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Kush Gupta
आज वो खिड़की पर न आई, कोई बात है क्या, खिड़की बंद है उसकी सुबह से, कोई बात है क्या! कुश ©Kush Gupta #Shajar खिड़की
Anees "Rahi"
एक दरीचे को मैं खड़ा तांक रहा था वहीं खिड़की से कोई झांक रहा था एक अरसे से बंद थे उस घर के दर कब से उस गली की छान ख़ाक रहा था यूं ही शाय़द वो छुप कर रहा है मुझसे मेरी हिम्मत मेरा सब्र वो आंक रहा था जुदाई तो मौत के मुहाने पर ले आई मुझे इश्क़ ही मेरी जिस़्त का रथ हांक रहा था ©Anees Rahi #Glazing #खिड़की #यादें #राहीma
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
Jagdish Pant
फूल देई का त्यौहार था, मैं फिर भी बैठा अकेला था । चारों तरफ़ हर्षोल्लास था, मैं अकेला बैठा निराश था । जब मैने चारों तरफ देखा , तब पता चला कि मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में बैठा अकेला उदाश था ।। ✍️ Jagdish Pant आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।
Sarita Kumari Ravidas
इक उम्मीद की खिड़की खोली है आज इल्म न कल क्या होने को है इक रौशनी दूर कहीं से झांक रही है व्याकुल सा उत्सुक मन क्यूं हो रहा है। ©Sarita Kumari Ravidas #Glazing उम्मीद की खिड़की ❣️