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amit Kumar kaushik
राह में जिंदादिली से चल जिंदादिली तेरा नाम है उस पर पद पर संजोग अपने आपको बनाता चल यही काम है रुकते हुए को समझाता चल नित्य पाठ करता हुआ ऐसे मार्ग पर प्रशस्त हो जिससे कि तेरा दृढ़ संकल्प सफलता की डगर की ओर तुझे खींचता चला जाए ऐसा राही बनता चल ©amit Kumar kaushik कल्याण जी की मनोकामनाएं
शुभम सैनी
कवि होरी लाल "विनीता"
शिव की कृपा सब पर डोले जगत का शिव कल्याण करें आदिशक्ति मां पार्वती संग शिव कैलाश निवास करें।। मृत्युलोक में जितने जीव हैं सब में शिव दया प्रेम भरे जीवन दैय्या गंगा मैय्या शिवजी उन पर उपकार करें।। सारी सृष्टि की रचना शंकर जी ब्रह्मा विष्णु संग मिलकर करें आदि अनंत शिव औघड़ दानी अपने भक्तों का कल्याण करें।। मैं मानव कुल में जन्मा हूं शिव मानवता मेरे दिल में भरे हम किसी को मुस्कान दे पाएं मुझमें शिव इतना सामर्थ भरे। ©कवि होरी लाल "विनीता" #justice शिव जी कल्याण करें
Laxmi Yadav
शंकर जी के दरबार, लगी कोरोना की गुहार झर- झर बरसता सावन सोमवार था, कैलाश पर्वत पर सजा भोले बाबा का दरबार था। देव गण सारे खड़े हाथों मे लिए पुष्प- हार थे, सोलह शृंगार मे सजी देवियाँ खड़ी लिए थाल थी। मै भी पहुंची मृत्यु लोक से कोरोना विपदा की मारी, थाल मे सजा हरित बेल पत्र कंधे पर कावंड - जल की सवारी। ज्यो विश्वंभर के नेत्र खुले मानों चहुँ ओर हलचल हुई, आशुतोष के एक मुस्कान से सर्वत्र हर हर महादेव की गूंज हुई। जैसे ही मैंने बेल पत्र बढ़ाया नटराज ने व्यंग बाण चलाया। बोले, ऐसी कौन सी विपदा गंगा से भी जलधारी, ऐसा कौन सा हुआ मंथन हलाह ल से भी विष धारी। ऐसा कौन सा असुर शंखचुड -अंधकासुर से उपद्रवी ऐसा क्या संकट पृथ्वी लोक पर गहराया, क्या मेरे त्रिशूल-डमरू तांडव का समय आया? हाथ जोड़ मै खड़ी रही शीश को झुकाए, अब कलियुग के असुर की क्या परिभाषा बतलाउ? हे, पशुपति विश्वनाथ कुछ समझ न आये कैसे समझाऊ, बंद हुए आपके सारे धाम अब तो घर ही बना चारो धाम, ऐसा पहला सावन बरस रहा हर शिव भक़्त काँवड जल चढ़ाने तरस रहा, धरा सिसकती मची त्राहि त्राहि है किसी युग मे ना हो ऐसी तबाही है एक अदृश्य असुर कोरोना की शक्ति हुई प्रबल है जिसके समक्ष जग निर्बल है। अब हे त्रिलोचन, हे त्रृलोकी त्रृनेत्र धारी बस आप को जपते वसुधा के नर- नारी, सुन मेरी गुहार, समझ गए अंतर्यामी कोरोना का प्रहार, जटाधारी मुस्काये बोले, इस कलियुग मे अंत कोरोना का है अटल , त्रिशूल बन भेदेगा मानव का संबल। अब मानव को करना होगा रिश्तों का पूजन, तब सत्कर्मों की गंगा बहेगी निर्मल होगा मानव मन। अति न दुष्कर्म की होने पाए सदा पावन रहे मानव जीवन। 🙏 लक्ष्मी यादव ©Laxmi Yadav शंकर जी का दरबार, #Sawankamahina
Mr Anil Kumar Yadav
यादों में आपके तन्हा बैठे हैं आपके बिना लबों की हंसी गँवा बैठे हैं आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं ©Mr Sonu Yadav #हर #हर #भोले #शंकर #जी