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dilkibaatwithamit
मैं किसी का, कोई मेरा नहीं होने वाला क्योंकि ग़ुस्सा मेरा ठंडा नहीं होने वाला जब मेरे साथ तू हर रोज़ बुरा करता है फिर तेरे साथ भी अच्छा नहीं होने वाला आप कहते हो, तो फिर आपके कह लेने से मेरा किरदार तो गंदा नहीं होने वाला फिर भी ऐसा नहीं होता कि क़दम रुक जाएँ जबकि आसान भी रस्ता नहीं होने वाला चाहे क्यूँ न मैं सियासत पे ग़ज़ल लिखता हूँ पर मैं नेताओं का चमचा नहीं होने वाला जिसके चलते मेरी नज़रों में मैं ख़ुद गिर जाऊँ काम मुझसे कोई ऐसा नहीं होने वाला देख लेना कि वो आरिज़ जो हुआ न मेरा फिर ये अनवर भी किसी का नहीं होने वाला ... अनवर क़ुरैशी ©dilkibaatwithamit मैं किसी का, कोई मेरा नहीं होने वाला क्योंकि ग़ुस्सा मेरा ठंडा नहीं होने वाला जब मेरे साथ तू हर रोज़ बुरा करता है फिर तेरे साथ भी अच्छा नही
मैं किसी का, कोई मेरा नहीं होने वाला क्योंकि ग़ुस्सा मेरा ठंडा नहीं होने वाला जब मेरे साथ तू हर रोज़ बुरा करता है फिर तेरे साथ भी अच्छा नही
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White हो गयी हमसे ऐसी ख़ता किस लिए इश्क़ हमने किया तो किया किस लिए यार आरिज़ अगर तू कोई ग़ैर है दिल हुआ जा रहा है तेरा किस लिए आज तो उसकी यादें भी आई नही नींद से हो गए फिर खफ़ा किस लिए एक सी ही अगर हम परेशान थे इश्क़ हमने किया दूसरा किस लिए यार अनवर मुझे सिर्फ़ इतना बता तू ने की बेवफ़ा से वफ़ा किस लिए ... अनवर क़ुरैशी ©dilkibaatwithamit हो गयी हमसे ऐसी ख़ता किस लिए इश्क़ हमने किया तो किया किस लिए यार आरिज़ अगर तू कोई ग़ैर है दिल हुआ जा रहा है तेरा किस लिए आज तो उसकी यादे
हो गयी हमसे ऐसी ख़ता किस लिए इश्क़ हमने किया तो किया किस लिए यार आरिज़ अगर तू कोई ग़ैर है दिल हुआ जा रहा है तेरा किस लिए आज तो उसकी यादे
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लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना पड़ा मुझे ये बात आप उसके ख्यालो से पुछिए कल रात क्यूँ ही खुद को जगाना पड़ा मूझे लगने लगा था जब मुझे नाकामियों से डर इक शेर फिर खुद ही सुनाना पड़ा मुझे अपनो ने मुझमे खूब निकाली थी खामियां गैरों से यूँ ही हाथ मिलाना पड़ा मुझे अनवर से जिसने अन्नु रखां था मेरा नाम अनवर उसी का नाम बताना पड़ा मुझे ....अनवर क़ुरैशी ©dilkibaatwithamit लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना
लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना
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White दिन पे हँसता हूँ कभी रात पे हँसता हूँ मैं अब तो खुद खुद के ख़यालात पे हँसता हूँ मैं पहले पहले तो ज़माने पे हँसी आती थी और अब यार के हालात पे हँसता हूँ मैं पहले रोता हूँ मेरे यार तेरी फुर्क़त में बाद में वक्त ए मुलाक़ात पे हँसता हूँ मैं मेरी आदत तुझे मालूम नही है शायद हँसने वाले तेरी हर बात पे हँसता हूँ मैं कल मुझे तेरे जवाबों पे हँसी आती थी और अब खुद के सवालात पे हँसता हूँ मैं कर दिए जिसने यहाँ मशअले मसाईल कितने यार आरिज़ तेरी उस ज़ात पे हँसता हूँ मैं ... ©dilkibaatwithamit दिन पे हँसता हूँ कभी रात पे हँसता हूँ मैं अब तो खुद खुद के ख़यालात पे हँसता हूँ मैं पहले पहले तो ज़माने पे हँसी आती थी और अब यार के हा
दिन पे हँसता हूँ कभी रात पे हँसता हूँ मैं अब तो खुद खुद के ख़यालात पे हँसता हूँ मैं पहले पहले तो ज़माने पे हँसी आती थी और अब यार के हा
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White वो जिसको एक पल भी भुलाता नहीं हूँ मैं अक्सर उसी को याद भी आता नहीं हूँ मैं मिस काल कर रहा था कल शाम तक जिसे आज उसका फोन खुद ही उठाता नही हूँ मैं मैं जिसको चाहता था हकीक़त में पास हो अब ख़्वाब में भी उसको बुलाता नही हूँ मैं ऐसा नहीं वो लौट के आएगा एक दिन फिर भी ये दिल किसी से लगाता नही हूँ मैं अपनों को मुझसे एक ही तक़लीफ़ है जनाब क्यूँ उनके आगे रोता झिझाता नही हूँ मैं चाहत नहीं के इनका मरहम करे कोई यूँ ही किसी को जख़्म दिखाता नही हूँ मैं उस से कहो वो रोज़ मेरा शुक्रिया करे अपनी नज़र से जिसको गिराता नही हूँ मैं ... ©dilkibaatwithamit वो जिसको एक पल भी भुलाता नहीं हूँ मैं अक्सर उसी को याद भी आता नहीं हूँ मैं मिस काल कर रहा था कल शाम तक जिसे आज उसका फोन खुद ही उठाता नही
वो जिसको एक पल भी भुलाता नहीं हूँ मैं अक्सर उसी को याद भी आता नहीं हूँ मैं मिस काल कर रहा था कल शाम तक जिसे आज उसका फोन खुद ही उठाता नही
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हमारे बीच नफ़रत की कोई दीवार न करते यहीं इक काम तो बस अपने चोकीदार न करते हमारा देश होता चीन से जापान से आगे सियासी लोग जो धर्मों का कारोबार न करते गरीबी बेशसी बे रोजगारी ख़त्म हो जाती धर्म के नाम पे नेता जो भ्रष्टाचार न करते वतन में उन्नती होती मियां हर बार से ज़्यादा वतन का होशला जो पस्त कुछ गद्दार न करते सियासी आदमी कब का इसे बर्बाद कर देतें अगर हम जान से ज़्यादा वतन से प्यार न करते गुलामी में ही रहता देश गर हिन्दू-मुस्लिमा सब कभी अपनी दर्राती को अगर तलवार न करते .... अनवर क़ुरैशी #26January #26January2025 ©dilkibaatwithamit हमारे बीच नफ़रत की कोई दीवार न करते यहीं इक काम तो बस अपने चोकीदार न करते हमारा देश होता चीन से जापान से आगे सियासी लोग जो धर्मों का
हमारे बीच नफ़रत की कोई दीवार न करते यहीं इक काम तो बस अपने चोकीदार न करते हमारा देश होता चीन से जापान से आगे सियासी लोग जो धर्मों का
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