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Saurav Das
एक दाग है जो सिने में छूपाया है! ये सराहना देने कौन आया है? जिसे मालूम नहीं संघर्ष का मतलब! वो ज़िन्दगी को परिभाषित करने आया है!! ©Saurav Das #ज़िन्दगी #परिभाषित #Light
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चंचल सी हुँ मै , थोडी शोख सी हुँ मैं , हाँ थोडी - थोडी निर्मल नदी सी हुँ मैं , गंभीर सी हुँ मैं , थोडी दृढ़ सी हुँ मैं , हाँ थोडी - थोडी चट्टान सी हुँ मैं , नाजुक सी हुँ मैं , थोडी कठोर सी हुँ मैं , हाँ थोडी - थोडी काँटो मे खिली गुलाब सी हुँ मैं , माँ हुँ , बेटी हुँ , बहन हुँ , पत्नी हुँ , हाँ थोडी - थोडी प्रेमिका सी हुँ मैं , विशाल सी हुँ मैं , थोड़ी उदार सी हुँ मैं , हाँ थोडी - थोडी नीले आँसमाँ सी हुँ मैं , पूज्नीय हूँ , वंदनीय हुँ , जननी हुँ मैं , हाँ थोडी - थोडी उस खुदा की मुरत सी हुँ मैं ...।।। #हाँ #प्यार #को #परिभाषित #करने #वाली #नारी #हुँ #मैं ©Lovely Sony® #life® #Happiness
अविनाश पाल 'शून्य'
चन्द शब्दों में बयां कर दूँ तुम्हें "माँ" इतनी मेरी औकात कहाँ ? कई खगालीं हैं मैनें किताबें पर तुम्हें परिभाषित कर दे ऐसी कोई किताब कहाँ ? ©अविनाश पाल 'शून्य' #माँ #अविनाशपाल #शून्य #किताब #परिभाषित #माँ_का_प्यार #MothersDay2021 ऋतेष LR Motivation Life Coach PREM Kumbhkar Asgar Ali Warsi kuwal 7754005958 Kharoud
Saurav Das
मेरे साथ मुस्कुराते हुए अपने गम को छूपा लेती है, दूसरों की नज़र न लगे,अपने आचल में छूपा लेती है! हमेशा जीत माँ की हुई है हर परिस्थिति से लड़ने में! लाखों,करोड़ो शब्द कम पड़ जाएंगे, माँ को परिभाषित करने में!! ©Saurav Das #शब्द #कम #है #माँ #को #परिभाषित #करने_में #माँ_दिवस्_की_हर्दिक
Srmili💘
सुनो तुम मेरे लिए क्या हो ये न जाने कितनी बार मैं तुम्हें कह चुका हूँ,लिख चुका हूँ,महसूस करवा चुका हूँ।लेकिन आज मैं तुमसे सुनना चाहता हूँ कि अब तक तुमने कितना महसूस किया है मेरे प्रेम को।बताओ ना क्या हो तुम मेरे लिए? मुझे तुम्हारा नहीं अपना प्रेम आँकना है तुम्हारी नज़रों में❤️❤️❤️❤️ तुम्हारे लिए मैं एक #समाधि हूँ शायद वो समाधि जिसमें समाधिस्त होकर तुम जीवन के उस परम सत्य रूपी शब्द को यूँ उच्चारित करते हो जैसे एक शिशु अपनी माँ को आवाज़ लगा कर स्वयं के लिए सबसे सुरक्षित आग़ोश माँगता वो शब्द है प्रेम❤️❤️❤️❤️ प्रेम ही ऐसा शब्द है जिसे जितना #परिभाषित किया जाए उतना ही और परिभाषित करने की संभावना बन जाती है। हम सब किये जा रहे हैं प्रेम को परिभाषित लेकिन सत्य तो ये है प्रेम शब्दविहीन होकर ही समझ में आता है❤️❤️❤️❤️ प्रेमी जीवन का रहस्य भले न जान पाएं लेकिन जीने का रहस्य उनके समक्ष ज़रूर खुल जाता है।जीवन के तमाम झंझावातों के बावजूद प्रेमी मन उनसे लड़ने का हौसला प्रेम से पा लेता है❤️❤️❤️❤️ उस प्रेम को तुमने पा लिया है , अगर हां तो तुम भाग्यवान हो❗ ❤️ __yAsh💘शर्मिली
Micku Nagar
-------------------------- वो देर तक देखते है मुझे थोड़ा रुक कर सोचते है मेरी आंखो में झांकने की कोशिश करते है फिर संभलकर भविष्यवाणी करते है मेरे कपड़े बेतरतीब है मुझमें बालों को संवारने का सलीका नहीं हैं। मेरे शब्द तीखे चुभते है। मेरे चुनाव किसी के पल्ले न बंधते। मेरे बहुत कम मित्र है, मुझसे नाजुक रिश्ते संभाले नहीं जाते। मुझे अंधेरा पसंद है मुझे अकेलापन रास आता है। में खामोशियों में.... खुद से बातें करता हूं। मानसिक स्तर बदलता रहता है । खुद से नाराज़ रहता हूं। मैं #असामाजिक हूं। मुझमें बनावटीपन और दिखावा नहीं है मैं खुद को और करीबियों को खुश रखता हूं। सबको लगता है ....सबने कहा.... हां , मैं #पागल हूं मुझे #पागलपन पसंद है क्योंकि ....... मैं ...... आसानी से #परिभाषित नहीं होना चाहता। ---------------------- .----- मुकेश ------. #मुझे#खुद#से प्यार #है।
Monu Kumar Baitha
#OpenPoetry प्यार क्या है ? नीचे कैप्शन में व्याख्या है। #OpenPoetry आज सुबह-सुबह जब मैंने Nojoto App(Poem, Shayeri,quotes etc. for New Writers) खोला तो एक नोटिफिकेशन आया जिसमें एक सवाल था कि-: प्यार क्या है? फिर सोचते-सोचते "प्यार" शब्द को परिभाषित करने में लग गया। वैसे तो 'प्यार' को परिभाषित नहीं किया जा सकता है,यह तो अनन्त है।फिर भी अलग-अलग नजरिये और उम्र के पड़ाव से 'प्यार' को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है। बचपन में माँ-बाप के लार-दुलार से लेकर दादा-दादी,चाचा-चाची,नाना-नानी,भाई-बहन से जो स्नेह मिलता आया है वो प्यार है।कभी कुछ गलती करने प
Sonia Rai
'माँ' एक ऐसा शब्द जिसे परिभाषित करना आसान नही माँ तो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को परिभाषित करती है मां है तो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को परिभाषित किया जा सकता है माँ सृष्टि का आधार है माँ जीवन का सम्पूर्ण सार है!! #NojotoQuote #nojoto
Vibhooti Gondavi.
कैसे लिखूं, माॅ पर, निःशब्द हो जाता हूं मैं, ज्ञान शून्य हो जाता हूं मैं । कैसे लिखूं, माॅ पर, कोई शब्द ही नही, जो माॅ को परिभाषित कर सके । कैसे लिखूं, माॅ पर, माॅ के त्याग को, कोई परिभाषित कर सकता नही । कैसे लिखूं, माॅ पर, माॅ के दर्द को, कोई परिभाषित कर सकता नही । माॅ वो कल्पवृक्ष है, जिसकी छांव में ही ये जीवन गुलजार है, नही तो ये जीवन, बेजान है । --विभूति गोण्डवी 7800044130 #मॉ