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U N T O L D TALKS
अजनबी हो रहे है दोनों ही, अलग अलग पते पर निकलती रेलगाड़ी, इस स्टेशन पर कभी लौटेगी नहीं. उसके शहर से लौटते है हर रोज हजारो लोग, लेकिन कभी देखा नहीं लौटती हुई प्रेमिकाओं को, प्रेमिकाओं का जाना हो चुका होता है, उनके अलविदा कहने से कहीं पहले, मैं यहीं रुका रहूँगा इस शहर मे, जबकि मेरी रेलगाड़ी चल चुकी है.. प्रेमी कहाँ जा पाते हैँ., अजनबी होने के क्रम में, उसकी रेलगाड़ी दूसरी पटरी पर विपरित जा रही है., उसकी खिड़की से चिट्ठियां बिखर रही है, मेरी खिड़की पर प्रेम., अजनबी हो रहे हैं दोनों ही, अलग अलग पते पर निकलती रेलगाड़ी, इस स्टेशन पर कभी लौटेगी नहीं... ©U N T O L D TALKS कशमकश..
_itni _si _baat _hai _vandana Upadhyay
जो चाहो उसे कह नहीं पाना जो पाओ उसे चाह नहीं पाना यही कशमकश तो जिंदगी है.... ©वंदना उपाध्याय कशमकश वंदना उपाध्याय