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Matangi Upadhyay( चिंका )
अकेले में फूट फुट कर रोना और फिर अपनी सारी परेशानी चिंता और मानसिक तनाव को झूठे मुस्कान तले दबाकर लोगों के सामने यह दिखाना की हम बहुत खुश है मेरा सारा अवसाद खत्म हो चुका है मैं अपना जीवन खुशी से जी रहा हूँ, गम क्या होता है ये हम जानते ही नहीं है हमने कभी दुःख झेला ही नहीं है लेकिन अगले ही पल मे आप बेहद गम्भीर अवस्था में होते है और गहरी सोच में चले जाते है, फिर कब सुबह होती है और कब रात, कुछ नहीं समझ पाते बस अकेलेपन में रह जाते है और ये होती है वास्तविक तकलीफ ये होती है अपने व्यक्तित्व की मौत..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) अपने व्यक्तित्व की मौत 🤔 #matangiupadhyay #Nojoto #Hindi #Life #thought
अपने व्यक्तित्व की मौत 🤔 #matangiupadhyay #Hindi Life #thought
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
read moreParasram Arora
Unsplash बड़े मज़े से हम जीये जा रहे थे जिंदगी को पर हमें क्या पता था कि मौत. के पैगाम को भी पीछे पीछे आज ही आना था ©Parasram Arora मौत का पैगाम
मौत का पैगाम
read moreF M POETRY
Unsplash ज़िन्दगी उलझी हुई पहेली है.. कैसे हल होगी ये मालूम नहीं.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #ज़िन्दगी उलझी हुई.....
#ज़िन्दगी उलझी हुई.....
read moreParasram Arora
White हवाए तों अभी भी अपनी शालीन गति से बह रहीं है इसके बावजूद उसकी साँसे रुकी हुई दिख रहीं है हो सकता है वो आदमी इतने लम्बे अर्से से साँसे लेते लेते थक गया हो और अब वो एक लम्बी नींद लेकर अपनी उस थकान को विश्रान देने की कोशिश कर रहा हो ©Parasram Arora रुकी हुई साँसे
रुकी हुई साँसे
read moresana Khan
मौत एक सच्चाई है उसमें कोई ऐब नही क्या लैकर जाओगे साथी कफन मै कोई जेब नहीं © sana Khan मौत का सच sad shayari
मौत का सच sad shayari
read moreनवनीत ठाकुर
White तेरी अदाओं से जो लिखी थी मोहब्बत की दास्तां, आज उसी किताब का अधूरा पन्ना याद आया। तेरी पलकों की स्याही से जो लिखे थे जज़्बात, उन ख्वाबों का सिमटा हुआ फसाना याद आया। तेरे लम्स की तपिश में जो पिघला था वजूद, वो टूटते सितारों का सुहाना गुमां याद आया। तेरी जुल्फों में छुपा था जो शाम का सुकून, आज उसी ढलते सूरज का अंजुमन याद आया। तेरी बातों के फूल जो खिलते थे चमन में, उनकी खुशबू का बिखरा हर जाम याद आया। तेरा नाम जुबां पर आते ही रोशन हुए, हर उस हसीन पल का गुलिस्तां याद आया। हुस्न की महफ़िल में जब तेरे हुस्न का ज़िक्र हुआ, जैसे वीरानों में किसी का सलाम याद आया। तेरे दीदार की हसरत में जो गुज़रे थे लम्हे, उन लम्हों का हर अधूरा ख्वाब याद आया।"** ©नवनीत ठाकुर #हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
#हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
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