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Sagar vm Jangid
जिमि सरिता सागर मंहु जाही! जद्यपि ताहि कामना नाहीं!! तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं! धर्मशील पहिं जहि सुभाएं!! #राम लक्ष्मी की प्राप्ति और रोजगार में तरक्की के लिए इस चौपाई को हर रोज एक माला पढ़ें। जिमि सरिता सागर मंहु जाही! जद्यपि ताहि कामना नाहीं!!
दिनेश कुशभुवनपुरी
गीतिका: निर्झरणी धारा कहे नदी से बहते जाना है। पड़ा राह में पत्थर एक दिवाना है॥ आँख मूँदकर सरिता बहती राहों से। चाह यही बस मंजिल अब तो पाना है॥ वन उपवन पर्वत कितने अवरोध मिले। मात्र समंदर उसका मगर ठिकाना है॥ कल-कल करती राग सुनाती यही कहे। सागर में मिलकर अस्तित्व मिटाना है॥ जहाँ जहाँ से गुजरी भू की उपजाऊ। यही पाठ मानवता को पढ़वाना है॥ नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे जिधर बही। वहीं मिला जीवन का ताना-बाना है॥ आओ मिलकर करें एक संकल्प सभी। निर्झरणी का झर-झर हमें बचाना है॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #गीतिका #नदी #सरिता #निर्झरणी #सागर
Alok Vishwakarma "आर्ष"
वाणी मौन स्याही संग आँसू कागज़ पर कविता बन रही । ज्ञानी कौन हम तुम जिज्ञासु सरवर तर सरिता सन रही ।। #सागर #सरिता #eternal #love #yqdidi #कविता #प्रेम #yqhindi
Preet💕
तुम इत्र, महक मैं तुम मुस्कान, चहक मैं तुम बादल, मैं बरखा तुम कनक, चमक मैं तुम नदीश, मैं सरिता तुम वृक्ष, मैं लतिका तुम दिनकर, किरन मैं तुम आर्यपुत्र, मैं वनिता तुम जिस्म, मैं रूह तुम कोयल, मैं कूह तुम दिल, मैं धड़कन तुम चाहत, मैं तड़पन तुम अम्बर, मैं धरती तुम सुगंध, मैं मंजरी तुम शब्द, मैं अर्थ तुम नहीं, मैं व्यर्थ #कनक - #सोना #नदीश - #सागर, #सरिता - #नदी #लतिका - #बेल #आर्य - #पति, #वनिता - #पत्नी #मंजरी - #फूल
Parasram Arora
जीवन सरिता लम्बे समय तक बहते बहते अपने तटो को काटती रही चाटती रही और अपने भीतर समेटती रही अफ़सोस तट रक्षक ये जानते हुए भी सोता रहा जीवन सरिता ......
chahat
शब्द लिखते हुए शब्द अल्फाज बन जाते है । लिखते हुए अल्फाज जज्बात में बदल जाते है।। जज्बात यू शब्दो में लिख जाते है। कलम की नोक पर अपनी हर बात कह जाते है।। जब दर्द देते है ये शब्द तो जैसे तलवार बन जाते है। उन अल्फाजों को थोड़ा सजाकर हम शायर बन जाते है।। कभी गजल कभी कविता। आंखो से बहती सी सरिता।। जैसे दिल ए एहसास एक गागर में समा जाते है। और थामकर अपनी कलम हम बस लिखते जाते है।। हम बस लिखते जाते जाते है............. ©chahat शब्द सरिता