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Rajbeer kumar
बेटा शराब कपड़ा बनाया हूं नेट बैंकिंग कैसे हैं आप लोग को पसंद आएगा तो लाइक सब्सक्राइब कर दे भाई #Shayari
read moreAshutosh Mishra
खत लिखना हम भूल गए, आया जब से फोन। चाचा चाची,नाना नानी सब हुए धूल के फूल। इंटरनेट डेस्क पर घंटों होते चैट। घंटों होती चैट, मन नहीं भरा। वीडियो काॅल की अब आई फरमाइश। कुछ दिन तो गुपचुप गुपचुप बातें,, प्रेम रस से भरे हुए और कभी तू तू मैं मैं, के भी प्रसंग छिडे। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra घंटों का काम हुआ सेकंडो में,डाकिया डाकघर का भी,,,इंतजार खत्म हुआ। खाने खिलाने घूमने घुमाने का पैसा भी बच लगा।पर हाय रे,, कमबख्त नेट सारे पै
Devesh Dixit
दीमक दीमक चट कर गई मेहनत को मेरी जिसमें संग्रह थी की गयीं वो डायरी थीं मेरी मिट्टी का पुलिंदा बना सब खा गई डायरी मेरी एक भी पन्ना न बचा ऐसी किस्मत मेरी कभी सोचा न था मैंने ऐसा होगा कभी सुरक्षित रखी थी मैनें शीशे में बंद डायरी विचार बना जब लिखने को निकालने को हुआ डायरी ऐसा झटका लगा जिया को शुध – बुध खो गई मेरी याद आते हैं पल वो जब रची थी कविता मेरी सोचा था नेट पे डालने को पर बहुत हो गई देरी कैसी – कैसी कविता मैनें रची थी जीवन में मेरी धोखा खाया ऐसा मैनें की दीमक खा गयीं डायरी मेरी …………………………………………………………………………… देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दीमक #nojotohindi दीमक दीमक चट कर गई मेहनत को मेरी जिसमें संग्रह थी की गयीं वो डायरी थीं मेरी
#दीमक #nojotohindi दीमक दीमक चट कर गई मेहनत को मेरी जिसमें संग्रह थी की गयीं वो डायरी थीं मेरी #Life
read moreFarid Alam
Sudha Tripathi
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी ट्रेन दूसरे दूरवाले नए स्टेशन पे आने वाली थी पहली बार वो स्टेशन जाना हुआ बड़ी हिम्मत करके तैयार तो हो गई लेकिन आते समय अपने याददाश्त शक्ति के क्षमता अनुसार रास्ता भूल गई एक तो इतने सारे निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से सारे रास्ते को ब्लॉक किया हुआ था सब कुछ बंद होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था किस एरिया में हूँ केवल कुत्ते की भौंकने की डरावनी आवाज हर ओर से आ रही थी मोबाइल में नेट नहीं पेट्रोल देखा तो वह भी रिजर्व..... नाइट कर्फ्यू की वजह से एक इंसान कहीं नहीं अब पूँछू भी तो किससे परिस्थितियां कुछ ऐसी थी आगे जाँऊ या पीछे जाँऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं रुक कर हर पोस्टर पर एरिया का नाम ढूंढने का प्रयास करने लगी तभी पीछे से आवाज आई क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं मेरी स्थिति क्या थी वो मैं बता नहीं सकती बहुत हिम्मत करके पीछे देखा पूरी तरह से कवर केवल आँखे दिख रही थी दोनों स्थितियां चल रही थी एक ओर आशा की किरण तो दूसरी ओर........ मैंने कहा भाई साहब रेस कोर्स अभी कितनी दूर है यहां से उन्होंने कहा बेन बहुत आगे आ गए हो आप उन्होंने मुझे समझाया मुझे नहीं पता नाईट कर्फ्यू में वो कहां से आये मैं इतनी अधिक डरी हुई थी कि जल्दी जल्दी मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके बताए गए रास्ते से जब रेसकोर्स के आसपास आई तो मेरी जान में जान आई घर पहुंच कर आधे घंटे लगे होंगे मेरी धड़कनों को सामान्य होने में और उस दिन समझ में आया अंधेरा क्या होता है? सन्नाटा क्या होता हैं?कुत्तों का भौंकना कितना भयानक होता है? अनजान रास्ते पर अकेले इंसान का मिलना क्या होता है? रास्ता भूल जाना क्या होता है? और भी बहुत सारी बातें.... ©Sudha Tripathi मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह #ज़िन्दगी
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