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gauranshi chauhan
Day - 486 मेरे चेहरे को तो मेकअप की जरूरत हीं नही है, पता नही लोगो को किसको अच्छा बनकर दिखाना होता है। ©gauranshi chauhan Day - 486 मेरे चेहरे को तो मेकअप की जरूरत हीं नही है, पता नही लोगो को किसको अच्छा बनकर दिखाना होता है। #Antima #Love #Nojoto #Shiva #maa #A
kuldeepbabra
White कुछ सितम ढाई तुमने अ जाल में जिंदगी मुझ पर दर्द के आंसू देकर जवानी में हंस कर बुढ़ापे में ले जाकर अपनों ने रुलाया मुझको अ जालिम जिंदगी दुनिया की भीड़ में मैं बहुत अकेला महसूस करता हूं ©kuldeepbabra आज मैं जिया कल क्या हो जाए किसको मालूम#, मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स
आज मैं जिया कल क्या हो जाए किसको मालूम#, मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स
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White इश्क़ और ये वीरानियों को मैं यूँ ही छोड़ जाऊँगा, चाहता हूँ बहकते हुए मैं कुछ शायरी छोड़ जाऊँगा। कौन किसको याद करके अफ़सोस करता है, मैं यादों में कुछ ताज़ा ग़ज़ल छोड़ जाऊँगा। दर्द की बारिशों में भीगते हुए सफ़र तय किया, हर ख़ुशी का क़र्ज़ चुकाकर दिल अपना दे जाऊँगा। गुमनाम राहों पर कोई नाम मेरा पुकारेगा, मैं वक़्त की धुंध में अपनी पहचान छोड़ जाऊँगा। चाहतों का हर अल्फ़ाज़ मेरी किताब में मिलेगा, कुछ ख़्वाब अधूरे, अधूरी सी बात छोड़ जाऊँगा। जो न समझ सका आज, शायद कल समझ पाए, हर सन्नाटे में अपनी आवाज़ छोड़ जाऊँगा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status इश्क़ और ये वीरानियों को मैं यूँ ही छोड़ जाऊँगा, चाहता हूँ बहकते हुए मैं कुछ शायरी छोड़ जाऊँगा। कौन किसको याद करके अफ़सोस करता
#Sad_Status इश्क़ और ये वीरानियों को मैं यूँ ही छोड़ जाऊँगा, चाहता हूँ बहकते हुए मैं कुछ शायरी छोड़ जाऊँगा। कौन किसको याद करके अफ़सोस करता
read moreDeepbodhi
और कुछ देर मुझे पास बिठाये रखिये ज़िन्दगी जीने का माहौल बनाये रखिये बात होठों से जो निकलेगी तो सब सुन लेंगे आँखों-आँखों में ही बातों को सुनाये रखिये वक़्त का किसको भरोसा है कहाँ ले जाये आज की रात मेरा साथ निभाये रखिये कितने नफ़रत के अँधेरे हैं अभी धरती पर इक न इक शम्आ मुहब्बत की जलाये रखिये आइना ख़ाक बतायेगा तुम्हें राज की बात मेरी तस्वीर को आइना बनाये रखिये मैं भी इक फूल हूँ ख़ुशबू ही लुटाउँगा तुम्हें अपने गुलशन में मुझको भी सजाये रखिये ©Deepbodhi और कुछ देर मुझे पास बिठाये रखिये ज़िन्दगी जीने का माहौल बनाये रखिये बात होठों से जो निकलेगी तो सब सुन लेंगे आँखों-आँखों में ही बातों को
और कुछ देर मुझे पास बिठाये रखिये ज़िन्दगी जीने का माहौल बनाये रखिये बात होठों से जो निकलेगी तो सब सुन लेंगे आँखों-आँखों में ही बातों को
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मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक तो पहुँचा। कहाँ आती अब मुझे वो पहले की नींद, यादों में खोकर, मैं तुझ तक तो पहुँचा। सवरने के दिन थे और मैं इश्क़ में डूबा, साहिल की तलाश में, बीच नदी तो पहुँचा। मुकम्मल इश्क़ की गुज़ारिश थी मुझे, इश्क़ में, उसके घर तक तो पहुँचा। तलाश थी मुझे उसके दिल के रास्ते की, मय कसी में ख़ुद की नीलामी में तो पहुँचा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #सफ़र मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक त
#सफ़र मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक त
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White देख कर तुझको पहली बार, मेरे दिल पर शामत आई थी। मैं होश में कहाँ था उस वक़्त, जज़्बातों में लहर सी आई थी। सुध-बुध खोकर बैठा था मैं, आँखों में चमक सी आई थी। दुनिया की फिक्र किसको थी, मेरी जान जाँ पर बन आई थी। तेरे ही एहसासों में जीने का, ये कैसी जुनून मुझपे छाई थी। मैं, धड़कन और रूह ने मेरी, दुनिया से नाता तोड़ आई थी। मिलकर तुझसे ये एहसास हुआ, तूने जिंदगी मेरी लौटाई थी। डुबकर तुझमें ये एहसास हुआ, मेरे दिल को सुकून सी आई थी। तुम मुझसे दूर जाकर भी तुमने, जीने का तरीका सिखलाई थी। तुमसे बिछड़कर ये एहसास हुआ, तेरी यादों में राहत सी आई थी। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status देख कर तुझको पहली बार, मेरे दिल पर शामत आई थी। मैं होश में कहाँ था उस वक़्त, जज़्बातों में लहर सी आई थी। सुध-बुध खोकर बैठा था
#Sad_Status देख कर तुझको पहली बार, मेरे दिल पर शामत आई थी। मैं होश में कहाँ था उस वक़्त, जज़्बातों में लहर सी आई थी। सुध-बुध खोकर बैठा था
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कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु
कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु
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