वक्त का कुटिल खेल, हम साए #a_journey_of_thoughts #mrgod

read more
तबियत से बुलाया तुमको,
तुम आए गणराया,
जब-जब पुकारा तुमको,
तुम आए गणराजा!
अंधेरों में धर कर धैर्य,
हम पाए लंबोदरा,
वक्त का कुटिल खेल,
हम साए रहे सदा बप्पा।
🙏🙏🙏🙏
श्री गणपतये नमः
श्री विघ्नहर्ताये नमः
श्री एकदंताये नमः
श्री सिद्धिदाताये नमः
श्री सूर्पकर्णाये नमः
श्री उमातनये नमः
श्री गणाधीशाये नमः  तबियत से बुलाया तुमको,
तुम आए गणराया,
जब-जब पुकारा तुमको,
तुम आए गणराजा!
अंधेरों में धर कर धैर्य,
हम पाए लंबोदरा,
वक्त का कुटिल खेल,
हम साए

AB

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

read more
©alps                        वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। 
                       निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

Sonal Panwar

Shravan Goud

आपसे ही शुरुआत करते हैं। ॐ गं गणपतये नम: 🙏

read more
ॐ गं गणपतये नम: आपसे ही शुरुआत करते हैं। ॐ गं गणपतये नम: 🙏

Sunil Singh

#Motivation. ऊं गं गं गं गणपतये नमः।। जय श्री हरि, जय जय श्री राम जैसे चाहो वैसे कमाओ, जितना चाहो उतना कमाओ। सरकारी नौकरी में है विलंब , तो #जानकारी

read more

Sunil Singh

#Motivation.ऊं गं गं गं गणपतये नमः।। जय श्री हरि, जय जय श्री राम जैसे चाहो वैसे कमाओ, जितना चाहो उतना कमाओ। सरकारी नौकरी में है विलंब , तो #जानकारी

read more
ऊं गं गं गं गणपतये नमः।। जय श्री हरि, जय जय श्री राम
जैसे चाहो वैसे कमाओ, जितना चाहो उतना कमाओ।
सरकारी नौकरी में है विलंब , तो  मात्र 590/-लगाकर you tag business से बनाओ संबंध।। you tag business app download kijiye play Store आज ही Ragistration करें।Sponsored I'd 3165474      , Contact 9931250990.
मात्र 590/- लगाओ और कैरियर बनाओ।

©Sunil Singh #Motivation.ऊं गं गं गं गणपतये नमः।। जय श्री हरि, जय जय श्री राम
जैसे चाहो वैसे कमाओ, जितना चाहो उतना कमाओ।
सरकारी नौकरी में है विलंब , तो

Vikas Sharma Shivaaya'

श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र... ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालान #समाज

read more
श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र...

ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालानां बुद्धि-प्रदाय, नाना-प्रकार-धन-वाहन-भूमि-प्रदाय, मनोवांछित-फल-प्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।

ॐ गुरवे नम:, ॐ श्रीकृष्णाय नम:, ॐ बलभद्राय नम:, ॐ श्रीरामाय नम:, ॐ हनुमते नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ जगन्नाथाय नम:, ॐ बदरीनारायणाय नम:, ॐ श्री दुर्गा-देव्यै नम:।।
ॐ सूर्याय नम:, ॐ चन्द्राय नम:, ॐ भौमाय नम:, ॐ बुधाय नम:, ॐ गुरवे नम:, ॐ भृगवे नम:, ॐ शनिश्चराय नम:, ॐ राहवे नम:, ॐ पुच्छानयकाय नम:, ॐ नव-ग्रह रक्षा कुरू कुरू नम:।।
 
