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Guri
ये शहरों की रौनक जो तुम देख रहे हो.....😔 इन्होंने ही मुझको लूटा इसीलिए आज मुझे अंधेरों में देख रहे हो....✍️ Guri #शहरों
Ajay Daanav
हृदय से उपजे विचार हो तुम शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम करती हुई झंकृत मन-वीणा सातों सुरों की झनकार हो तुम हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी कविता का मेरी सार हो तुम हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
Akash Chaudhary
प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते जो कभी वृक्ष के वक्ष से कलाएं करते थे, कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर गुजरी, मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया उनके पैरों के निशान, क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको परिभाषित करो, क्या नहीं बताना चाहते मुझे अपने प्रेम के विषय में, तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं, तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद आयी होगी, चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं जब चाहना तब दास्तां सुनाना......, तुम्हारा मौन समझता हूं मैं, तुम बता रहे हो शायद मुझे प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता वो होता है बस ,बस होता है।। ©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी गगन चुम्बी इमारतों में हवा पर भी पहरेदारी है सजती है शहरों में गरीबो को चिढ़ाती है विलासिता के सब सामान मौजूद किसी का हक तो मारती है चुराकर सपने किसी के राग रागिनी गाती है पहरेदारी इतनी चिडियाँ भी पर नही मारती है सोचे इतनी संकीर्ण किसी की मदद में हाथ नही बढ़ाती है तोड़ती है सब परम्पराये लोगो की भावनाओ से खेलकर इंसानियत शर्मशार करती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" सजती शहरों में गरीबो को चिढ़ाती है #vacation
Shashank मणि Yadava "सनम"
भले बड़े बन जाओ यारों, लेकिन माँ को याद रखो।। मंदिर जाने से बेहतर है, माँ को अपने पास रखो।। माँ के प्यार, दुआ से बढ़कर, न कोई भगवान है।। जिसने माँ को मान दिया, वो सबसे सुखी इंसान है।। प्रभु पूजा की ख्वाहिश यारों, जब भी मन में लाता हूँ।। सच कहता हूँ यारों तब, मंदिर मस्जिद न जाता हूँ।। अपनी माँ की ममता के, आँचल में मैं सो जाता हूँ।। ©Shashank मणि Yadava "सनम" #Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ
Pankaj
शहरों में आजकल छूने पे है सजा गांव चलो खुली छूट खुला है मजा ©Pankaj शहरों में आजकल
Sushil Singh
कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो ©Sushil Singh #City भीड़ भरी शहरों में भी अकेला पाया खुद को
rajuprajapati
हमने देखा कि,शहरों की लाइफ ,ऐसा है जैसे ,पिजड़े में बैठा कोई पछि। ©rajuprajapati शहरों की लाइफ #WatchingSunset