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Sunil Kumar Sharma
यातायात नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है और दुर्घटना से देर भली है। ©Sunil Kumar Sharma #trafficcongestion #NojotoHindistory #यातायात............
Umend Mahilange
विभाग - कौशल विकास तकनिकी शिक्षा रोजगार एवं प्रशिक्षण (शास. आईटीआई ) पद - (मेहमान प्रवक्ता) प्रशिक्षण अधिकारी लघु वेतन- मात्र 10000₹ (7 माह से अप्राप्त ) पता नहीं अगर 15-20 हजार होता तो कितने सालो का नहीं मिलता वेतन??? ज़ब वेतन देने की औकात नहीं है तो काम क्यों बराबर लेते है ज़ब आर्थिक स्थिति ही खराब होगी तो काम बराबर कैसे रहेगा. बीप.. विभाग #शर्मनाक विभाग
Gurudeen Verma
शीर्षक - यातायात के नियमों का, पालन हम करें -------------------------------------------------------------- (शेर)- बहुत अनमोल है जिंदगी, यह मत भूलो तुम। किसी वाहन दुर्घटना में, नहीं जान गंवाओ तुम।। रखो सारे दस्तावेज वाहन के,वाहन चलाते समय। और यातायात नियमों का पालन ,करो हमेशा तुम।। ----------------------------------------------------------------- यातायात के नियमों का, पालन हम करें। वाहन चलाते समय, यह ख्याल हम करें।। यातायात के नियमों का------------------।। बिना हेलमेट बाइक, नहीं हम चलाये। बिना सीटबेल्ट गाड़ी, नहीं हम चलाये।। सीटबेल्ट, हेलमेट से, बचती है जिंदगी। ऐसी बातों का प्रचार, जनता में हम करें।। यातायात के नियमों का----------------।। मार्ग हो कैसा भी, नहीं हो ऐसी गति। वाहन, लोगों और खुद को, पहुंचे क्षति।। तेज गति से भी होते हैं, बहुत एक्सीडेंट। वाहन गति का ख्याल भी, जरूर हम करें।। यातायात के नियमों का------------------।। नशे में नहीं हो, वाहन चलाते समय हम। नहीं फोन में व्यस्त हो, वाहन चलाते हुए हम।। कागज भी वाहन के, पास में हम रखें। हरी, लाल, नीली बत्ती का,ख्याल हम करें।। यातायात के नियमों का--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #यातायात के नियमों का पालन
RAKESH KUMAR. SINGH
सतीश तिवारी 'सरस'
डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर जो एक अकेला आदमी गुलमोहर की तलाश में नंगे पाँव जा रहा है व्यवस्था का सूरज सबसे अधिक उससे ही घबरा रहा है। ''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार ©सतीश तिवारी 'सरस' #व्यवस्था
Shailendra Anand
रचना दिनांक ४,,,,४,,,2024,,, वार,, गुरुवार समय सुबह पांच बजे ््््््निजविचार ्््् ्््््छाया चित्र बहुत सुंदर लगते है कथन सच्चाई यह है,, कि वह राहगीर और राहगीरों को राह दिखाने वाले नगर शहर महानगर में यातायात व्यवस्था नियम और कानून व्यवस्था और नागरिक सम्मान ््््् ्््््् नगर सूरक्षाप्रहरी लगे निरन्तर प्रयास में घटनाओं से अवगत होकर दूर्रघटनासे पीड़ित आम नागरिक का जीवन रक्षक प्रणाली सुधार है ।। यातायात पर गतिरोध दूर हो मुसाफिर पर जिंदगी का रक्षक के भांति सुरक्षा कवच शक्ति सैनिक है आन बान और शान है,, मेरास्वाभिमान हिन्दूस्तान है यह मंत्र शक्ति कवच शक्ति ईमानदार अफसर और जवान है।। बाढ आंधी तुफान प्राकृतिक आपदाओं से सदैव तत्पर चौकस मुस्तैद है ,, मानवता पर जिंदगी में अर्जुन लक्ष्य है।। नगर और चौराहे पर सिग्नलों पर निर्भर करता है,, जीवनसाथी जीवन का परिवार परिचय है सूरक्षा है का जीवन रक्षकता में सजग प्रहरी है ।। रक्षा पंक्ति में भावचित्र खिंचती हुई़ तस्वीर मेरे नगर और कस्बे कीमहानगर की ओर हम हमारे साथ सबका साथ सबका विकास,, सहयोग भागीदारी में ही जरुरी है जिन्दगी लाजवाब है।। श्रद्धा और आस्था और चिंतन में एक स्वर में यातायात पुलिस और प्रशासन कर्त्तव्य परायणता में शंख नाद विगूल फूंक दिया है ।। हम नागरिकको में भी हो अपने दायित्वों का अहसास हो तो,, वह जुनून और प्रेरणा से जन्मा विचार ही सुन्दर जीवन सफल हो का नारा बुलंद हो गया है।। आवो कदम उठाए बढाये उन्नति के लिए सब कुछ सबक लेकर सड़क सप्ताह मनाया गया,, लक्ष्य से और भारत में सबसे विश्वसनीय सेवा में सर्व श्रेष्ठ सेवाएं हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। ्््््् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 4,,,,,4,,,,2024,,, ©Shailendra Anand #trafficcongestion नगर महानगर और यातायात व्यवस्था और सिग्नल पर ख्यालात अच्छे रहे ्््भावचित्र शीर्षक है फोटू खिंचते हुए ्््््कवि शैलेंद्र आनं
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था