ॐ मन्येवरं हरिहरादय एव दृष्ट्वा द्रष्टेषु येषु हृदयस्थं त्वयं तोषमेति विविक्षते न भवता भुवि येन नान्य कश्विन्मनो हरति नाथ भवान्तरेऽपि। ॐ नमो मणिभद्रे। जय-विजय-पराजिते! भद्रे! लभ्यं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्-सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।। सर्व विघ्नं शांन्तं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय महान्-श्याम-स्वरूपाय दिर्घारिष्ट-विनाशाय नाना प्रकार भोग प्रदाय मम (यजमानस्य वा) सर्वरिष्टं हन हन, पच पच, हर हर, कच कच, राज-द्वारे जयं कुरू कुरू, व्यवहारे लाभं वृद्धिं वृद्धिं, रणे शत्रुन् विनाशय विनाशय, पूर्णा आयु: कुरू कुरू, स्त्री-प्राप्तिं कुरू कुरू, हुम् फट् स्वाहा।।
 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:। ॐ नमो भगवते, विश्व-मूर्तये, नारायणाय, श्रीपुरुषोत्तमाय। रक्ष रक्ष, युग्मदधिकं प्रत्यक्षं परोक्षं वा अजीर्णं पच पच, विश्व-मूर्तिकान् हन हन, ऐकाह्निकं द्वाह्निकं त्राह्निकं चतुरह्निकं ज्वरं नाशय नाशय, चतुरग्नि वातान् अष्टादष-क्षयान् रांगान्, अष्टादश-कुष्ठान् हन हन, सर्व दोषं भंजय-भंजय, तत्-सर्वं नाशय-नाशय, शोषय-शोषय, आकर्षय-आकर्षय, मम शत्रुं मारय-मारय, उच्चाटय-उच्चाटय, विद्वेषय-विद्वेषय, स्तम्भय-स्तम्भय, निवारय-निवारय, विघ्नं हन हन, दह दह, पच पच, मथ मथ, विध्वंसय-विध्वंसय, विद्रावय-विद्रावय, चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ, चक्रेण हन हन, पा-विद्यां छेदय-छेदय, चौरासी-चेटकान् विस्फोटान् नाशय-नाशय, वात-शुष्क-दृष्टि-सर्प-सिंह-व्याघ्र-द्विपद-चतुष्पद अपरे बाह्यं ताराभि: भव्यन्तरिक्षं अन्यान्य-व्यापि-केचिद् देश-काल-स्थान सर्वान् हन हन, विद्युन्मेघ-नदी-पर्वत, अष्ट-व्याधि, सर्व-स्थानानि, रात्रि-दिनं, चौरान् वशय-वशय, सर्वोपद्रव-नाशनाय, पर-सैन्यं विदारय-विदारय, पर-चक्रं निवारय-निवारय, दह दह, रक्षां कुरू कुरू, ॐ नमो भगवते, ॐ नमो नारायणाय, हुं फट् स्वाहा।।
 
ठ: ठ: ॐ ह्रीं ह्रीं। ॐ ह्रीं क्लीं भुवनेश्वर्या: श्रीं ॐ भैरवाय नम:। हरि ॐ उच्छिष्ट-देव्यै नम:। डाकिनी-सुमुखी-देव्यै, महा-पिशाचिनी ॐ ऐं ठ: ठ:। ॐ चक्रिण्या अहं रक्षां कुरू कुरू, सर्व-व्याधि-हरणी-देव्यै नमो नम:। सर्व प्रकार बाधा शमनमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू फट्। श्रीं ॐ कुब्जिका देव्यै ह्रीं ठ: स्वाहा।।
 
शीघ्रमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू शाम्बरी क्रीं ठ: स्वाहा।।
 
शारिका भेदा महामाया पूर्णं आयु: कुरू। हेमवती मूलं रक्षा कुरू। चामुण्डायै देव्यै शीघ्रं विध्नं सर्वं वायु कफ पित्त रक्षां कुरू। मंत्र तंत्र यंत्र कवच ग्रह पीड़ा नडतर, पूर्व जन्म दोष नडतर, यस्य जन्म दोष नडतर, मातृदोष नडतर, पितृ दोष नडतर, मारण मोहन उच्चाटन वशीकरण स्तम्भन उन्मूलनं भूत प्रेत पिशाच जात जादू टोना शमनं कुरू। सन्ति सरस्वत्यै कण्ठिका देव्यै गल विस्फोटकायै विक्षिप्त शमनं महान् ज्वर क्षयं कुरू स्वाहा।।
 
