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DR. LAVKESH GANDHI
सुधार कितने सिधार गए युग को सुधारने वाले हर बार भूल कर बैठे उद्घोष करने वाले खुद को सुधार कर सुधारना था जग को नादान की तरह यूंँ ही उद्घोष कर बैठे घर में बैठे ही जग सुधार का संकल्प ले बैठे रण के मैदान में वह तो यूंँ ही चित्त हो बैठे सुधार सुधार औरों का नहीं खुद का #yqchangeyourself #yqlove_feelings_emotions # #yqbaba #yqdada #
Ek villain
आजादी के साथ ही व्यापक और सम्मान मताधिकार की जो बुनियादी संविधान सभा ने रखी उस पर देश का लोकतंत्र की ढांचा बहुत आगे बढ़ गया है पश्चिम मॉडल के लोकतांत्रिक की जड़ सार्वजनिक खाद पानी के सारे इतनी गहराई तक हो चुकी है की अक्षरा शुद्ध राष्ट्रीय मोर्चा पर इसे आकर बसे इंतजार करिए चलाएं स्वाधीनता दलितों की छाया वाले राजनीतिक व्यक्तित्व राष्ट्रीय अवकाश पर छाए रहे तब भारतीय लोकतंत्र में ढंग से 66 पाया लेकिन जैसे ही स्वाधीनता आंदोलन की त्याग में अयोग्य व्यक्ति से गायब होने लगी तो लोकतंत्र के बिखराव में तमाम तरह के कीड़े लगने लगे अपराध और अपराधियों के राजनीति में बढ़ती भागीदारी में लोकतंत्र के अधिकारियों में इतना बड़ा दिखाया कि अब चाह कर भी कोई अलग नहीं रह पाता ऐसे परिवेश में जब जब चुनाव आते हैं तब तक अपराधी बाहुबली धनबल का नैतिकता गठजोड़ और उसके सारे सप्ताह को साधने की कोशिश हो जाती है इस कोशिश के विरोध भी होता है लोकतंत्र को स्वस्थ माहौल में आगे बढ़ाने देने की परिवारी कारी ताकत ऐसी कोशिश में शामिल भी होती है लेकिन यह कोशिश केवल चर्चा का केंद्र बन कर रह जाती है और चुनाव बताइए फिर अगले चुनाव तक लिए भूल जाती है ©Ek villain # चुनाव सुधार का अनसुलझा सवाल #apart
Marutishankar Udasi
आईना देखा कई बार न चेहरे पे निखार आया मन के झाका जो एक बार उसे सुधार ने का विचार आया ©Marutishankar Udasi सुधार ने का विचार आया #writing
Ek villain
नीति आयोग के चौथे स्वास्थ्य सूचकांक के मुताबिक समग्र स्वास्थ्य सेवा के प्रदर्शन के मामले में बड़े राज्यों में केवल एक बार फिर टॉप पर और दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है वहां उत्तर प्रदेश में स्थित बिहार और मध्य प्रदेश से भी खबर है नीति आयोग ने 2015 में पहली हेल्थ एजुकेशन रिपोर्ट जारी की थी किरण में स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे बड़ी खासियत यह है कि गरीब लोगों को भी पहुंच में लिया जाता है फिर उसका स्तरीय अंतरराष्ट्रीय स्थिति में पहुंचाने के लिए केरल के सामाजिक और आर्थिक स्थिति जिम्मेदार रही है जिसकी वजह से इस मॉडल की मूर्ति रूप देखा जा सकता है महिलाओं की उच्च दर 87% भी बनाने में सहायक रही है स्वास्थ्य की मृत्यु दर शिशु मृत्यु दर और दृष्टि से बेहतर है उत्तर प्रदेश के रहने का कारण 12 सर्वाधिक जनसंख्या और दूसरा स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च हो गोवा जहां की आबादी उत्तर प्रदेश की आबादी का 1% भी कम है वहां नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति 5 गुना ज्यादा खर्च किया जाता है कम घर से राज्य के स्वास्थ्य संस्थाओं में डॉक्टर नर्स और सहयोगी स्टाफ की कमी जैसे समस्या पैदा होती है स्वास्थ्य सूचकांक की रिपोर्ट देखकर राज्यों के स्वास्थ्य क्षेत्र की पोल खोलना यही केवल नीति आयोग का मकसद नहीं है बल्कि पसंदी राज्यों को एक निश्चित अनुदान प्रदान करके उनकी सहायता भी करना है ऐसे सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी भारत के सर्वाधिक चिकित्सा व्यवस्था दुनिया में सबसे पहले मानी जाती है उचित चिकित्सा के अभाव में देश में प्रत्येक वर्ष लाखों मौतें होती हैं ©Ek villain # स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार का समय #Glow
