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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।। आओ बैठो भज लो राम । किसे याद है प्राणायाम ।। सभी ओर दिखता संग्राम । चीख रही है जनता आम ।। कौन लिया सिंहासन थाम । कौन चुगे अब गुठली आम ।। इस जीवन में सत्य अनेक । कष्ट मगर सहता है एक ।। कविवर लेते सुंदर टेक । फिर भी बोले गीत न नेक ।। बने भवन है आलीशान । लेकिन उनके हृदय विरान ।। रोटी कपड़ा ओर मकान । करते-करते मरा किसान ।। बेटा करता मदिरा पान । बहू चाहिए गऊ समान ।। बिगड़ गये घर के सुर ताल । बड़े घरो की यह है चाल ।। देख ले ऊँचा खानदान । तब ही करना कन्यादान । दिया बहुत जिनको सम्मान । बेटी भेज दिया शमशान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्क
जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्क #कविता
read moreRimpi chaube
कभी हंसता है,कभी रोता है। कभी गाता है और चुप होता है। कब कौनसा रूप दिखाएगा। किसी की ना समझ में आएगा। इस दिल के तमाशे अनेक है, ये कब,कहां,किसका होता है?? ©Rimpi chaube #दिलकेतमाशे 😶❤️ कभी हंसता है,कभी रोता है। कभी गाता है और चुप होता है। कब कौनसा रूप दिखाएगा। किसी की ना समझ में आएगा। इस दिल के तमाशे अनेक है
#दिलकेतमाशे 😶❤️ कभी हंसता है,कभी रोता है। कभी गाता है और चुप होता है। कब कौनसा रूप दिखाएगा। किसी की ना समझ में आएगा। इस दिल के तमाशे अनेक है #Poetry
read moreN S Yadav GoldMine
White ॥इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- प्रलय के समय लोक, लोकपाल और इन सबके कारण सम्पूर्ण रूप से नष्ट हो जातें हैं। उस समय केवल अत्यंत घना और गहरा अन्धकार-ही-अन्धकार रहता हैं। परन्तु अन्नंत परमात्मा उससे सर्वथा परे विराजमान रहतें हैं। वे ही प्रभु मेरी रक्षा करें। उनकी लीलाओं का रहस्य जानना बहुत ही कठिन है। वे नट की भाँति अनेकों वेष धारण करते हैं। उनके वास्तविक स्वरूप को न तो देवता जानते हैं, और न ऋषि ही फिर दूसरा ऐसा कौन सा कौन प्राणी है, जो वहाँ तक जा सके और उनका वर्णन कर सके? वो प्रभु मेरी रक्षा करें। ©N S Yadav GoldMine #love_shayari ॥इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} सब
#love_shayari ॥इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} सब #मोटिवेशनल
read moreN S Yadav GoldMine
White विष्णुपुराण १।१७।२६) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'पिताजी! वे विष्णु भगवान् केवल मेरे ही हृदय में नहीं बल्कि सम्पूर्ण लोकों में स्थित हैं। वे सर्वगामी तो मुझको, आप सबको और समस्त प्राणियों को अपनी-अपनी चेष्टाओं में प्रवृत्त करते हैं।' ऐसी बातें सुनकर तो राक्षसराज का क्रोध अत्यन्त भड़क गया, और वह भक्त प्रह्लाद को भयानक त्रास देने लगा। हरिनाम लेनेvवाले प्रह्लाद को विष पिलाया गया, पर्वत से गिराया गया, सर्पों से डसाया गया, आग में जलाया गया इत्यादि अनेक प्रकार से राक्षसों ने जबरदस्ती जोर-जुल्म ढहाये, किन्तु उसका कुछ भी अनिष्ट न कर सके :- जय श्री राधे कृष्ण जी.... जाको राखै साइयाँ मारि सकै नहिं कोय। बार न बाँका करि सकै जो जग बैरी होय॥ कहा करै बैरी प्रबल जो सहाय रघुबीर। दस हजार गजबल घटॺो घटॺो न दस गज चीर॥ जय श्री राम जी.... प्रबल शत्रु सामने हो तो भी सारे संसार का वार खाली चला जाता है, उसका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता। भक्त पर अत्यन्त अत्याचार होने पर अन्त में खम्भे में से प्रह्लाद के प्यारे परम प्रभु को प्रकट होना ही पड़ा। ©N S Yadav GoldMine #car विष्णुपुराण १।१७।२६) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'पिताजी! वे विष्णु भगवान् केवल मेरे ही हृदय में नहीं बल्कि सम्पूर्ण लोकों में स्थित हैं। व
