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Sanchita DILIP Kekane
Rainet कहानी गांव में रहने का होता अलग ही मजा, उसकी अलग ही कहानी... अगर ना हो रोज रोज की network जाने वाली परेशानी...😅 बारिश हो ज्यादा या हो कम, झटसे जाता है network... Irritation तो तब होती है जब हो online classes और ऑफिस work ... यही क्या कम है कि उसमे, पता नही light को भी क्या होता है...🤷 थोडिसी हवा क्या आने लगी तुरंतही चला जाता है...🤦 हवा हो या बारिश light और network, एक minute में जाता है... आते time पता नही कौनसे speed me आता है... या तो कुछ घंटे लगते है या फिर पूरा दिन निकलता है... 😓 शायद से वो भी हमारे Patience देखता है... तभी तो working days में 2mbps और छुट्टी के दिन 20mbps के speed से चलता है... खैर अभी तो वापिस जा रही हूंl तो train में बैठे, याद आई बीते 14 दिनों की network वाली परेशानी... तो सोचा क्यूं ना लिखे ईसपे ही थोड़ा, ये तो है हर गांव वालों की कहानी...😂 -संचिता केकाणे ©Sanchita DILIP Kekane #रेन #droplets
dilki feeling143
बारिश की एक बूंद,,, एक शाम बारिश की बूंदों ने,,, मेरे उदास चेहरे को देखकर,,, मेरी खिड़की पर दस्तक देकर बोली,, नटखट सी निगाह और गंभीर सी,, आवाज में बोली कहां गई,,, वो तेरी बचपन की शरारत,,, मेरे बरसने पर तेरा वो यूं ही घंटो तक,, झूमना नाचना गाना,, तेरा मन मोर की भांति खुशी से झूम उठता था,,। कहां खो गया वह सब,,, फिर मेरी तरफ देखकर गंभीर आवाज में बोली,, शायद बड़प्पन और जिम्मेदारियों की,,, चादर ओढ़ ली तूने अब,,,। या इश्क में घायल और टूट चुका है,,, तेरा दिल अब शायद,,,। बारिश की एक बूंद,,,। #nojot #रेन #barshi
Parm the Life explorer
कुदरत ने जीवन दिया सबको आजादी से जीने के लिए, इंसान ने गुलाम कर लिया सबको अपनी जरूरतों को मिटाने के लिए, कुदरत ने करबट ली गुलामो को आजादी दिलाने के लिए, आजाद इंसान को घरों में कैद कर दिया अपनी बात मनवाने के लिए।। कुदरत बनाम इंसान
नि:शब्द अमित शर्मा
India quotes वो लोग और थे जो मर मिटे वतन पे, आज तो देश प्रेम 26 और 15 तारीख़ का मोहताज़ है जिनके नाती दम भरते है ना देशभक्ति का आजकल ये सीमा विवाद उनके नाना की ही पुरानी ख़ाज है देश के हबीब बनो रक़ीब बहुत बने बैठें है तुम्हारी गंदी राजनीति के कारण जवान शहीद हुए बैठें है निःशब्द अमित शर्मा✍️ #राष्ट्र बनाम राजनिति
Parasram Arora
क्या कहा जाये उस आदमी को .. जिसमे अच्छाई और बुराई दोनों का वजूद मौजूद है ...अच्छाई उसके सपनो को जागरूकता में बदलती है .... जबकि बुराई उसकी जागरूकता को सपनो में तब्दील करने के लिए सदैव तैयार खड़ी रहती है ....... अच्छाई. बनाम . बुराई
Vishal chaubey Agyat
मेरे अंदर का बच्चा " सुबह माँ की थपकी से होती शाम में ही अपनी रात हो लेती माँ का आँचल छांव देता पिता का हाथ सहारा देता दिन और रात सब बेमतलब होते सबका प्यारा दुलारा होता न बेमतलब की चिंता होती न ही कोई जिम्मेदारी होती दादा जी की साइकिल ही अपने लिए बड़ी सवारी होती हालाँकि की अभी बच्चा ही हूँ सिर्फ माँ और पिता के नज़र में लेकिन हमको खबर भी है गुज़र गया बचपन बीते कल में सही भी है समय की सीमा उम्र में आगे बढ़ता जाऊँ जैसा बचपन मैंने जिया वैसा बचपन किसी और को दे पाऊँ " -विशाल चौबे अज्ञात जौनपुर उत्तर प्रदेश बचपन बनाम युवा