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Aadishakti Shivpriya Parivar

कुछ लोग ऐसा समझते हैं कि घर में हल्का सा पूजा पाठ करना तंत्र -मंत्र करने में आता है। या फिर जो पूजा पाठ कर रहा है वो घर संसार की जिम्मेदारी छोड़कर सन्यासी बन जाएगा जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। शादी करने से केवल इतना नहीं होता कि माता -पिता की मर्जी से या अपनी मर्जी से शादी कर ली और खाया- पीया -सोया और काम खत्म। शादी करने को भी हमारे यहां धर्म से जोड़कर गृहस्थ धर्म का नाम दिया गया है।
          शादी करने के बाद व्यक्ति की जिम्मेदारी खुद के प्रति, खुद के परिवार व समाज के प्रति ज्यादा बढ़ जाती है। गृहस्थ धर्म सबसे बड़ा धर्म है यहां व्यक्ति को तीन ऋण उतारना आवश्यक है, नहीं तो उसकी दुर्गति हो जाती है जीवन में कोई विशेष सुख या विशेष उपलब्धि उसको नहीं मिलती। यह तीन ऋण हैं -1.पितृऋण,2.देव ऋण,3.ऋषि ऋण या गुरु ऋण।
       1.पितृऋण-कोई भी जीव परमात्मा का अंश अविनाशी आत्मा होता है। लेकिन उसे अपनी अभिव्यक्ति के लिए किसी शरीर की जरूरत पड़ती है और यह शरीर हमें हमारे माता-पिता प्रदान करते हैं। वैसे तो माता -पिता का ऋण हम कभी नहीं उतार सकते फिर भी इंसान को कोशिश करनी चाहिए कि हमारे कुछ पुण्यों से हमारे पूर्वजों का भला हो।
2.ऋषिऋण या गुरु ऋण - माता -पिता के बाद गुरु का व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहता है। गुरु का आश्रय किसी व्यक्ति विशेष से नहीं होता बल्कि जो हमें सही-गलत का ज्ञान प्रदान करें और उन्नति के मार्ग पर ले जाएं वहीं हमारे गुरु होते हैं। लेकिन यहां पर इतना आवश्यक है कि आध्यात्मिक क्षेत्र में जो सतगुरु होते हैं एक उनके पास जाने के बाद किसी अन्य गुरु के पास जाने की जरूरत नहीं रहती।वो हमें साक्षात ईश्वर के दर्शन कराने में सक्षम होते हैं। इतना ही नहीं वो यह महसूस कराने में सक्षम होते हैं कि तुम ईश्वर से अलग नहीं हो। ईश्वर सिंधू है उससे अलग होकर तुम बिंदू हो और जैसे बिंदू सिंधु में मिलकर खुद सिंधू हो जाता है उसी प्रकार जीव भी ईश्वर से मिलकर खुद ईश्वर हो जाता है वहां ईश्वर और जीव का भेद खत्म होकर जीव और परमात्मा एकाकार हो जाते हैं।
3.देव ऋण -हमारा खुद का कुछ नहीं है जो भी हैं परमात्मा और प्रकृति का हैं। हालांकि ईश्वर सर्वशक्तिमान है लेकिन ईश्वर की ही इच्छा और उन्हीं के अंश से देवी- देवता बनते हैं। हमारे यहां कुलदेवी, कुलदेवता, स्थान देव, ग्राम देव, क्षेत्रपाल देव, अन्न देव, वृक्ष देव,जल देव,धरती मां, सूर्य देव आदि कईं देवी-देवता होते हैं। वैसे तो इंसान पूरी तरह से इनका भी ऋण नहीं उतार सकता लेकिन फिर भी इनके सम्मान के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
              अब मुख्यत:बात यह है कि लोग यह बोलते हैं कि सबकी पूजा करेंगे तो काम कब करेंगे?इसका जवाब यह है कि संसार और संसार के काम भी परमात्मा ने बनाएं हैं और एक सामान्य गृहस्थ इंसान को जीवन में 80%काम करना चाहिए लेकिन 20%पूजा -पाठ जरूरी है। एक चीज और सामने आती है कि हमें यह 20%पूजा-पाठ वगैरह कब तक करना है?इसका सटीक जवाब यह है कि जब तक हमें दुनिया में माता -पिता द्वारा दिया गया शरीर सही -सलामत रखना हैं तब तक पितृऋण उतारना है,जब तक हम चाहते हैं कि हमें ज्ञान प्राप्त होता रहें।हम अज्ञानी न रहें हमें गुरु का सम्मान करना है और जब तक हम चाहते हैं कि कुलदेवी- कुलदेवता आदि हमारे घर में मजबूती से रहकर हर संकट में सहायता करें या जब तक हमें धरती मां, सूर्य देव आदि की जरूरत महसूस हो पूजा करनी है। निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले कम लोग हैं लेकिन जब तक जरूरत है तब तक तो करें।
              हां यहां एक चीज हो सकती है जब माता-पिता खुद यह चीजें करेंगे तो बच्चों पर भी संस्कार पड़ेंगे। अभिमन्यु जैसे बालक जन्म से पहले ही सीख लेते हैं फिर भी जब बच्चा समझने लायक हो जाएं परिवार वालों को सिखाना चाहिए। मुख्यतः गृहस्थ आश्रम हमारे वेद शास्त्रों में 25वर्ष से 50वर्ष तक बताया हैं तब तक पूजना चाहिए। पहले परिवार के बड़े लोग खुद यह चीजें करें फिर शादी से पहले हर युवक-युवती को यह सब समझाकर शादी करनी चाहिए और जो लड़की की सासु मां होती है उनका भी यह विशेष रूप से कर्तव्य और जिम्मेदारी बनती है कि नईं बहु को पास में खड़े रहकर यह चीजें सिखाएं। वैसे भी वानप्रस्थ आश्रम वन में जाकर तपस्या करने और दुसरों को ज्ञान देने का होता है।अब वन में जाने वाला सिस्टम तो नहीं है फिर भी घर में रहकर अपने आचरण में तपस्या उतारें और 50वर्ष के बाद यह हमारी सनातन संस्कृति रूपी धरोहर आने वाली पीढ़ी को अपने परिवार व समाज के बच्चों में बांट दें। इससे हमारी सनातन संस्कृति बची रह सकती है। किसी बाबा, तांत्रिक के चक्कर में पड़ने से पहले खुद दिमाग चलाएं ज्ञानी बनें।
         किसी भी देवी -देवता की सवारी या हमारे स्थानीय भाषा में इसे छाया आना कहते हैं। ईश्वरीय कृपा और व्यक्ति के तपोबल से यह होता है। ऊर्जा बढ़ाने का सबका अपना -अपना कारण होता है लेकिन फिर भी मैं यह कहना चाहुंगी कि परिवार व समाज में रहने वाले सच्चे साधक या साधिका जिनके पास ऐसी कोई दैवीय कृपा हैं उनको परिवार व समाज में ऐसी जानकारी देनी चाहिए। इससे मानव और प्रकृति लाख तरह की समस्या से बच सकते हैं। इन्हीं चीजों से जुड़ी एक कहानी यहां प्रस्तुत कर रही हूं जो मैंने बचपन में सुनी थी।