shivesh pandit
है इश्क़ एक मगर सबकी अलग कहानी है किसी को है सुनानी तो किसी को नहीं सुनानी है। कहीं ग़म है कहीं है खुशी कहीं धोखा तो कहीं है बेरुखी बस इश्क़ में शामिल आशिक़ो की यही निशानी है। ©shivesh pandit इश्क़ एक पर कहानियां अनेक #alone #Love #nojoto #poetry #love #shayari #nojotoapp #thoughts #quote #quoteoftheday
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read moreMonika jayesh Shah
White मतदान जरूरी है... अपने हित के लिए अपने देश के लिए.. देश की सफलता के लिए.. आइए देश में अच्छे जागरूक नागरिक बने! मतदान खुद भी करिए और लोगों को भी शामिल करे.. अपना हित अपना देश.. अनेक भाषा एक ही वेश.. मोदीजी सबसे बेस्ट ©Monika jayesh Shah #election_2024 मतदान जरूरी है... अपने हित के लिए अपने देश के लिए.. देश की सफलता के लिए.. आइए देश में अच्छे जागरूक नागरिक बने! मतदान खुद भी
#election_2024 मतदान जरूरी है... अपने हित के लिए अपने देश के लिए.. देश की सफलता के लिए.. आइए देश में अच्छे जागरूक नागरिक बने! मतदान खुद भी #मोटिवेशनल
read moreRamjeet Sharma Mr Wow
सनातन धर्म के सत्य को जन्म देने वाले अलग-अलग काल में अनेक ऋषि हुए हैं। उक्त ऋषियों को दृष्टा कहा जाता है। अर्थात जिन्होंने सत्य को जैसा देखा #Life
read moreDr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#BeatMusic सब कहते हैं जिंदगी अल्फाज है, पर मुंह मे जबान नही है, मैने माना था अनेक लोग मेरै परिवार मे है, पर उनमे कोई इंसान नही है। कलमसत्य #शायरी #कलमसत्यकी #Life_experience #कलमसत्यकी✍️©️
read moreसंगीत कुमार
Meri Mati Mera Desh 26. (भारतीय रेल) भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत की धरती पर दिन 16 अप्रैल 1853 से चलना शुरू हुआ।। एशिया मे तू दुसरा सबसे बड़ा रेल - जाल बना। सरकारी अधिकृत वाला जग का तू चतुर्थ रेल-क्रांति बना।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत के परिवहन का अभिन्न श्रोत बना। तेरह लाख से अधिक कर्मचारियों तु परिवार बना।। सबके जीवनरूपी आनंद को एक सूत्र मे बांँधे रहा। उत्तर-दक्षिण, पूर्व -पश्चिम हर कोने सबको पहुँचाता रहा।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारतीय रेल टूटे दिलों को जोड़ता रहा। आपदा में हर क्षेत्र को सामग्री पहुँचाता रहा ।। कर्मचारी , सजग होकर अपने पथ पर चलता रहा। हर प्रलय को झेलता रहा, सब की सेवा करता रहा।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारतीय रेल सत्रह क्षेत्र में विभक्त है। अनेक उपक्रम इसके अधीन कार्यरत है।। कार्य करने को सब तत्पर है। उन्नति की ओर अग्रसर है।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारतीय रेल कामयाबी अपने नाम किया। विश्व धरोहर सूची मे नाम दर्ज हुआ।। अनेक गाड़ीयाँ अपने नाम किया। अपने-अपने क्षेत्र में पहचान हुआ।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। ©संगीत कुमार #26. (भारतीय रेल) भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत की धरती पर दिन 16 अप्रैल 1853 से चलना शुरू हुआ।। एशिया मे तू दुसरा सबसे बड़ा
26. (भारतीय रेल) भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत की धरती पर दिन 16 अप्रैल 1853 से चलना शुरू हुआ।। एशिया मे तू दुसरा सबसे बड़ा #कविता
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