Ek villain
भारतीय विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर नए सिरे से बल देते हुए जिस तरह यह कार्रवाई की क्षमता में सुधार की प्रक्रिया रोकने के लिए हथकंडे कामयाब होने वाले नहीं है उससे एक तरह से वह देश कटघरे में ही खड़ा हुए जो विचार विमर्श और वार्ड के बहाने इसमें आनंद लगाने में लगे हुए हैं संयुक्त राष्ट्रीय और विशेष रूप से उसकी सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है कि लंबे समय से जताई जा रही है लेकिन बात बनी नहीं पा रही इसका कारण यह है कि कुछ देश सुरक्षा परिषद में सुधार की जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं जो कि सुरक्षा परिषद में सुधारों में देरी हो रही है इसलिए ना केवल उसकी प्रासंगिकता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं बल्कि विश्व जनमत की दृष्टि में यह संस्था अपना महत्व भी होती जा रही है मैं किसी भी वैश्विक समस्या के समाधान में सहायक बनाना तो दूर रहा कोई उम्मीद भी नहीं जा पा रही है यदि सुरक्षा परिषद को अपनी महत्ता बनाए रखनी है तो उसमें सुधार के लिए सभी देशों और विशेष रूप से उसके स्थाई सदस्यों को प्रतिबद्धता का परिचय देना होगा और इस क्रम में उन देशों पर दबाव बढ़ाना होगा जो सुधारों को डालने में लगे हुए हैं ©Ek villain #सुरक्षा परिषद में सुधार का समय #Ride
Ek villain
क्या लगभग डेढ़ सदी पर चिंतित माल में समाज सुधार संभव है यह सवाल बार बार उत्तर आए और कर्नाटक के हिजाब विवाद के चलते फिर से उठाएं मुस्लिम समाज का एक वर्ग महसूस कराता है कि ऐसा मुमकिन नहीं है ऐसा मानने वाले कुछ लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं और खुद को एक्स मुसलमान घोषित कर रहे हैं ऐसे मुस्लिम भारत में भी है पिछले महीने की इस्लाम छोड़ने वाले कुछ मुसलमानों ने केरल के पूर्व मुसलमान नामक एक संगठन बनाया है देश में सार्वजनिक तौर पर ऐसा पहली बार हुआ इस संगठन का उधर से अपने मैच त्यागने वाले मुस्लिमों को आर्थिक और 5217 देना है परिवर्तन एक सार्वभौमिक सतत प्रक्रिया है जिसमें किसी भी समाज में काल बनाए हो चुकी परंपराओं प्रार्थना को छोड़कर आगे बढ़ने का मानस होता है किसी भी समाज में सुधार की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि संबंधित दर्शन महज आत्म सुधार तंत्र के प्रति कितना सहनशील है इस्लाम का जन्म हजरत मोहम्मद साहब को 1610 में देवी ज्ञान प्राप्त होने के बाद हुआ 632 में उनके न रहने के बाद उनके अनुसार ओं द्वारा इस ज्ञान को पवित्र क़ुरआन के रूप में कलम बंद किया गया जो कि यह कार्य अरब में हुआ इसमें मुस्लिम समाज के कई परंपरा वहां से भौगोलिक और तकनीक संस्कृति से प्रभावित है इस समय बीत जाने के बाद कुछ ऐसी क्रम पर है आधुनिक जीवनशैली और से मेल नहीं खाती ©Ek villain #इस्लामी जगत में सुधार का सवाल #hugday