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कवी दिपक सोनवणे
मनाचा निश्चय जर ठाम असेल ना तेव्हा रात्र काय आणि दिवस काय आपले काहीच बिघडवू शकत नाही निश्चय
गौरव गोरखपुरी
निश्चय मैंने कुछ भला ना करने का निश्चय कर लिया है। मैंने मेरे मन पर विजय कर लिया है ।। कोई कुंठा-क्रोध-कामना नहीं अब। कोई प्रेम -निष्ठा- वासना नहीं अब । मैंने सारे रिश्तों पर फतह कर लिया है।। तेरे एहसास को एहसास ना करने के लिए, मैंने बीती बातो को बेवजह , वजह कर लिया है।।। निश्चय
shiva
"निश्चय" ना जीने से ,ना मरने से ना तन्हा तन्हा चलने से ना रोने से ,ना हसने से ना मुस्कुराते थकने से ना काली काली रातों से ना ऊंच नीच की बातों से ना व्यस्त घनेरी सड़को से ना उन अंजाने से हाथों से ना सहज सुनहरे ख्वाबो से ना नमन प्रकार आदाबों से ना उस भोले से चेहरे से ना लकीरों के पहरे से ना चढ़ती फूलती सांसो से ना थक जाती उन आसों से ना जीवन की मोंजों से संघर्ष मे फटते मौजो से घिस घिस कर श्याही कलमो की, कागज उधार पर लगता है हाँ व्यर्थ श्रृंगार पर लगता है, ना तुम जानो, ना मै जानू अब कुछ बेघर नहीं लगता है मुझको डर नहीं लगता है ना इनसे डर नहीं लगता है....... -shiva #निश्चय
follow your heart# megha sen
कभी कभी खुद को एक जाल में पाया करती हूं, मैं जहा हूं जैसी हूं सही हूं मैं खुद को समझाया करती हूं , सूरज सा साहस और नीर का धीरज खुद के लिए मैंने चुन लिया, अब मुझे खुद से आगे बढ़ना है जीवन में बस अब ये निश्चय किया ©follow your heart# megha sen #निश्चय
S K Sachin उर्फ sachit
ए सफ़र है दोस्त सफ़र में आराम कहाँ है ! मंजिल तक पहूँचो देखो हर ब्यवस्था वहाँ है !! ©S K Sachin निश्चय #OneSeason
parthsarthi
ये आग मैने खुद लगाई है लकड़ियां भी चुनी फूंक भी मारी अश्क भी गिरें धुआं भी उठा तब जाके लौ आयी है ये आग मैनें खुद लगाई है तुम्हारा क्या; तुम तो आ गये सेकने ठण्ड में चादर ओढ़़के दो घड़ी बैठोगे,चले जाओगे मगर मै ये आग बुझने नहीं दूंगा #निश्चय #nozoto
dilip khan anpadh
गड़बड़ निश्चय *********** तू बाला बल खाके चलती मुड़-मुड़ कर क्यों आंखे मलती डेढ़ नयन में दिक्कत है क्या? या हो गई मुझसे कोई गलती।। *********** गाल खुड़-खुड़े होंठ पिचाशी हद से बढ़ गई है उवाशी दांत चिहाड़े खुरपी जैसे बाल फसल हो जैसे रबी।। *********** सचमुच लचक-लचक के चलती या ढीली हड्डी की गलती तुझको देख दीवाना होऊं दिल पे बस कंहा मेरी चलती।। *********** बोले तो कोई काक पुकारे याद न आना सांझ-सकारे सुसाइड को सोच रहा हूं पर दिल ये किस्मत से हारे।। *********** अब देखूं तो राह बदल लूं चुपके चुपके दूर निकल लूं क्या देखा किसको मै बोलू भूतनि से कम क्या तुमको तौलूं।। ************ इश्क पे ताला जड़ देता हूँ खुद का पीड़ा हर लेता हूँ पता चला अब जाके मुझको निश्चय मैं गड़बड़ लेता हूँ दिलीप कुमार खां"""""अनपढ़"""" #गड़बड़ निश्चय