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White प्यार में हर बार प्यार मिले यह जरूरी नहीं हे कभी लड़ाई भी मिलती हे साहेब जो प्यार से ज्यादा चलती हे. कभी नफरत वाला भी प्यार मिलता हे साहेब गुलाब के फूल में केटे भी मिलते जनाब खूबसूरती और खुशबू के साथ.. ©Rk # गुलाब के क!टे#
# गुलाब के क!टे#
read moreDeepali Singh
रंग इतना है लाल कि नस-नस है उभरा हुआ ऐ गुलाब... क्यों लालिमा है इतना चढ़ा हुआ...? क्या तुने खून के आँसु रोये हैं या बुन-बुन कर सपने कोई संजोये है? क्या तेरे इश्क़ में पागल वो हो गए या बस तु ही नैन भिगोये है ? ©Deepali Singh #phool गुलाब का
#phool गुलाब का
read moreAnjali Singhal
"दिल से दिल का तूने भेजा है प्रस्ताव, आहट सी हो रही जब से मुझमें बेहिसाब। खिलने लगे मन के आँगन में चाहत के गुलाब, ख़्वाब है ये लेकिन ये है ख़्बाब कितना लाजवाब।।" 🌹🌹 #Happy_Rose_Day🌹 #rose🌹 ©Anjali Singhal #HappyRoseDay "दिल से दिल का तूने भेजा है प्रस्ताव, आहट सी हो रही जब से मुझमें बेहिसाब। खिलने लगे मन के आँगन में चाहत के गुलाब, ख़्वाब है
#HappyRoseDay "दिल से दिल का तूने भेजा है प्रस्ताव, आहट सी हो रही जब से मुझमें बेहिसाब। खिलने लगे मन के आँगन में चाहत के गुलाब, ख़्वाब है
read moreGhumnam Gautam
गुलाब दूँगा ये सोचा था मैंने पर सोचो गुलाब शर्म के मारे सिमट न जाएगा तुम्हारे रूप पे कविता भी है कहाँ मुमकिन कि इतना हुस्न कहाँ शब्दों में समाएगा ©Ghumnam Gautam #ghumnamgautam #गुलाब #कविता #हुस्न
#ghumnamgautam #गुलाब #कविता #हुस्न
read moreMohan Sardarshahari
गुलाबी फित्ते लिपटा सफेद गुलाब जैसे बयां करता मिलन की आग तूने बिन सोचे यों ही भेज दिया मैं किस सूरत में लिखूं जवाब।। ©Mohan Sardarshahari लाल बित्ते सफेद गुलाब
लाल बित्ते सफेद गुलाब
read moreAurangzeb Khan
सिफत जो गुलाब सी चाहिए तो काटों के साए में रहना होगा वरना शाखों से जुदा होगे तो वजूद खो बैठोगे @औरंगजेब ©Aurangzeb Khan #सिफत #e #गुलाब
नवनीत ठाकुर
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे, अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है। कभी जो जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत, अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है। मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में, अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
read moreYogi Raj Bharti
White ये कौन-सी खनक है जो मेरे कानों में आती है ये कौन-सी चमक है जो मुझे रिझाती है ये कौन-सी दमक है जो मुझे बुलाती है ये कौन-सी मोहब्बत है जो मुझे सताती है ©Yogi Raj Bharti कौन-सी
कौन-सी
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