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Kuldeep KumarAUE
बेईमानी क़ी पूछो मत पापा छोडे-बडे सब करते काम सत्य छोड असत्य हैं इनका काम सत्य अहिंसा की डोर मुझे थमा देना पापा मुझे अच्छे संस्कार देना kuldeep kumarAUE PART-4 बेईमानी क़ी पूछो मत पापा छोडे-बडे सब करते...
Tera Sukhi
खुद से ख़फ़ा क्यूँ हमको तो पूछो मत नाराज़ हूँ पता है तुमको तो पूछो मत FULL READ IN CAPTION 👇👇 * ख़ुद से ख़फ़ा क्यूँ * खुद से ख़फ़ा क्यूँ हमको तो पूछो मत नाराज़ हूँ पता है तुमको तो पूछो मत मालूम करो रात क्यूँ इतनी अंधेरी है ये चाँद
gaTTubaba
पूछो मत कदम संभल संभलकर क्यों चलते हैं ? कुछ पुराने घांव आज भी जलते हैं ©gaTTubaba #snowfall पूछो मत कदम संभल संभलकर क्यों चलते हैं ? कुछ पुराने घांव आज भी जलते हैं
BROKENBOY
खुशियां तरसती हैं मुझसे मिलने को, और गमों का तो पूछो मत जैसे जिगरी यार हों मेरे_ ©BROKENBOY👨 खुशियां तरसती हैं मुझसे मिलने को, और गमों का तो पूछो मत जैसे जिगरी यार हों मेरे_
Swarima Tewari
जो शिकायतें अधूरी होती हैं, कलम से निकलें, तो आग उगलती हैं! अधूरी शिकायतें और अधूरी बातें जानलेवा होती हैं और किसी लेखक के हत्थे चढ़ गई तो पूछो मत ऐसी आग उगलती हैं काग़ज़ पर कि शिकायत भी खौफजदा नज़र आ
Akshay Ojha
दिल से दिल तोह मिल चुका है कबका, अब बस इश्क रंग को छू जाना है तैयार बैठे ही हाथो में रंग गुलाल लिए बस अब उसके रुखसार को सहलाना हे, #holi #poetry #love #urdu #yqbaba #yqdidi #yourquotebaba #astheticthoughts तेरे गालों को छूना जैसे एक ख्वाइश बड़ी मिलना होली के बहाने ही स
Amit premshanker
हम दीवानें हैं वतन के ये वतन है हमारा इसी पे दिल है पागल ये सनम है हमारा।। हूंँ वतन का पुजारी है भगवान ये हमारा इसी पर,मर मिट जाऊं ये अरमान है हमारा।। पूछो मत,मैं कौन हूं क्या नाम है हमारा हम दीवानें हैं वतन के यही नाम है हमारा।। कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️ एदला,सिमरिया,चतरा(झारखण्ड) ©Amit premshanker हम दीवानें हैं वतन के ये वतन है हमारा इसी पे दिल है पागल ये सनम है हमारा।। हूंँ वतन का पुजारी है भगवान ये हमारा इसी पर,मर मिट जाऊं ये अरमान
justanextrovert
आज हम लौट जाना चाहते है फिर से उनके संग एक दुनिया सजाना चाहते है बदल गए वो इतना कि तुम पूछो मत हमसे अब वो हमको गैरों से सताते है। पूछते है जब कारण हम उनसे वो वक़्त का गीत गाते है भरी उनकी दुनिया खुद से यही हमको बतलाते है । जब तुम अपने प्यार के पास लौटना चाहते हो लेकिन अब वो तयार नही। आज हम लौट जाना चाहते है फिर से उनके संग एक दुनिया सजाना चाहते है बदल गए वो इतन
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अच्छी सूरत के लाखो दीवाने हैं । अच्छी सीरत के भी सुन अफ़साने हैं ।।१ पूछो घर का भार उठाने वालो से । कितने दिन वह जाते थे मयखाने हैं ।।२ सजी हुई हैं आज दुकाने मज़हब की । गली-गली में खुले हुए बुतख़ाने हैं ।।३ अपना सब कुछ बेंच दिया जिस बानों पर । वही पकड़ कर अब ले जाती थाने हैं ।।४ पूछो मत क्या-क्या गुजरी है चाहत में । जब भी मिलती करती नए बहाने हैं ।।५ ०९/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- अच्छी सूरत के लाखो दीवाने हैं । अच्छी सीरत के भी सुन अफ़साने हैं ।।१