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Gondwana Sherni 750
White तुम्हारे छोड़ जाने से अभी भी मैं तुम्हारा इतजार करती हु तुम कॉल नही करते फिर भी मैं कॉल आने का इंतजार करती हु अभी भी मुझे क्यों तुम ही चाहिए क्यो मैं तुमसे इतना प्यार करती हूं क्यू मुझे तुम्हारे नाम से खुशी होती हैं क्यों तुम्हारा फोटो देख के मैं मुस्कुरा देती हु क्यों तुम मुझे इतने जायदा अच्छे लगते हो की मुझे छोड़ के जाने के बाद भी मैं तुम्हारा रास्ता देखती हूं मुझे क्यू लगता है की तुम एक दिन वापस आओगे मेरे पास ये जवाब बनकर की मैं तुम्हे क्यों छोड़ के गया था Preeti uikye 750 12/06/24 ©Gondwana Sherni 750 #love_shayari क्यों इतिजार है
#love_shayari क्यों इतिजार है #विचार
read more"Meri baatein"
sunset nature "क्यों तुम मुझसे रूठ जाती हो क्यों तुम मुझे इतना रुलाती हो" ©"Meri baatein" #क्यों
RAVI PRAKASH
White मुझे ही क्यों ख्याल आता है की किसी को बुरा लग जायेगा.. किसी को यह ख्याल क्यों नहीं आता मुझे भी बुरा लग ©RAVI PRAKASH #Emotional_Shayari मुझे ही क्यों ख्याल आता है
#Emotional_Shayari मुझे ही क्यों ख्याल आता है #शायरी
read moreNidhi Verma
White दिल का कोई कोना इतना उदास क्यों है? ना जाने कोई इतना खास क्यों है? ना होकर भी पास मेरे, वो रहता हर पल मेरे साथ क्यों है?? ©Nidhi Verma #sad_shayari #वो#इतना#खास#क्यों #है
#sad_shayari वो#इतना#खास#क्यों #है
read moreManish Raaj
क्यों ? ------ दिल कभी ख़ुद्दार तो कभी, क़र्ज़दार हो जाता है जो सोचा, कभी साकार तो कभी बेक़ार हो जाता है ज़रूरत से ज़्यादा, ख़्वाहिशों से प्यार हो जाता है आईने से ज़्यादा रिश्तों में दरार हो जाता है कोई मदद किसी के लिए एहसान हो जाता है ये ख़ुदा भी, ख़ुदग़र्ज़ पर ही मेहरबान हो जाता है चंद दौलत की ख़ातिर इंसान, बेईमान हो जाता है दिखावे, झूट के शोर से सादगी-सच, बेजुबान हो जाता है न चाह कर भी इंसान, इतना मजबूर हो जाता है अरमां पूरा होने पर, गुरूर हो जाता है पल भर की शौहरत से, उम्र भर के लिए उसका सुरूर हो जाता है ग़ैरों के क़रीब आकर अक़्सर शक़्स ख़ुद से, कभी अपनों से दूर हो जाता है मनीष राज ©Manish Raaj #क्यों ?
Shashi Bhushan Mishra
White चाँद तन्हा खास क्यों है अनगिनत तारों के बीच, और तुम ही खास क्यों हो फक़त इन यारों के बीच, बेवज़ह ही कोई दिल को इसतरह भाता नहीं, भा गई आँखों को ये गुलाब इन ख़ारों के बीच, शोर से मन परेशाँ होना स्वभाविक है मगर, प्यार के दो शब्द अब भी गूँजते नारों के बीच, सबने अपनी तरह से महफ़िल सजाई रातभर, उसकी फ़ितरत ही जुदा थी यार फनकारों के बीच, छाप ऐसी छोड़कर कुछ लोग दुनिया से गए, याद करते नाम उनका लोग ग़म-ख़्वारों के बीच, जीव और परमात्मा के मध्य का रिश्ता ग़जब, जैसे बछरा ढूँढ लेता माँ को हजारों के बीच, कौन करना चाहता 'गुंजन' नुमाईश प्यार की, बात दिल की कह गई आहिस्ते इशारों के बीच, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #चाँद तन्हा खास क्यों है#