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Sonica Itagi
"Go on your path, even if you live for a day.” ©Sonica Itagi #Path
Aman Singh
हमें तो इंतज़ार से मतलब है बाकी तुम्हारी मर्जी मिलो या नहीं.! mehwi..😞😞😞 ©Aman Singh #Path
महज़
सारी की सारी गलतियों पर उसकी पैनी नज़र है। दिखता नहीं वो, मगर उसे हर आत्मा की ख़बर है। ©महज़ #Path
Anil Kumar Baghpat Up
लहरों ने तूफानों से जरूर रिश्वत खाई होगी तब जाके कहीं वो बेकसूर कश्ती डुबाई होगी ©Anil Kumar Baghpat Up #Path
Ashish Tripathi
पाया है गर मिज़ाज बादलों जैसा आवारगी से खूबसूरत कुछ भी नहीं सच है कि श्रृंगार जरूरी है मगर सादगी से खूबसूरत कुछ भी नहीं आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi #Path
joya
शिकायत तो मुझे भी है तुमसे ए-जिंदगी, पर कहा इसलिए नहीं क्योंकि, जो दिया तुने वो बहुतों के नसीब में नहीं। ©joya #Path
sayrana mizaz
२०१६ से वो दिल पे कब्जा की थी ! २०२४, में उसकी सगाई हो गयी !! जिसे देखे बिन एक दिन न गुजरा मेरा, अब वो भी हमें छोड़, पराई हो गयी!! 🥹♥️ ©sayrana mizaz #Path
राहुल Shiv
प्रश्न ये की अगर गौतम बुद्ध किसी के प्रेम में पड़े होते तो क्या निर्वाण को प्राप्त हो पाते..? महलों का वैभव तो त्याग दिया था.. क्या प्रेम से विरक्त हो पाते। क्या तज पाते प्रेयसी को पत्नी की तरह । बंध पाते वैराग्य में प्रेम से मुक्त होकर। कर पाते ध्यान किसी और आराध्य का । आँख बंद करते, वही मूरत दिखाई देती ध्यान तो छोड़िए, सो भी नही पाते और हर दिन कोरी आंखों सवेरा होता। जब सवार होती वेदना रूपी प्रताड़ना, तो ज्ञान का बोध चुनते या साथी का । प्रेम के निम्तम रूपों मोह, आकर्षण, वासना पर तो उन्होंने पार पा लिया था। दूसरों से मिले प्रेम को तो उन्होंने भावनाओं का ज्वार समझ कर नकार दिया। लेकिन एक बार अपनी समस्त इन्द्रियों को साक्षी मानकर उन्होंने अपने चंचल ह्रदय में अगर किसी को बसाया होता..सुना होता किसी की सांसों का संगीत..बिताये होते एकांत के कुछ पल हाथों में हाथ लेकर..तो उनके मोक्ष के मायने बदल गए होते। अगर मन हुआ होता रक्तरंजित अपने प्रिय के इंकार से ..होता कभी जो प्रणय निवेदन अस्वीकार.. ह्रदय बिखरा होता छलनी होकर.. तो उन्हें मौन से ज्यादा मृत्यु, मुक्ति का मार्ग लगती। हर स्मृति, हर कल्पना, हर भाव बस एक ही विंदु पर आकर सिमट जाती ..और वो केंद्र विंदु होता प्रेम । ये शायद नियति ही थी कि गौतम बुद्ध के ह्रदय में प्रेम के बीज नही पड़े वर्ना विश्वास कीजिये वो सिदार्थ से गौतम तो हो जाते..पर शायद कभी बुद्ध नही हो पाते। ©राहुल Shiv #Path
aarav
खलिश या बैचेनी या किसी बात की अनहोनी, क्यों होती है सजा मुकर्रर शिद्दत से चाहने वालो की कोई टूटकर चाहे सबकुछ भूलकर चाहे क्यों होती है बेचैनी नरम बातों की राहों पर खलिश बयां करती है कि कोना फिर से खाली हो गया परिंदा खाली घरोंदा कर गया किस्मत के लेखा जोखा को साथ मे लेकर उड़ गया ©aarav #Path