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INDIA CORE NEWS
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Sethi Ji
💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💗 ज़िन्दगी का विचार , ज़िन्दगी का आकार 💗 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 किसी का विचार , किसी का आकार बन जाता हैं औरत के आने से घर परिवार बन जाता हैं जिसके साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता हैं जिसके साथ हर वक़्त मुस्कराना अच्छा लगता हैं वोह धीरे धीरे आपकी ज़िन्दगी का यार बन जाता हैं हमेशा इज़्ज़त करो उस इंसान की जिससे प्यार करते हो फ़िर एक दिन उसका इनकार , इज़हार बन जाता हैं 💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 ©Sethi Ji 💞💞 पैसों का खेल 💞💞 💞💞 पैसों का मेल 💞💞 ज़िन्दगी का अज़ीब खेल होता हैँ यहाँ हर कोई मोहब्बत की परीक्षा में फेल होता हैं ।। काश कोई समझ पाता हम
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों करके क्रोध , बोलते हो कटु वाणी । भूल प्रेम व्यवहार , खड़ा करते हो झंझट । आज परीक्षा मान , भूल जाओ सब संकट ।। २२/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों कर
Internet Jockey
दुःख शिक्षा है और सुख परीक्षा ©Internet Jockey दुःख शिक्षा है और सुख परीक्षा life quotes
Bindass writer
Autumn आ गई परीक्षा नजदीक थोड़ा पढ़ कर के देखते है आराम को छोड़ थोड़ा पढ़ाई पर मर के देखते है आज तक नहीं सुनी हिदायत कभी किसी शिक्षक की आज उनके नक़्शे कदम पर चल के देखते है चलो आज पढ़ाई पर थोड़ा मर के देखते है देर नहीं हुई है देर आये दुरुस्त आये पढ़ाई के मैदान मे उतर कर देखते है चलो आज पढ़ाई पर मर के देखते है खेल -कुद, आराम मे यूँ ही बिताये दीन इस आखरी दीन मे पढ़ के देखते है चलो आज पढ़ाई पर मर के देखते है अब्बल आने की ख्वाबी पुलाव जी भर के पकाये अब तक मेहनत की हांडी मे उम्मीद के चावल भर के देखते है चलो आज पढ़ाई पर मर के देखते है ©Bindass writer #परीक्षा
Pandey Sandeep
ज़िंदगी की परीक्षा इतनी वफ़ादार होती है.. इसका पेपर कभी भी लीक नहीं होता...! ©Pandey Sandeep #relaxation ज़िंदगी की परीक्षा इतनी वफ़ादार होती है.. इसका पेपर कभी भी लीक नहीं होता...!
Kulvant Kumar
Ujjwal Kaintura
डूबते को सहारा इक तिनके का, काफी होता है। कहता यूं लोगो को, हमने काफी सुना है। पर देख हकीकत लोगो की, ये दिल हमेशा दुखा है। हर तिनके का ये सहारा लेने से, डरा है। कहने को तो उसके पीछे, लोगो की भीड़ खड़ी है। पर हर परीक्षा में वो अकेला बैठा है। सुनने को उसका परिणाम , सबके कान खड़े है। सफलता में साथ ओर ओर असफलता में सबने उससे नाते तोड़े है। अकेला उसने खुदको, परीक्षा में भी पाया था अकेला उसने खुदको, परिणाम पर भी पाया है। ©Ujjwal Kaintura #watchtower डूबते को सहारा इक तिनके का, काफी होता है। कहता यूं लोगो को, हमने काफी सुना है। पर देख हकीकत लोगो की, ये दिल हमेशा दुखा है। हर ति
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- नम आँखों से बेटियाँ , करती बस ये चाह । मातु-पिता की अब यहाँ , कौन करे परवाह ।। कौन करे परवाह , हमारी डोली उठते । ले जाती मैं साथ , साथ जो मेरे चलते ।। अब क्या मेरे हाथ , मुझे ले जाते हमदम । देख पिता को आज , हुई मेरी आँखें नम ।। देने को तैयार हूँ , सभी *परीक्षा* आज । जैसे चाहो साँवरे , रोकों मेरे काज ।। रोको मेरे काज , शरण तेरी मैं पकडूँ । यही हृदय की चाह , प्रीति में तेरी अकडूँ ।। आओगे तुम पास , भेद फिर मेरे लेने । रहूँ सदा तैयार , परीक्षा जो हैं देने ।। उतनी तुमने साँस दी , इतनी है अब शेष । और नहीं कुछ आस है , फिर क्यों भदलूँ भेष ।। फिर क्यों बदलू भेष , *परीक्षा* देने आया । बनकर बैठा शिष्य , हृदय क्यों है घबराया ।। पाया हूँ जो ज्ञान , कहूँ कम कैसे इतनी । कपट न पाया सीख , रही बस देखो उतनी ।। ०१/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- नम आँखों से बेटियाँ , करती बस ये चाह । मातु-पिता की अब यहाँ , कौन करे परवाह ।। कौन करे परवाह , हमारी डोली उठते । ले जाती मैं स