       बचपन में मैंने एक कहानी पढ़ी थी। एक छोटा  बच्चा रोज अपनी दादी मां को मंदिर जाते हुए और पूजा करते हुए देखता है।वो लड़का एक दिन अपनी दादी से पूछता है
लड़का -दादी मां रोज -रोज मंदिर क्यों जाती हों?
दादी मां -इससे भगवान खुश होते हैं और हम सकारात्मक विचारों से घिरें रहते हैं। हमारे जीवन में उन्नति आती है। सफलता मिलती है।
           वो लड़का अपनी कक्षा का टाॅपर था और घर में आकर स्वाध्याय करता था और स्कूल में भी मन लगाकर खुब पढ़ता था लेकिन उस दिन के बाद पढ़ाई को छोड़कर स्कूल में भी बिल्कुल नहीं पढ़ता और घर पर भी घंटों बैठकर पूजा- पाठ करता और सोचता कि सबकुछ भगवान करेंगे।साल भर बाद रिजल्ट आया तो लड़का फेल हो गया।
फिर उसने अपनी दादी से कहा-दादी मां!आपके कहने से मैंने इतना पूजा -पाठ किया फिर भी मैं फेल हो गया।अब मैं किसी भी भगवान की पूजा नहीं करूंगा।
दादी मां ने कहा -भगवान की पूजा के साथ कर्म करने भी जरूरी है। भगवान पर भरोसा करने का अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि हम अपने कर्मों का त्याग कर दें। तुमने भगवान की पूजा तो करी और विश्वास के बजाय अंधविश्वास दिखाया कि कर्म नहीं करोगे तो भी भगवान तुम्हें सफल करेंगे। भगवान भी उसकी सहायता करते हैं जो खुद की मदद स्वयं करते हैं।
          अपनी दादी मां की बात को उस लड़के ने बहुत अच्छे से समझ लिया और सारी निराशा त्यागकर भगवान पर विश्वास करने के साथ ही कर्म करता। निश्चित समय पर पूजा -पाठ करता, निश्चित समय पर पढ़ाई करता और परिवार व समाज में अपना अच्छा समय व्यतीत करता। इससे उसका तनाव भी खत्म हो गया और सकारात्मक ऊर्जा का संचार उसमें हुआ। इसके बाद जो लड़का पहले कक्षा में टाॅपर था और फेल हुआ वहीं लड़का पुरी स्कूल में टाॅपर हुआ।
                     समझदार लोग इस कहानी से बहुत कुछ सीख जायेंगे।

