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Ikka
मंजिल दूर है मेरी तो क्या हुआ अपने रास्ते खुद बनाऊंगा साथ दे ना दे कोई मेरा मैं करके दिखाऊंगा, जुनून है और होश भी है मेरे अंदर मुश्किलों से लड़ जिंदगी से जीत कर दिखाऊंगा! Ikka.🤫🤫 #मंजिल दूर है!
Shubham shukla
घनघोर बड़ा ये जंगल बड़ी दूर किनारा है राहें है अनजान यहाँ बस तेरा सहारा है भटके जो इस वन में, दरिंदे खून पूरा पी जायेंगे, छूटा तेरा हाथ अगर जो तो दूर वहुत रह जायेंगे, लाख करूँ कोशिश फिर मैं मग़र बड़ी दूर किनारा है। shubham shukla #Inspiration बड़ी दूर किनारा है
Anita Najrubhai
मे वो तितली नहीं हु जो आसमान में उडजाउ सपने देखने का हक है पर सपने पुरे करने का हक नहीं है किनारा ढूंड रही हु पर मंजिल का किनारा मिलता नहीं है जींदगी एक पहेली बन गई है उस पहेली को सुलझाना है यहाँ कई रास्ते है पर मंजिल का किनारा मिलता नहीं है ©Anita Najrubhai मंजिल का किनारा
Shankar Kumar
मंजिल दूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मंज़िल दूर नहीं है चिंगारी बन गयी लहू की बूंद गिरी जो पग से चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण-चिन्ह जगमग से शुरू हुई आराध्य भूमि यह क्लांत नहीं रे राही; और नहीं तो पांव लगे हैं क्यों पड़ने डगमग से बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है थक कर बैठ गये क्या भाई मंज़िल दूर नहीं है अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का, सारी रात चले तुम दुख झेलते कुलिश निर्मम का। एक खेप है शेष, किसी विध पार उसे कर जाओ; वह देखो, उस पार चमकता है मन्दिर प्रियतम का। आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है; थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है। दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर पुण्य-प्रकाश तुम्हारा, लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा। जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही, अम्बर पर घन बन छाएगा ही उच्छ्वास तुम्हारा। और अधिक ले जा्च, देवता इतना क्रूर नहीं है थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है। ©Shankar Kumar #मंजिल दूर नहीं है।
Kumawat Gopal
कई बार थक कर बैठ जाता हूं मन कहता है अब मंजिल दूर नहीं है थोड़ा और चलते हैं "पंथ" मंजिल दूर नहीं है