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Stories related to दानवीर का समास विग्रह

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जगदीश कैंथला

पुनरावृति समास #बात

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जगदीश कैंथला

कर्यधारय समास #बात

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Varun Savita (वर्ण)

मन विग्रह #Poetry

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Nilesh Agrahari

दानवीर भामाशाह #कविता

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सेठाने की आन है भामाशाह,
सेठों की शान है भामाशाह,
दानवीरों के लिए पैगाम है
 भामाशाह,
देश के लिए अपनी 
सारी संपत्ति दान 
देने वाले उस वीर पुरूष का
 नाम है भामाशाह।

©Nilesh Agrahari दानवीर भामाशाह

जगदीश कैंथला

तत्पुरुष समास #बात

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जगदीश कैंथला

समास अव्ययीभाव #बात

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जगदीश कैंथला

द्वंद्व, बहुव्रीहि समास #बात

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Dileep Singh

दानवीर '''DiKe'''

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✍✍✍✍
🌴 हम तो खुशियाँ उधार देने का
           कारोबार करते हैं,साहब!
कोई वक़्त पे लौटाता नहीं
           इसीलिए घाटे मे चल रहे है...!!🌴🎯 दानवीर '''DiKe'''

DANVEER SINGH DUNIYA

#Krishna दानवीर कर्ण #शायरी

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मैं जख्म हूं मगर मरहम की तलाश में हूं
मनु बन गया हूं री श्रृद्धा की तलाश में हूं
पुर्व मैं सुर्य पुत्र और अब चन्द्र पुत्र कहा
सूत के साथ-2 मैं मित्र की तलाश में हूं

©DANVEER SINGH DUNIYA #Krishna 
दानवीर कर्ण

शिव झा

बीएचयू की जमीन , महामना और #दानवीर महाराजा काशी नरेश ।

काशी नरेश और मालवीय जी, गंगा जी के किनारे घाट पर परिचर्चा में मग्न थे। उसी में मालवीय जी ने बनारस में एक भव्य विश्वविद्यालय होने की कल्पना की बात की, तो राजा साहब ने कहा कि चलिए हमनें जमीन दिया। 

मालवीय जी ने कहा कितनी जमीन देंगे? राजा साहब ने कहा जितना 1 दिन में सूर्य उदय से अस्त होने तक आप पैदल चलोगे उतनी जमीन विश्वविद्यालय के लिए मै दान दे दूंगा ।

मालवीय जी तुरंत काशी नरेश के हाथ में गंगाजल और तुलसी के साथ काशी नरेश जी से  संकल्प करवा लिए। 
दूसरे दिन सवेरे वह विश्वविद्यालय की जमीन के लिए पैदल चल निकले। 
पीछे पीछे राजा साहब का एक सेवक डलिया में चूना लिए चल रहा था।
पंडित जी जैसे-जैसे चलते, पीछे से वह चूना उसी रास्ते पर डालता जाता। 

पंडित जी जहां से शुरू किए थे, शाम सूर्य अस्त् होने के पूर्व अपनी यात्रा पूरी की। 
वर्तमान में जो BHU का स्वरूप देखते हैं, वह जमीन मालवीय जी को दान में मिल गई। 
जगह जगह से आए महाराजाओं ने अपनी-अपनी इच्छा अनुसार दान स्वरूप भवनों का निर्माण हेतु अनुदान देते चले गए और काशी हिंदू विश्वविद्यालय बनता चला गया ।

दानवीर  ब्रह्मर्षि #इतिहास #दानवीर #भारत 

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