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अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 https://www.instagram.com/reel/DC3BidqP6PV/?igsh=MXR3dW00eGRsOWNzYg== #हिंदी #धर्म #सनातन #सनातनधर्म #३३कोटि #जिजीविषा #सार #Instagram #Facebook #अदनासा हर हर महादेव Extraterrestrial life भक्ति सागर भक्ति वीडियो

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Suraj Sharma

🙏बुधवार के मोतीडूंगरी गणेश के दिव्य दर्शन 🙏जयगणेश #दिव्य_दर्शन #भक्ति #सनातनधर्म #शुभकामनायें #सूरजशर्मामास्टरजी भक्ति वीडियो

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Suraj Sharma

🙏पवित्र श्रावण मास के सोमवार को भोलेनाथ का नाम लेना और दर्शन कर कल्याणकारी होता है 🙏हरहरमहादेव #जयमहाकाल #ओम_नमः_शिवाय #सनातनधर्म #शुभकामनायें #सूरजशर्मामास्टरजी #सनातनधर्म हिन्दू 

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वंदे मातरम् (आदि महादेव )

Saket Ranjan Shukla

कलियुग में श्रीराम की अनिवार्यता.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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ram lalla कलियुग में श्रीराम की अनिवार्यता 

आजकल हर कोई लगाए है नारा राम नाम का,
अर्थ न जाने हर कोई अंश भर भी राम नाम का, 

राम हैं रमणीक, रमे है राम में ही ये ब्रह्मांड सकल,
पार न कुछ राम के, राम माया, राम ही सत्य अटल, 

राम व्याप्त हर कण में, हर कुछ समाहित है राम में,
काल में भी रमते राम, जीवन भी संचारित है राम में, 

राम न्यायप्रिय, मर्यादापुरुषोत्तम, आर्दशावतारी राम,
निर्गुणोपासना अधिकारी, अत्यन्त गुणकारी भी राम, 

कीर्तिवान, शौर्यवान, राक्षस वंश उद्धारक भी राम हैं,
भक्तवत्सल, करुणामयी, श्रेष्ठ प्रजापालक भी राम हैं, 

राम के नाम का रट लगाने से पूर्व राम के अर्थ को जानो,
राम नाम भजने के साथ अंशभर राम सा बनने की ठानो, 

(शेष रचना अनुशीर्षक में पढ़ें)
IG:- @my_pen_my_strength

©Saket Ranjan Shukla कलियुग में श्रीराम की अनिवार्यता.!
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Suraj Sharma

🙏ऊँ गं गणपतये नमः 🙏प्रथम पूज्य रिद्धि-सिद्धि के दातार #जयगणेश #दिव्य_दर्शन #भक्ति #सनातनधर्म #शुभकामनायें #सूरजशर्मामास्टरजी #viral #Reels #Trending

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Suraj Sharma

🙏रंग पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें 🙏शुभ शनिवार 🙏#🙏JaiShriRam #JaiBajrangBali #jaishanidev 🙏 #भक्ति #सनातनधर्म #शुभकामनायें#सूरजशर्मामास्टरजी #viral

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Suraj Sharma

🙏बुधवार को श्री सिद्धि विनायक जी के दिव्य दर्शन 🙏जयगणेश #दिव्य_दर्शन #भक्ति #सनातनधर्म #शुभकामनायें #सूरजशर्मामास्टरजी #शुभसंध्या

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Suraj Sharma

आप सभी मित्रों को होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनायें 🙏जयश्रीराम #जयश्रीकृष्णा #शुभकामनायें #जयश्रीहरि #भक्ति #सनातनधर्म #होली #सूरजशर्मामास्टरजी

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