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नवनीत ठाकुर
जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ, हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता। न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का, हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता। परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी, हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता। अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के, हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता। तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस, हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ
#नवनीतठाकुर जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ
read moreआधुनिक कवयित्री
White वक्त अपना हैं, पर वक्त पर कोई अपना नहीं होता। तो फिर इसे क्यों बरबाद करते हैं, जिंदगी एक बार ही मिलती हैं। चलो इसे अपने नाम करते हैं। ©आधुनिक कवयित्री वक्त अपना......
वक्त अपना......
read moreVinod Mishra
Raju Saini
White आहिस्ता आहिस्ता गुजर ऐ जिन्दगी, कुछ अपनों को अपना बनाना है। ©Raju Saini #GoodNight #आहिस्ता आहिस्ता गुजर ऐ #जिन्दगी, कुछ #अपनों को अपना बनाना है। #Rajusaini #raju #Saini #sainishayri
#GoodNight #आहिस्ता आहिस्ता गुजर ऐ #जिन्दगी, कुछ #अपनों को अपना बनाना है। #Rajusaini #raju #Saini #sainishayri
read moreParasram Arora
White जिन्हे हम प्रेम करते है. उन्हें एक बार तो जाने डो अगर वे लौटते है तो समझ लेना वे अपने है और जो नहीं लौटते समझना वे कभी. अपने थे ही नहीं ©Parasram Arora कौन अपना कोयन प्राया
कौन अपना कोयन प्राया
read moreF M POETRY
White किसको अपना लूँ उम्र भर के लिए.. किसको अपना कहूं ज़माने में.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #किसको अपना लूँ उम्र भर के लिए....
#किसको अपना लूँ उम्र भर के लिए....
read moreDinesh Sharma Jind Haryana
White जिक्र से नहीं फिक्र से मालूम होता है अपना कौन ©Dinesh Sharma Jind Haryana #अपना
Shashi Bhushan Mishra
हंसती आंखें दिल रोता है, अपना चाहा कब होता है, गाने वाला रो दे अक़्सर, पाने वाला ही खोता है, राम नाम रटने वाला भी, फंसा जाल में ज्युं तोता है, रोज़ नहाये गंगा जल से, मन का मैल नहीं धोता है, पछताने से क्या होगा जब, बीज दुखों का ख़ुद बोता है, रात में करता है रखवाली, श्वान दिवस में ही सोता है, ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन, भंवर बीच खाता गोता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #अपना चाहा कब होता है#
#अपना चाहा कब होता है#
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