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Sonali barahpuriya (Kaira)
Ja rahi thi rugth kr zindagi s dur kahi Dimag n tho sth diya.... pr is कम्बख्त Dil ne nahi #kavitri
Kavitri mantasha sultanpuri
थका हुँ उम्र भर चल कर जिन्दगी के राह पर अब ठहर कर सफर के फसाने बयाँ करने दो इस दुनिया में हि इसके किस्से बयाँ करने दो मौत तो एक लम्बा सफर है थोड़ा साँस लेने दो ©Kavitri mantasha sultanpuri #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
कितने जुगनू उड़े मन से संसार की माया में चमके भीतर को भरमाए सपनो पर धूल उड़ाए मन तनिक बहलाए किन्तु भविष्य धुमिल कर गए ©Kavitri mantasha sultanpuri #Mankimaya #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
सपने जो रोज़ उदय होते नयन में एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें जो कुछ लिखते कोरे कागजो में एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में परिणाम सफल या असफल होगें ये छोड़ तू समय के बहाव में देखना एक रोज पथ उस ओर होगें जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में ©Kavitri mantasha sultanpuri #जिस_ओर_हम_होगें #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
सफलता प्रण लेने मात्र से नहीं प्राप्त होती इसके लिए निरंतर प्रयतनशील रहना पड़ता है ©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
हहाराते सागर की गहराई कौन नापे नाविक के मन का साहस कौन भापे यात्री के मन की विकलता कौन जाने किन्तु सबके उपरांत अटल विश्वास जो सारे विघ्न पार कराते बिन घबराए ©Kavitri mantasha sultanpuri #विश्वास #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
वो आया था रहने और चला गया है वो एक जमाना था ये भी जमाना है कुछ साथ चला कुछ अधुरा छोड़ा है जो कुछ भी कहा सदियों ने समेटा है हाँ सब रह गया मगर वो चला गया है ©Kavitri mantasha sultanpuri #munnavar_rana_sahab #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
नयन तुम्हारी आशा में उलझाए तुम पुकारो तो सही प्रिये कितनी भी कठिन डगर हो प्रिय हम उस पार लाँग जाएगें प्रिय आशा ओढ़े मन नयन अश्रु में भिगोए तुम्हारी एक झलक को तड़पते प्रिय भरे सावन में मन पतझर सा प्रिय क्यूँ ना तुम लौट आओ मेरे सावन प्रिय, ©Kavitri mantasha sultanpuri #मेरे_सावन_प्रिय #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
फिर वही किनारे जो दिन से हारे साँझ जा गले लगे मध्यम में उतरे चाँद से निखरे किन्तु मन को अखरे नयन स्मृति भरे बीते दिन में उलझे कितने ठहरे नज़ारे किन्तु नयन अश्रु भरे धुंदलके पर हारे, . ©Kavitri mantasha sultanpuri #फिर_वही_किनारे #KavitriMantashaSultanpuri
Kavitri mantasha sultanpuri
रूप मानव भिन्न रूप ना धरो अपना अंतरमन गढो रूप धारण कर आप उलझोगे आप हि गढे माया में फसोगे स्वम हि अंतरआत्मा पर आघात क्यूँ मानव पारिश्रमिक बनो अपना स्वरूप स्वम ढालो, तुम तिनके भी जोड़ोगे स्वम की पाई-पाई सिरजोगे औरों के बल पर क्यूँ कच्ची ईंट धरो मानव अपना सहज संसार बनाओ मन की संतुष्टि को आत्मा क्यूँ मारो छल कुटुंब किनारे धर मानव अपना सरल रूप गढ़ो, ©Kavitri mantasha sultanpuri #रूप #KavitriMantashaSultanpuri