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Himanshu Prajapati
White ख्वाब था सुबह का, शाम को भूल गया, चढ़ा था मोहब्बत का धूल एक धोखे से धुल गया..! ©Himanshu Prajapati #flowers ख्वाब था सुबह का, शाम को भूल गया, चढ़ा था मोहब्बत का धूल एक धोखे से धुल गया..! #36gyan #hpstrange
#flowers ख्वाब था सुबह का, शाम को भूल गया, चढ़ा था मोहब्बत का धूल एक धोखे से धुल गया..! #36gyan #hpstrange
read moreDeepika, Pandey
Unsplash जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में .... जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रहे ....**DP// ((up 44)) कहानी हिन्दी में// ©Deepika, Pandey #traveling कहानियों की शाम
#traveling कहानियों की शाम
read moreSakshi Pateriya
अब तो चुप-चाप शाम आती है पहले चिड़ियों के शोर होते थे ©Sakshi Pateriya शाम life quotes sad
शाम wlife quotes sad
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया, लेके जाम ढल ही गया। ढल भी जाए आई रात, अंधेरे गम जज्बात , हो लहजे -आम ढल ही गया। खाली हो जाता मैखाना भी, टूट यहां जाता पैमाना भी, क्या इंतजाम ,ढल ही गया ! ©BANDHETIYA OFFICIAL #SunSet #शाम
theABHAYSINGH_BIPIN
Unsplash इस गुलाबी शाम को बस शाम ही रहने दो, दबे जज़्बातों को मेरे अनजाम ही रहने दो। ना दिखाओ मुझे ख़्वाब जन्नत-ए-इश्क़ की, चांद और तारों को आसमान में ही रहने दो। मत छेड़ो मेरी तन्हाई के इस सुकून को, दर्द का दरिया है, इसे बहता ही रहने दो। मैं मोम नहीं, जो गले तेरी तपिश से, मैं पत्थर हूँ, मुझे पत्थर ही रहने दो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Book **इस गुलाबी शाम को बस शाम ही रहने दो, दबे जज़्बातों को मेरे अनजाम ही रहने दो। ना दिखाओ मुझे ख़्वाब जन्नत-ए-इश्क़ की, चांद और तारों क
#Book **इस गुलाबी शाम को बस शाम ही रहने दो, दबे जज़्बातों को मेरे अनजाम ही रहने दो। ना दिखाओ मुझे ख़्वाब जन्नत-ए-इश्क़ की, चांद और तारों क
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Red sands and spectacular sandstone rock formations ज़िंदगी का कोई हक़दार नहीं है, हर अब आशिक़ वफ़ादार नहीं है। साहिल से ताकता हूँ दूसरी छोर को, नाव-ए-ज़िंदगी का कोई पतवार नहीं है। इश्क़ करो और दिल महफ़ूज़ रहे, ये इश्क़ है, कोई चमत्कार नहीं है। जो जले बिन बुझा, वो चिराग़ कहाँ, दिल का दर्द अब दरकार नहीं है। फिर भी दिल में ये उलझन क्यूँ है, हर साँस में कोई तड़प क्यूँ है। शायद मोहब्बत अधूरी रह जाए, मुकम्मल इश्क़ इख़्तियार नहीं है। ये सफ़र इश्क़ का आसान नहीं, हर कदम पर एक इम्तिहान सही। पर दिल को संभालो, आगे बढ़ो, इश्क़ में मुक़ाम हर बार नहीं है। वो वक्त बीत गया 'हीर-रांझा' का, हर शख़्स अब मिलनसार नहीं है। सुबह का भूला शाम को न आता, अब मोहब्बत पर एतबार नहीं है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sands ज़िंदगी का कोई हक़दार नहीं है, हर अब आशिक़ वफ़ादार नहीं है। साहिल से ताकता हूँ दूसरी छोर को, नाव-ए-ज़िंदगी का कोई पतवार नहीं है। इश
#Sands ज़िंदगी का कोई हक़दार नहीं है, हर अब आशिक़ वफ़ादार नहीं है। साहिल से ताकता हूँ दूसरी छोर को, नाव-ए-ज़िंदगी का कोई पतवार नहीं है। इश
read moreBharadwaj Dilip
Unsplash (लड़का) चेहरा है या चांद। खिला है। जुल्फ घनेरी शाम है क्या। सागर जैसी आंखों वाली ये तो बता तेरा नाम है। (लड़की) कुत्ता है तू कमीना है। ये तो बता तुझे काम है क्या। कल ही तो पीटा था तुमको। मैं ये तो बता आराम है क्या। ©Bharadwaj Dilip # जुल्फ घनेरी शाम है
# जुल्फ घनेरी शाम है
read moreAvinash Jha
White याद आती है वो शाम याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था, आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था। हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी, हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी। गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल, उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल। दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं, वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं। सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे, हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे। खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून, जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून। वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था, हर बात में बस अपनापन था। मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था, कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था। अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है, उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है। याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन, जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम। ©Avinash Jha #याद #शाम