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RAVI PRAKASH

#Thinking हिचकी को हर बार मोहब्बत ना

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White हिचकी को हर बार मोहब्बत ना समझो क्योंकि कभी कभी मौत भी याद करती है।

©RAVI PRAKASH #Thinking हिचकी को हर बार मोहब्बत ना

rajeshwari Thakur

#andhere#आखिरी सांसहॉरर स्टोरी

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कौन हैं वो लड़की? 
वो चुप चुप सी क्यूं हैं?
इक राज छुपाए अपने दिल में, 
वो गुमसुम सी क्यूं हैं।

लेगी वो बदला, 
बदला लेगी वो, उस हर कातिल से,
जिसने उस लड्की की हंसी को, 
दर्द में भींगाई हैं।

वही आसमां, वही जमीं होगी, 
रात भी वैसी,बात भी वैसी ही होगी
उसी जगह, वही भंयकर शोर होगा
बदले में सब कुछ खामोश होगा।

धर्म होगा, मर्ज होगा, 
बांकि था वो फर्ज होगा।
बड़े दिनो के बाद आज, 
उस दिल का दर्द कम होगा।

दौड़ी थी वो ,चीखी थी वो, 
लेकिन रहम न किसी ने दिखलाई।
आयी, आयी, आयी, आयी 
अब उस हत्यारे कि बारी आई।

©rajeshwari Thakur #andhere#आखिरी सांस#हॉरर स्टोरी

hemlata25011964gmailcom

#Sad_Status आखिरी मजिल # nojoto#

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Srinivas

एक बार जलना तक़दीर थी, दूसरी बार जलना तेरी भूल होगी। जो आग लगा चुका, वो बुझाने नहीं आएगा!

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एक बार जलना तक़दीर थी,
दूसरी बार जलना तेरी भूल होगी।
जो आग लगा चुका,
वो बुझाने नहीं आएगा!

©Srinivas एक बार जलना तक़दीर थी,
दूसरी बार जलना तेरी भूल होगी।
जो आग लगा चुका,
वो बुझाने नहीं आएगा!

Harpinder Kaur

# आ फिर से एक बार......

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White कुछ तो शेष बचा है 
तेरे मेरे दरमियान
चल बैठ कर आपस में बांट लिया जाए
अपना हिस्सा मुझे देना तुम
और मेरा हिस्सा तुम रख लेना
कुछ यूं ही जिंदगी को काट लिया जाए
यादें तो चलती रहेंगी उम्र भर के लिए
आ मरने से पहले एक दूजे को 
गले लगा लिया जाए
याद तो होगा तुम्हें सुधा और चंदर का प्रेम 
आ एक बार फिर 
अब खुद को गुनाहों का देवता 
बना लिया जाए
आ बिछड़ने से पहले 
एक दूजे को गले लगा लिया जाए

©Harpinder Kaur # आ फिर से एक बार......

ranjit Kumar rathour

आखिरी दिन

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अब नहीं आओगी न 
फिर कभी 
बस इतना ही बोल पाया था 
जाओ खुश रहना 
अपना ख्याल रखना अटकी सी 
थी आवाज मेरी 
इतना कह कर उसे भर लिया था 
अपनी बांहों मे 
ये सब कुछ अचानक से हुआ
आवाज रुआसी थी 
सीने से लगकर बोली आउंगी न 
मानो ढाडस दे रही थी 
उस वक्त मै कितना छोटा हो गया था 
 वो छोटी होकर भी बड़ी 
भींच लिया था इस कदर बांहों मे 
जैसे ये अखिरी हो 
पता है अब तो तमाम उम्र यादो संग 
गुजारनी है उसके 
लेकिन हा जाते जाते कहा था भूलाना 
मेरी गलतियों को 
लेकिन भूलना गलतियों को सिर्फ हमें नहीं 
खुश रहना अपना ख्याल रखना

©ranjit Kumar rathour आखिरी दिन

ranjit Kumar rathour

आखिरी दिन

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और आज़ आखिरी दिन है 
कॉलेज का 
फिर शायद ही कोई मौका मिले 
कॉलेज आने का 
वैसे भी कौन आना चाहता है यहाँ 
सारे खड़ूस है 
सिवाय आपके सो आता रहा 
अब नहीं आना 
ये शब्द पता नहीं डरावने थे 
मगर पहली दफा 
एक आवाज़ निकली आना किसी बहाने 
बोल नहीं पाया 
वो समझती बहुत थी बोली आऊंगा न 
मन रखने के लिए 
बस इतने ही दिनों का साथ था 
शुक्रिया तुम्हारा 
तुमने जीवन मे एक नया पन्ना जोड़ा

