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Saurabh Singh

ज़िन्दगी तो बस कट रही है, आप उसे जी नहीं पा रहे है। घर से दूर है, अपनों से दूर हैं। एक अजनबी शहर में खुद का बसेरा बनाए हुए हैं। पैसा भी अच्

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ज़िन्दगी तो बस कट रही है, उसे जी नहीं पा रहे है। ज़िन्दगी तो बस कट रही है, आप उसे जी नहीं पा रहे है।

घर से दूर है, अपनों से दूर हैं। एक अजनबी शहर में खुद का बसेरा बनाए हुए हैं। पैसा भी अच्

Vikas Sharma Shivaaya'

इच्छापूर्ति के लिए :- 'और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै।'  खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय. #समाज

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इच्छापूर्ति के लिए :-

'और मनोरथ जो कोई लावै

सोई अमित जीवन फल पावै।' 


खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय.

रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय.


खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' इच्छापूर्ति के लिए :-

'और मनोरथ जो कोई लावै

सोई अमित जीवन फल पावै।' 


खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय.

Rohit

Rahim ji ke dohe with meaning 1.रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय।। भावार्थ – रहीमदास जी कहते हैं

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 Rahim ji ke dohe with meaning

1.रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय।।

भावार्थ – रहीमदास जी कहते हैं

Sahitya Vikas Manch

*दैनिक विषयानुसार काव्य सृजन* *दिनांक : 15/03/2021* *वार- सोमवार* *विषय क्रमांक - 44* *विषय - अलंकार* ( अनुप्रास अलंकार ) *परिभाषा -* #Light

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साहित्य विकास मंच के whatsapp group में आज का विषय -
रचना भेजने या जुड़ने के लिये - 9714292905 whatsapp number.

(साथ ही अनुप्रास अलंकार की जानकारी के लिये यह पोस्ट पढें )
धन्यवाद

©Sahitya Vikas Manch *दैनिक विषयानुसार काव्य सृजन*
 *दिनांक : 15/03/2021* 
 *वार- सोमवार*
 *विषय क्रमांक - 44*
 *विषय - अलंकार*
( अनुप्रास अलंकार )
 
*परिभाषा -*

राजेश कुशवाहा 'राज'

!!मलकिनिया के पापड़!! आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल। #कविता #standAlone #कुशवाहाजी

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!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।।
बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल।
हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल।
कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल।
का कही फेर आपन हालत, जाने हर माई के लाल।।
फेर हमहूं चलि दिहन बंजारे, फटफटिया लै तत्काल।
सगल बजारे खुब ढूंढन पै, आलू मिली न लाल।।
फेर त हमहूं फोन लगायन, कहन बजारे के हाल।
तब बताइन कि आलू लई लेई, उज्जरि होई या लाल।।
एतने तक त ठीक रहा पै, आगे बढ़ी बवाल।
जब कहिन की बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
आगे कहिन बनाउब पापड़, जीरा सौंफ सब डाल।
दाना साबुन वाला लेआउब, नही घर में गली न दाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फेर फोनबा उ तत्काल।
तब हमहूं सामान लिहन, औ घर पहुंचन तत्काल।।
नाश्ता पानी दिहिन नही, पहिलेन करिन सवाल।
लइ आयन की नही बताई, साबुन आलू औ रंग लाल।।
हमहूं रहन मनइ मन गुस्सा, चेहरा पड़ा रहा सब लाल।
दिहन सामान पटकि मूड़े म, फेर भगन दूर तत्काल।।
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।।
----कुशवाहाजी

©राजेश कुशवाहा !!मलकिनिया के पापड़!!
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।।
बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।

Naresh Chandra

भूमिका.... पात्र.... सुगन्धा, रितेश, सिमरन। "ट्रिन-ट्रिन " "हैलो, कौन ? " सुगन्धा ने लैंडलाइन का रिसीवर उठाकर पूछा। "हैलो, मैं कौन हूँ , इस #कहानी

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प्यार विश्वास और समर्पण
कृपया अनुशीर्षक मे अवश्य पढें
🙏🙏

©Naresh Chandra भूमिका....
पात्र.... सुगन्धा, रितेश, सिमरन।

"ट्रिन-ट्रिन "
"हैलो, कौन ? " सुगन्धा ने लैंडलाइन का रिसीवर उठाकर पूछा।
"हैलो, मैं कौन हूँ , इस

Ghumnam Gautam

घपोचन जी कहिन―७ """"”""”""""""" (घपोचन जी 'ठाकुर जी' के साथ 'इंग्लिश' लेते हुए) 'हे भगवान! हे भगवान! देश का दुश्मन सिर्फ़ किसान।' 'अरे घपोचन #दिल #दिल्ली #इश्क़ #व्यंग्य #जिस्म #ghumnamgautam #पराली

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दिल  पराली-सा  जला है  इश्क़ में
जिस्म दिल्ली हो गया है आजकल घपोचन जी कहिन―७
""""”""”"""""""
(घपोचन जी 'ठाकुर जी' के साथ 'इंग्लिश' लेते हुए)

'हे भगवान! हे भगवान! देश का दुश्मन सिर्फ़ किसान।'
'अरे घपोचन

Pnkj Dixit

उदास रहकर न कटेगी जिंदगी जिंदगी को बिंदास रहकर काटिए दुखों का करके सरे-आम कत्लेआम सुखों को बिंदास होकर बाँटिए २३/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्म

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उदास रहकर न कटेगी जिंदगी
जिंदगी को बिंदास रहकर काटिए
दुखों का करके सरे-आम कत्लेआम
सुखों को बिंदास होकर बाँटिए

२३/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' उदास रहकर न कटेगी जिंदगी
जिंदगी को बिंदास रहकर काटिए
दुखों का करके सरे-आम कत्लेआम
सुखों को बिंदास होकर बाँटिए

२३/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्म
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