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हिमांशु Kulshreshtha
White किस तरह ख़ुद को तुम से ज़ुदा कर के देखूँ मैं मैं भी तो तुम ही हूँ फ़िर, किस तरह तुम से ज़ुदा हूँ मैं ©हिमांशु Kulshreshtha कैसे...
Das Motivations
malay_28
White कहीं तुम हो कहीं हम हैं मुहब्बत हो तो कैसे हो ख़ुदा अब दूर इंसां से इबादत हो तो कैसे हो ग़ुलामी दौड़ती खूँ में बग़ावत हो तो कैसे हो नहीं पहचान है अपनी अदावत हो तो कैसे हो बना पत्थर रहा करता नज़ाक़त हो तो कैसे हो ©malay_28 #कैसे हो
malay_28
लगाते रंग चेहरे पर मगर दिल में ख़लिश रहता नहीं कुछ भी असर होता किसी के सर्द पीरों का ! न जाने लोग कैसे जी रहे हैं रूह दफ़ना कर फ़क़त कुछ ऐश की ख़ातिर करे सौदा ज़मीरों का ! ©malay_28 #कैसे कैसे लोग
Gurudeen Verma
शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखक
M@nsi Bisht
इकरार न मोहब्बत तो खुशनुमा कैसे होता। हमसे बढ़ कर कोई और था। तो उनसे इश्क कैसे होता। वो सुकून को ढूंढने को बिछड़ गए ,तो अब ढूंढने से सुकून कैसे होता ।। ©M@nsi Bisht #कैसे होता
Shashi Bhushan Mishra
गर्जनाएँ हो रही आकाश में, सृजन का आवेग है मधुमास में, फूल कलियों में रवानी आ चुकी, ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, पंक से निकले खिले पंकज बने, प्रेरणा का श्रोत है उपहास में, दानवीरों की कहानी है अमर, नाम उनका दर्ज है इतिहास में, समय का उपयोग कर संदल हुए, बेवज़ह उलझे नहीं बकवास में, नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, स्वयं बढ़ चलते हैं पग उजास में, तार दिल से जुड़े हों जब प्रेम का, चाहता रखना हृदय फिर पास में, दीप घट में जले 'गुंजन' ज्ञान का, प्राप्त होती है ख़ुशी हर श्वास में, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #खिले पंकज बने#
bhim ka लाडला official