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F M POETRY

#मेरी तकलीफ का आलम..

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White मेरी तकलीफ का आलम न पूंछो..

मैं तन्हाँ हूँ मुहब्बत के सफर में..


यूसुफ़ आर खान.....

©F M POETRY #मेरी तकलीफ का आलम..

Nandini Yadav

हम जैसों का ठिकाना ना रहा

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White हम जैसों का ठिकाना ना रहा इस दौर में मोहब्बत का  ज़माना ना रहा मोहब्बत चांद रूपयों की मोहताज हो गई है इस ज़माने में सच्चे मोहब्बत का अफ़साना ना रहा हम जैसे दीवानों के रहने का कोई आशियाना ना रहा कहां-कहां भटकते रहेंगे हम काफिरों की तरह इस ज़माने में हमारा कोई अपना ना रहा

©Nandini Yadav हम जैसों का ठिकाना ना रहा

F M POETRY

#ये कौन कह रहा है....

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White ये कौन कह रहा है कि अब तक मैं घर में हूँ..

कब का निकल चुका हूँ मैं अब तो सफर में हूँ..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #ये कौन कह रहा है....

Sarfraj Alam Shayri

#Sad_Status बिकती है ना ख़ुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है... लोग गलतफहमी में है कि शायद कहीं मरहम बिकता है..!!

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White बिकती है ना ख़ुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है...

लोग गलतफहमी में है कि शायद कहीं मरहम बिकता है..!!

©Sarfraj Alam Shayri #Sad_Status बिकती है ना ख़ुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है...

लोग गलतफहमी में है कि शायद कहीं मरहम बिकता है..!!

बदनाम

शायद

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White तेरे जाने के बाद 
काश कुछ बदला होता,
रोज साम ढलती है
अंधेरा भी होता है
या तो चिड़िया चहकना बंद कर देती
या आसमान से फूल बरसते
नहीं तो शरीर सास लेना बंद कर देता
सब कुछ वैसा ही चलता आ रहा है
जैसे चलता आ रहा था
हा कभी सांसे भारी लगने लगती है
और गले से निवाला नहीं निकलता
शायद में बूढ़ा हो रहा हु
या शायद
 आइना झूठी तस्वीरें दिखाता हैं

©बदनाम शायद

jaiveer singh

#sad_qoute शायद

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White  हजारों गम छुपा लेते हैं हम
मुस्कान में शायद।

कोई मायूस रहता है 
मेरी पहचान में शायद।।

मेरे बारे में लोगों को 
गलतफहमी सी रहती है।

नहीं दुखता है मेरा दिल किसी 
नुकसान में शायद ।।....

©Jaiveer Singh #sad_qoute शायद

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#शायद

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White थम गया ज़िन्दगी का एक सिलसिला शायद।
कर लिया खुद का ग़लत एक फैसला शायद।
मिल नहीं पा रही मंजिल तलाश थी जिसकी-
चुन लिया हमने  ही  ग़लत एक रास्ता शायद।

वक्त करने लगा अभी है कुछ दग़ा शायद।
या कि होने लगा है कम ये हौसला शायद।
मात खाने लगा हूँ मैं तो हर एक बाज़ी में-
दाँव पड़ने लगा है सब अभी उल्टा शायद।

जो कमाया था नाम हो रहा फ़ना शायद।
हो गया था मैं आप ही से बदगुमा शायद।
मिट रहा है वजूद धीरे-धीरे अब तो मेरा-
लोग कहते है जोश अब नहीं रहा शायद।

रिपुदमन झा 'पिनाकी '
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #शायद

Bhupendra Rawat

#good_night बुरा वक़्त अब बेखबर हो रहा है माँ की दुआओं का शायद असर हो रहा है ना जादू है, ना दवाओं का इल्म है उसके पास दर्द भी माँ की दुआओं

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White बुरा वक़्त अब बेखबर हो रहा है
माँ की दुआओं का शायद असर हो रहा है
ना जादू है, ना दवाओं का इल्म है उसके पास
दर्द भी माँ की दुआओं  से अब बेअसर हो रहा

©Bhupendra Rawat #good_night बुरा वक़्त अब बेखबर हो रहा है
माँ की दुआओं का शायद असर हो रहा है
ना जादू है, ना दवाओं का इल्म है उसके पास
दर्द भी माँ की दुआओं

RUPESH Kr SINHA

सच है ना ये

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Urmeela Raikwar (parihar)

ना कल सुकून था ना आज

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