©ranjit Kumar rathour आखिरी दिन

आचार्य योगेश शर्मा

जीवन में पहली बार भूतों से सामना

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मेरे जीवन की पहली भागवत कथा में भूतौ का  सामना 
उस समय मैं 21 बर्ष का था मै गया तो था गुरु जी से मिलने 
उसी समय पर वहां अशोक कुमार जी बरेली से आये हुये थे गुरूजी से आशीर्वाद लेकर मे गुरुजी के चरणों की सेवा कर  रहा था ।
उसी समय गुरूजी हमसे बोले तुम कथा कर लोगे हमने कहा गुरु जी कभी किये तो नही पर अध्ययन तो पूरा है पर कभी किया नहीं है 
फिर करो जी ने हमसे कहा अशोक कुमार जी की कथा आपको करनी है 
बड़ा आयोजन है कथा पंडाल में हो गई और और हमारा आशीर्वाद है तुम्हें 
जब गुरु जी ने हमें ऐसा कहा तो हमने सोचा कि गुरु जी का आशीर्वाद साथ है तो घबराने की काहे बात है हमने कोई तैयारी भी नहीं की थी उसे दिन के चार दिन बाद ही कथा प्रारंभ थी कथा स्थल पर हम पहुंचे दो ब्राह्मण भी हमारे साथ थे माला संध्या उपासना करने वाले जैसे ही हम बरेली पहुंचे अशोक कुमार जी हमें स्टेशन पर लेने आए अपनी निजी गाड़ी से हमें अपनी हवेली पर लेकर गए अशोक कुमार जी ने हमें हवेली की तीसरी मंजिल पर ठहराया अशोक कुमार जी के पिताजी वहां पर थे उनका नाम था लक्ष्मण प्रसाद लक्ष्मण प्रसाद जी ने हमसे पूछा कि आप कथा कर पाओगे यहां पर हमने कहा कथा करने ही तो आए हैं उन्होंने बताया यह कथा प्रेत बाधा के लिए कराई जा रही है इस हवेली में अनेक प्रकार की आत्माएं हमें परेशान करती है किसी ने बताया है श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से उनकी मुक्ति होगी लेकिन इस हवेली में एक रात से ज्यादा यहां पर कोई टिक नहीं पता तो आप कर सकोगे हमने कहा गुरु जी का आशीर्वाद है सब हो जाएगा तो शाम का 4:00 गया था हम अपनी संध्या उपासना करने के लिए बैठे कुछ समय तो बढ़िया बैठे रहे अपनी उपासना करते रहे थोड़ी देर बाद उसे कमरे में जिसमें हम बैठे थे ट्यूब लाइट जल रही थी एक ट्यूबलाइट चौक में जल रही थी फिर भी वहां पर कम से कम 11 है आत्माएं उपस्थित हुई और हमें परेशान करने लगी फिर हम डरने लगे लेकिन गुरुजी ने आशीर्वाद दिया था और अपने ध्यान में लग रहे कुछ देर बाद वह आत्माएं मिलकर के आक्रमण करना चाहती थी फिर हमारे पास जो जल रखा था उसे जल से हमने उनके ऊपर छींटे मारें फिर उनमें से एक आत्मा ने बात किया आवाज आई हम आपसे कुछ नहीं कहेंगे बस हम मुक्ति चाहते हैं फिर हमने कहा श्रीमद् भागवत की शरण में आओ और सप्ताह प्राण आप सुनो आपकी सद्गति होगी उसके बाद संध्या उपासना करके जब हम उठे तो हम पहुंचे जहां हमारे दो ब्राह्मण ठहरे  हुए थे उन्होंने कहा महाराज जी बड़े जल्दी आ गए तो हमने कहा जल्दी ही काम हो गया तो आ गए उन ब्राह्मणों को भी उन आत्माओं ने हमसे पहले डराया था वह तो वहां से भागने लगे फिर हमने उनको समझाया और कहा आप हमारे साथ रहो कुछ नहीं बिगड़ेगा फिर दूसरे दिन जब हम संध्या के लिए बैठे तो उन आत्माओं ने कहा कि हमारे मुक्ति के लिए इस हवेली के नीचे नीचे खाना है उसे तहखाना में हमको हमको युद्ध के समय बंधक बनाकर बंद कर दिया गया था तब से हम इसी हवेली में रहते हैं फिर अशोक कुमार जी हमारे लिए भोजन लेकर आए तो हमने उनको यह सब बताया उन्होंने कहा महाराज जी यह हवेली राजा महाराजाओं के समय की है और हमारे दादा ने इसे खरीदा था एक दिन हमारे पिताजी ने इस तहखाना को खुलवा दिया था तब से ही घर में हलचल मची हुई है फिर हमने अशोक कुमार जी को आश्वासन दिया और कहा कि आप कथा स्थल पर मंडप की व्यवस्था करो और कल से प्रोग्राम चालू करें सब ठीक होगा उसके बाद साथ दिवस कथा हुई गुरु जी की कृपा से आशीर्वाद से कथा मैं कोई रुकावट नहीं आई और जो प्रेत आत्माएं थी वह भी मुक्ति को प्राप्त हो गई जय श्री राधे

©आचार्य योगेश शर्मा जीवन में पहली बार भूतों से सामना

ranjit Kumar rathour

मै वहीँ और जगह वहीँ (2024 का आखिरी din)

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साल आखिरी दिन था 
अपने सफर से घर कि ओर 
चल पड़ा था 
कि याकयक याद कोई आ गया 
सोचा उसके घर के सामने से जाना है 
देख लेता उसे 
मिल लेता उसे 
करीब से देख लेता 
साल कि आखिरी मुलाक़ात 
सोचता हुआ निकला 
मगर ये कैसे था संभव 
एकाएक दरवाजे से गुजरा 
मेरी बाइक रुक गयी
वो भागी आयी बोली 
बोलिए!क्या कहता 
सो कहा आज़ आखिरी साल है 
कल बदल जायेगा 
तुम 2024 ही रहना 
बदलना नहीं यही कहना था 
हा मिलूंगा कल भी 2025मे 
थोड़ी निखरी निखरी बहकी बहकी 
मिली थी एक अभिवादन था 
जिसमें था हम वहीँ है और वहीँ पर

©ranjit Kumar rathour मै वहीँ और जगह वहीँ 
(2024 का आखिरी din)

vksrivastav

है बार बार ऐतबार करके देख लिया #SAD #शायरी #Trending #Videos #viral #vksrivastav

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