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Arjun Singh
White याद आयेगी तेरी हर रोज, पर तुझे आवाज न देंगे, अब चाहे मर जाएं तो मर जाएं, पर जुबान से तेरा नाम न लेंगे, ©Arjun Singh #ज़िद है तो है
ShaiL Yadav
|| एकांत || अंत ही आरंभ है, वासना ही मोह है, इच्छा ही लालच है, समझ ही ज्ञान है अपेक्षाएं दुख है, एकांत ही सुख है ।। ©शैलेन्द्र यादव || एकांत || अंत ही आरंभ है, वासना ही मोह है, इच्छा ही लालच है, समझ ही ज्ञान है अपेक्षाएं दुख है, एकांत ही सुख है ।।
|| एकांत || अंत ही आरंभ है, वासना ही मोह है, इच्छा ही लालच है, समझ ही ज्ञान है अपेक्षाएं दुख है, एकांत ही सुख है ।। #विचार
read moreधाकड़ है हरियाणा
ANSARI ANSARI
पिता अपने परिवार का ढाल है। नन्हि सी जान का खुला आसमान है। पिता रोटी कपड़ा और मकान है। मां की बिंदियां और चुड़ी का सोहाग है। पिता है तो सब कुछ है इस जहां में। जीने का अलग ही मक़ाम है। ©ANSARI ANSARI पिता है तो सब कुछ है।
पिता है तो सब कुछ है। #विचार
read moreANSARI ANSARI
White निकला था शहर में आईना बेचने। अंधों के शहर में अईना बेचने से । क्या फायदा। जहां बेदर्द हाकिम हो वहां फरियाद। करने से क्या फायदा। हकिकत तो यही है जो दिखता है। वहीं बिकता है। पुरानी बातों को याद करने से। क्या फ़ायदा ©ANSARI ANSARI जो दिखता है वहीं बिकता है।
जो दिखता है वहीं बिकता है। #विचार
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। #शायरी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। #शायरी
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