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जगदीश कैंथला

कन्यादान कविता पद्यांश दो व्याख्या #बात

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Shaikh Akhib Faimoddin

व्याख्या जीवन की.. #कविता

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व्याख्या जीवन की
क्या व्याख्या करुँ मै इस जीवन की जिसकी कोई व्याख्या ही नही
हर दिशा से मिलती है मुझे विषमता
क्या यही विषमता तो जीवन नही|

कोई सब कुछ होकर भी रोता है तो कोई कुछ ना होके भी हसता है
किसीका जीवन मधुबन तो किसीका रेगिस्तान भी नही
क्या यही विषमता तो जीवन नही|

जिसने सत्य को ही जीवन माना उसके किसीने छुए चरण नही
जिसने किया समाज को खोकला उसके खिलाफ कोई आवाज नही
क्या यही विषमता तो जीवन नही|

माना जीवन सुख दुख का संघर्ष ही सही पर इसके परिणामों में समानता क्यों नही
किसीको जलाया जाता है चंदन की चीता पर तो किसीको मिलता कफन भी नही
क्या यही विषमता तो जीवन नही|

अंत में क्या सही और क्या गलत इसका मिलता कोई जवाब नही
क्योंकि हर दिशा से मिलती है मुझे विषमता
क्या यही विषमता तो जीवन नही|
फिर भी करना चाहता हुँ व्याख्या जीवन की जीस जीवन की कोई व्याख्या ही नही| व्याख्या जीवन की..

PUJA VERMA

प्रेम की व्याख्या #कविता

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Anjani Upadhyay

पिनकोड की व्याख्या

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Dharmraj lohar

गीता की व्याख्या #विचार

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Anjani Upadhyay

फ़िल्म शहीद 1965 के गीत की व्याख्या #व्याख्या #विचार

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NAGENDRA MOHAN SHUKLA

कविता : आत्मपरिचय (हरिवंशराय बच्चन) व्याख्या - नागेन्द्र शुक्ल

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Manish Joy

माँ.....की व्याख्या नहीं होती.. #poem

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कभी वो हम दोनों को मेले खूब घूमाती थी!
कभी वो हम दोनों से खूब शरारत पाती थी।
फिर भी कभी ना हम दोनों से वो घबराती थी,
ना जाने क्यों आज वो हम सबको बोझ सी लगती जाती है,
गलती उसकी इतनी है कि जन्म वो हमको दे गयी!
हम कहते हैं भाई में रहलो,भाई कहता भाई में रहलो!
फिर भी अभी भी कहती है,खुश रहना जीवन भर,यही दुआ कर जाती है।।।
 .......माँ माँ.....की व्याख्या नहीं होती..

Sanjeev Jha

नदियों के नैहर में जन्मा
सागर की मैं आशा हूं
पर्वतराज के पांव पर पल कर
साहस की परिभाषा हूं
शोभा जिसकी फर्न बना हो
मैं सावन बारहमासा हूं
कौशिकी की नस से होकर
बहता हुआ सुधा-सा हूं
देवी पूरन की गोद में बस कर
हरता रहा निराशा हूं

©संजीव #नैहर #पर्वतराज #परिभाषा #सावन #बारहमासा

#mountainday

Anjani Upadhyay

आरती फ़िल्म के गीत की व्याख्या #विचार

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