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Srinivas
कौशल की धार और मेहनत का वार, हर कठिनाई को करता बेकार। ©Srinivas कौशल की धार और मेहनत का वार, हर कठिनाई को करता बेकार।
कौशल की धार और मेहनत का वार, हर कठिनाई को करता बेकार।
read moreParasram Arora
Unsplash भक्त और भगवान का रिश्ता दिख जाता है कभी कभी मंदिरो मे अच्छा लगता भगवान को अगर उसे तुमने अपने घर बुला कर पूजा होता ©Parasram Arora भक्त और भगवान का रिश्ता
भक्त और भगवान का रिश्ता
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है कभी समाजिक व्यवस्था का चलन कभी पंचायते न्याय करती थी राजा रजवाड़े सब आये और गये मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है प्रतिनिधि सब जनता के होते है नीयत और सेवा का भाव हो तो कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो
#Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो
read moreJeetal Shah
White दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा। साग-सब्जियों की बहार, और गरमा-गरम सूप का आनंद, सर्दियों की रातों में भी, दिल को गरम रखने का मौसम। क्रिसमस की धूम, और सांता क्लॉज़ की कहानी, एक्समास ट्री की सजावट, और चर्च में प्रार्थना की धुन। साल के अंत में, नए साल का स्वागत, 365 नए दिन, नए विचार, नए लक्ष्य, और नए सपने। भूल जाने को पुराने दिन, और नए साल की शुरुआत, नए संकल्पों के साथ, और नए जोश के साथ। दिसंबर की सर्दियों का जादू, हमें नए साल की ओर ले जाने का एक मौसम। ©Jeetal Shah #poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।
#poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।
read moreParasram Arora
Unsplash सभ्यता क़ी छीद्रित टोकरी को उलट कर अब न जाने उसमे क्या कुछ संग्रहित करने क़ी चेष्टा क़ी जा रहीं है सस्कृति का धुँवा अब विषैला हो चुका और समपूर्ण राष्ट्र के वातायन को कालीख पोत कर स्याह करने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है इसके बावजूद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है ©Parasram Arora सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ
सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ
read moreVinod Mishra
neelu
White लिखने का समय अलग होता है पढ़ने का समय अलग होता है और समझने का समय और भी अलग होता हैi लिखते रहिए पता नहीं ...किसको क्या पढ़ना है कहते रहिए पता नहीं.. किसको क्या सुनना है ©neelu #sad_quotes #लिखने का समय अलग होता है पढ़ने का समय अलग होता है और समझने का समय और भी अलग होता हैi लिखते रहिए पता नहीं ...किसको क्या पढ़न
#sad_quotes #लिखने का समय अलग होता है पढ़ने का समय अलग होता है और समझने का समय और भी अलग होता हैi लिखते रहिए पता नहीं ...किसको क्या पढ़न
read moreVinod Mishra