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Rameshkumar Mehra Mehra
White कभी-कभी दिल चाहता है कि........... तुम कोई सबाल ना पूछो....! ना बजह पूछो,ना तसल्ली दो.....!! ना ही कोई नसीहत,बस गले लगा लो....!!! और खामोशी से कहो...!!!! मैं हूं ना तेरे लिए हमेशा....💕 ©Rameshkumar Mehra Mehra # कभी-कभी दिल चाहता है कि,तुम कोई सवाल ना पूछो,ना बजह पूछो,ना तसल्ली दो,ना ही कोई नसीहत,बस गले लगा लो,और खामोशी से कहो,मैं हूं ना तेरे लिए ह
# कभी-कभी दिल चाहता है कि,तुम कोई सवाल ना पूछो,ना बजह पूछो,ना तसल्ली दो,ना ही कोई नसीहत,बस गले लगा लो,और खामोशी से कहो,मैं हूं ना तेरे लिए ह
read moredilkibaatwithamit
White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!! ©dilkibaatwithamit मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग
मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग
read moreGaurav pawar
White रास्ते कभी खत्म नहीं होते, बस चलने का हौसला होना चाहिए। ©Gaurav pawar #Sad_Status रास्ते कभी खत्म नहीं होते, बस चलने का हौसला होना चाहिए। motivational quotes in hindi
#Sad_Status रास्ते कभी खत्म नहीं होते, बस चलने का हौसला होना चाहिए। motivational quotes in hindi
read moreF M POETRY
White दिन भी होता है रात होती है.. बस तेरी याद साथ होती है.. हमसे अच्छा नसीब है उनका.. जिनकी ख्वाबों में बात होती है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #हमसे अच्छा नसीब है उनका....
#हमसे अच्छा नसीब है उनका....
read moreविजय कुमार सुतेड़ी
White द्वंद लिए सौ मन मंदिर में मुग्ध हंसी भावों को लेकर जो चलते निष्काम जगत में चैतन्य खोज ही लाते हैं। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। संशय और बंधन से उठकर काम, लोभ और मोह कुचलकर कलि के क्लिष्ट कालचक्र में भी जो धरम ध्वजा लहराते हैं। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। घोर दंश और प्रतिकारों में जो वैरागी बने सहज मन इंद्रजीत सी आभा लेकर चिरंजीव बन जाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। लौकिक आडम्बर की जड़ता भाव शून्य में अर्पण करते जो श्लाघा की क्षुधा भुलाकर परहित मंगल गाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। जीव तत्व का दर्शन शिव में जिन्हें मिला है अंतर्मन में जगत बोध और अनुभव पाकर जो तारतम्य तर जाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं।। ©विजय कुमार सुतेड़ी अभय होना
अभय होना
read moreलेखक 01Chauhan1
कभी-कभी आंखों से आसूं आ जाता है जिसे भुलाना चाहा वो याद आ जाता है दिल से उसे भुला चुके ख्याल उस का जाता है दिमाग कहता उसे याद करले दिल का क्या जाता है ©लेखक 01Chauhan1 कभी कभी
कभी कभी
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
read moreMahesh Patel
Unsplash सहेली .... कभी-कभी हम यूं ही मुस्कुराया करते... कभी-कभी तुम्हारी बातों को यूं ही सुन लिया करते हैं.. कभी-कभी समझ में भी नहीं आता कि हम तुमसे यूं ही मिला करते हैं.. लाला... ©Mahesh Patel सहेली... कभी-कभी..लाला..
सहेली... कभी-कभी..लाला..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी तलब में इज़ाफ़ा भी कर देती हैं महरूमियाँ एहसास प्यास का बढ़ जाता है सहरा देख कर ©हिमांशु Kulshreshtha कभी कभी...
कभी कभी...
read moreआधुनिक कवयित्री
जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। अजनबी है अवारा शहर में, पहचान अपनी न छुपा सके। आंसू पोंछते रहे अकेले, किसी को दिखा न सके। पूछा सबने उदास चेहरा देखकर, हम कारण उदासी का बता न सके। कहानी बहुत छोटी सी थी हमारी, फिर भी किसे सुना न सके। दुनियां ने बहुत कुछ सीखा दिया, हम खुद को समझा न सके। साथ चाहा हर किसी ने हमारा, पर हम किसी ओर को अपना न सके। समझ लिया सबने अपने अपने नज़रिए से , हम झूठ पर भी ऊंगली उठा न सके। स्तब्ध होकर भूल गए दुनियां को, पर उन यादों को न भूला सके। जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। ©आधुनिक कवयित्री जुदा.......
जुदा.......
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