सर्व सामग्री भोगं सप्त दिवसं देहि देहि, रक्षां कुरू क्षण क्षण अरिष्ट निवारणं, दिवस प्रति दिवस दु:ख हरणं मंगल करणं कार्य सिद्धिं कुरू कुरू। हरि ॐ श्रीरामचन्द्राय नम:। हरि ॐ भूर्भुव: स्व: चन्द्र तारा नव ग्रह शेषनाग पृथ्वी देव्यै आकाशस्य सर्वारिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीवासुदेवाय नम:, बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीविष्णु भगवान् मम अपराध क्षमा कुरू कुरू, सर्व विघ्नं विनाशय, मम कामना पूर्णं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ श्रीदुर्गा देवी रूद्राणी सहिता, रूद्र देवता काल भैरव सह, बटुक भैरवाय, हनुमान सह मकर ध्वजाय, आपदुद्धारणाय मम सर्व दोषक्षमाय कुरू कुरू सकल विघ्न विनाशाय मम शुभ मांगलिक कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
एष विद्या माहात्म्यं च, पुरा मया प्रोक्तं ध्रुवं। शम क्रतो तु हन्त्येतान्, सर्वाश्च बलि दानवा:।। य पुमान् पठते नित्यं, एतत् स्तोत्रं नित्यात्मना। तस्य सर्वान् हि सन्ति, यत्र दृष्टि गतं विषं।। अन्य दृष्टि विषं चैव, न देयं संक्रमे ध्रुवम्। संग्रामे धारयेत्यम्बे, उत्पाता च विसंशय:।। सौभाग्यं जायते तस्य, परमं नात्र संशय:। द्रुतं सद्यं जयस्तस्य, विघ्नस्तस्य न जायते।। किमत्र बहुनोक्तेन, सर्व सौभाग्य सम्पदा। लभते नात्र सन्देहो, नान्यथा वचनं भवेत्।। ग्रहीतो यदि वा यत्नं, बालानां विविधैरपि। शीतं समुष्णतां याति, उष्ण: शीत मयो भवेत्।। नान्यथा श्रुतये विद्या, पठति कथितं मया। भोज पत्रे लिखेद् यंत्रं, गोरोचन मयेन च।। इमां विद्यां शिरो बध्वा, सर्व रक्षा करोतु मे। पुरुषस्याथवा नारी, हस्ते बध्वा विचक्षण:।। विद्रवन्ति प्रणश्यन्ति, धर्मस्तिष्ठति नित्यश:। सर्वशत्रुरधो यान्ति, शीघ्रं ते च पलायनम्।।

।। श्रीभृगु संहिता सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र सम्पूर्ण ।।

        🙏क्षमा प्रार्थना मन्त्र 🙏
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 478 से 489 नाम
478 सत् सत्यस्वरूप परब्रह्म
479 असत् प्रपंचरूप अपर ब्रह्म
480 क्षरम् सर्व भूत
481 अक्षरम् कूटस्थ
482 अविज्ञाता वासना को न जानने वाला
483 सहस्रांशुः जिनके तेज से प्रज्वल्लित होकर सूर्य तपता है
484 विधाता समस्त भूतों और पर्वतों को धारण करने वाले
485 कृतलक्षणः नित्यसिद्ध चैतन्यस्वरूप
486 गभस्तिनेमिः जो गभस्तियों (किरणों) के बीच में सूर्यरूप से स्थित हैं
487 सत्त्वस्थः जो समस्त प्राणियों में स्थित हैं
488 सिंहः जो सिंह के समान पराक्रमी हैं
489 भूतमहेश्वरः भूतों के महान इश्वर हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र...

ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालान

Vikas Sharma Shivaaya'

1. गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है। 2. इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' 3. षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है - ॐ वक् #समाज

read more
1. गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है।
 
2. इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' 
3. षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है - ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌
4. उच्छिष्ट गणपति का मंत्र- - ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
 5. आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का मंत्र - गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
 6. विघ्न को दूर करके धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्ब गणपति का मंत्र - 'ॐ गं नमः'
 7. रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप - ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
 8. विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र- ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 221 से 231 नाम 
221 न्यायः न्यायस्वरूप
222 नेता जगतरूप यन्त्र को चलाने वाले
223 समीरणः श्वासरूप से प्राणियों से चेष्टा करवाने वाले
224 सहस्रमूर्धा सहस्र मूर्धा (सिर) वाले
225 विश्वात्मा विश्व के आत्मा
226 सहस्राक्षः सहस्र आँखों या इन्द्रियों वाले
227 सहस्रपात् सहस्र पाद (चरण) वाले
228 आवर्तनः संसार चक्र का आवर्तन करने वाले हैं
229 निवृत्तात्मा संसार बंधन से निवृत्त (छूटे हुए) हैं
230 संवृतः आच्छादन करनेवाली अविद्या से संवृत्त (ढके हुए) हैं
231 संप्रमर्दनः अपने रूद्र और काल रूपों से सबका मर्दन करने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 1. गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है।
 
2. इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' 
3. षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है - ॐ वक्
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile