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Anand Tripathi 'रवि'

कुछ गलतियों के कोई 
Justification valid नहीं होते
सिवाय Repentance के
कोई मलहम नहीं होते कुछ घावों के #अपराधबोध

Rakesh

#Travel खून का प्यासा प्रेत #हॉरर

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खून का प्यासा भयानक शैतान ||




राजा लोहार बहुत ही महंती था और उसने कभी भी किसी का बुरा नहीं चाहा था. लेकिन उसकी ज़िंदगी मैं कभी कोई ऐसा भी एक मोड़ आएगा ये कभी भी राजा ने नहीं सोचा था. राजा के गांव मैं एक बुढ़िया की अचानक से बीमारी के कारण मोत गई थी. किसी को भी इस बात का कोई भी इल्म नहीं था की वो बुढ़िया इतनी जल्दी ही मर जायेगी लेकिन होता वही है जो कोई कभी भी सोचता नहीं है.







जनवरी का महीना था और सर्द रात मैं ठंडी ठंडी हवा चल रही थी. राजा के पिता की आधी रात को अचानक से तबियत बहुत ही ज्यादा ख़राब हो चली थी. जिस कारण से उसे रात मैं उसी वक़्त डॉक्टर के पास जाना पड़ा था. डॉक्टर गांव से करीब चार किलोमीटर दूर रहता था और उसके पास जाने का कोई ख़ास साधन भी नहीं था , तो वो अपनी साइकिल से डॉक्टर को बुलाने के लिए चल दिए था. रस्ते की ठंडी हवा उसके शरीर को चीरते हुए जा रही थी. लेकिन वो इतनी ठण्ड की परवाह किये बिना ही अपने पिता के लिए डॉक्टर को लेने जा रहा था. जैसे ही वो एक पीपल के पेड़ से गुजरा तो उसे ऐसा परतीत हुआ मानो कोई अचानक से उसकी साइकिल पर बेठ गया हो.उसने तुरंत ही अपनी साइकिल रोकी तो देखा की कोई भी नहीं है. वो फिर चल दिया आगे की और , लेकिनअब साइकिल कुछ धीमी चल रही थी. उसे वजन लग रहा था लेकिन किसका पीछे तो कोई भी नहीं था. उसे कुछ भी समझ मैं नहीं आ रहा था. की अचानक से कुछ दूर चलते ही साइकिल का पिछला टायर फट गया और राजा की साइकिल वही पर रुक गयी आधे रस्ते पर. अब वो ये सोचने लग गया की क्या किया जाये. ये आगे जा नहीं सकती और पैदल मैं डॉक्टर को ला नहीं सकता. इसी बात मैं उसे एक घंटा हो चूका था उस नीम के पेड़ के पास खड़े हुए.







उसने अब साइकिल को ऐसे ही घसीटते हुए आगे की और बढ़ने की सोची और चल दिया. लेकिन अब भी वही वजन उसे लग रहा था साइकिल पर जो की टायर फटने से पहले भी था. उसने साइकिल को एक दम से सड़क पर गिरा दिया और तभी एक आवाज आयी. तुमने मुझे गिरा दिया अब मैं तुम्हे जिन्दा नहीं छोड़ूगा. राजा डर गया भला ये कौन बोल रहा है. वो भयानक प्रेत एक दम से राजा के सामने प्रकट हो गया और राजा डर के मारे सड़क पर ही गिर गया. राजा ने कहा तुम कौन हो . वो बोला मैं वही बाबा का प्रेत हु जो पिछले महीने ही मरा था. “.प्रेत बोला मैं तुम्हारे पिताजी को बहुत चाहता था और उसे भी अपने साथ ले जाने के लिए आया हु. और तुम उसे ठीक करने के लिए डॉक्टर के पास जा रहे हो. मैं ऐसा कभी भी होने नहीं दुगा. तुम कभी भी डॉक्टर के पास नहीं पहुंच पाओगे. मैंने उसकी बात को नजर अंदाज करते हुए डॉक्टर के पास जाने लगा. की तभी वो अचानक से गायब हो गया. जब मैं डॉक्टर को लेकर वापिस अपने गांव आया और उसके बाद डॉक्टर ने दवाई दी और पिताजी ठीक हो गए थे, मेने हार नहीं मानी थी और उस भूत पर कोई ध्यान नहीं दिया अचानक कुछ

दिन से लगातार जमकर बारिश हो रही थी और नदी में रेत भी भरपूर मात्रा में बहकर आई हुई थी। नदी के आसपास के इलाके में रहने वाले लोग यहीं से रेत निकालकर बेचते और अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। आज राजा और रोकी जब से बारिश खत्म हुई तब से रेत निकाल रहे थे। बारिश शाम 5:00 बजे के बाद बंद ही हो गई थी। नदी में रेत भी बहुत बह कर आ रखी थी वैसे तो बहुत लोग रेत निकाल रहे थे और निकाल कर जमा कर रहे थे। अपने अपने जगह पर लेकिन रात 9:00 बजे तक सब लोग अपने अपने घर चले गए थे




लेकिन रोकी और राजा दोनों दोस्त थे दोनों ने कहा आज रेत बहुत ज्यादा है इसलिए सही पैसे बन जाएंगे निकालते निकालते लगभग 10:00 या 11:00 बज रहे होंगे राजा ने रोकी को कहा - रोकी पानी से बाहर आ जाओ थोड़ा सिगरेट पीते हैं गर्माहट आ जाएगी तब फिर निकालना शुरू करेंगे - रोकी ने जवाब देते हुए कहा - हां सही है - इतना कहकर वह भी पानी से बाहर ही आ गया। अब राजा ने सिगरेट जलाई और रोकी और राजा दोनों सिगरेट पी रहे थे और इधर उधर की बातें कर रहे थे। तभी राजा ने कहा - रोकी इस बार तो मजा आ जाएगा हमने इतनी देर में लगभग 3गाड़ी रेत निकाल ली है और हम आज रात तक निकालेंगे लगभग 5 गाड़ी तो हो ही जाएगी - रोकी ने राजा से कहा - सही बात है इस बार बारिश भी बहुत अच्छी हुई हैं - फिर सिगरेट खत्म करके दोनों फिर अपनी अपनी जगह पर जाकर पानी में उतर गए रेत निकालने के लिए।तब लगभग एक घंटा बीत गया होगा। तभी रोकी को नदी में आगे किसी के बड़ी तेज से कूदने की आवाज आई है और ऐसा लगा जैसे कोई चिल्ला रहा हो बचाओ बचाओ रोकी तुरंत पानी से बाहर निकला और उसने राजा को भी बाहर बुलाया राजा के बाहर आते ही रोकी ने कहा - तुमने कुछ सुना - राजा रोकी दोनों यही बात कर रहे थे ऐसा लग रहा है कोई नदी में गिर गया है या फिर किसी ने फेंक दिया है। तभी राजा और रोकी भागते हुए उस तरफ गए जहां से आवाज आई थी। उस समय पानी भी बड़ी तेज बह रहा था इसलिए और कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था। बस पानी की आवाज ही आ रही थी लेकिन फिर भी दोनों ने लाइटर जलाकर देखने की बहुत कोशिश करी पर ऐसा कुछ नजर नहीं आया। फिर दोनों वापस अपनी जगह पर आ गए। पर दोनों अभी यही सोच रहे थे की आवाज तो दोनों को आई थी और साफ-साफ सुनाई भी दी थी।







रेत निकालने के लिए सब लोगों ने डैम बना रखे थे इस वजह से कोई पानी में बह भी नहीं सकता था। तो फिर किसकी आवाज थी वो और अगर कोई पानी में गिरा तो कहां है फिर। यही सब सोचकर दोनों फिर रेत निकालने लगे लेकिन 20 मिनट बाद दोनों फिर बाहर निकल आए रोकी ने कहा - राजा मुझे अब बहुत डर लग रहा है मुझे घबराहट हो रही है बहुत अरे तुमने कुछ सुना - अब की बार राजा ने कहा - इस बार तो कुछ नहीं सुना क्यों इस बार क्या हुआ - फिर रोकी ने कहा - जंगल से किसी के रोने की आवाज आ रही थी मुझे तो ऐसा लग रहा था कोई दर्द से तड़प तड़प कर चिल्ला रहा है और बहुत तेज तेज रो रहा है - पर राजा को ऐसा कुछ सुनाई नहीं दिया था।










रोकी ने घड़ी देखी टाइम लगभग 2:30 बज चुके थे। राजा ने रोकी को समझाते हुए कहा - ऐसा कुछ भी नहीं है तुमको कोई वैहम हुआ होगा - पर रोकी को पूरा विश्वास था उसे कोई वैहम नहीं हुआ था। रोकी ने अपने कानों से साफ-साफ सुना था इसलिए रोकी ने कहा - अब घर चलते हैं रेत जितनी निकल गई ठीक है बाकी कल सुबह निकालेंगे रोकी की बात आधे में काटते हुए राजा ने कहा - चलो ठीक है पहले अपना रेत निकालने वाले औजार लेकर चलते हैं - घर का रास्ता नदी पार करके जंगल से होकर जाता है अक्सर दिन में तो कोई दिक्कत होती नहीं है। सब लोग सामान्य रूप से आते जाते रहते हैं लेकिन रात को लोग यहां से आने से घबराते हैं। और इधर जाने से जितना हो सके उतना बचते हैं पर घर जाने का और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। दोनों अब जंगल के अंदर तक पहुंच गए थे।










तभी राजा कहता है - वह देखो क्या है - इस बार रोकी भी डर गया राजा जो अब तक कह रहा था ऐसा कुछ नहीं है यह सब तुम्हारा वैहम है। लेकिन अब राजा की भी हालत खराब होने लगी क्योंकि दोनों ने देखा जंगल के हर तरफ हड्डियों के कंकाल ही नजर आ रहे हैं। दोनों सोच रहे थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि दिन में जब हम आए थे तो ऐसा कुछ नहीं था। न पर अचानक ऐसा क्या हुआ। तब रोकी, राजा से कहता हैं - राजा जल्दी चलो वापस चलते हैं नदी में ही बैठ जाएंगे जंगल से होकर नहीं जाना। लेकिन राजा ने कहा - अब वापस जाना ठीक नहीं है हमें आगे ही जाना है ज्यादा बड़ा तो है नहीं जंगल चलो चलते हैं। - थोड़ा आगे ही गए थे तभी ऐसी आवाज आ रही थी जैसे कोई बहुत तेज गुर्रा रहा हो। और थोड़ी देर में ही वो गुराने की आवाज बहुत तेज हो चुकी थी।लेकिन आगे जो हुआ यह राजा और रोकी ने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखा था। राजा और रोकी आवाज सुनकर बहुत तेजी से भागने लगे। लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे जंगल खत्म नहीं हो रहा हो। भागते हुए ही अरविंद ने घड़ी में टाइम देखा तो 3:00 बज गए थे। लेकिन अभी भी वह जंगल में ही थे अब दोनों के होश उड़ रहे थे क्योंकि मात्र 20 मिनट का रास्ता होता है जंगल से बाहर निकलने का। लेकिन एक घंटा बीत चुका था और अभी रोकी और राजा जंगल में ही थे। उन दोनों को समझ नहीं आ रहा था जंगल में किस दिशा में जाना है ऊपर से अंधेरा बहुत था। और इस घने जंगल में भयानक भयानक किस्म की आवाज आ रही थी। तभी रोकी ने चारों तरफ टोर्च मारी और जब आगे की तरफ देखा तो दोनों बहुत घबरा गए। क्योंकि दोनों ने देखा एक बहुत लंबा और बड़ा भयानक आदमी सामने खड़ा था। और उसकी गर्दन आगे को झुकी हुई थी पर वह इतना पतला था जैसे उसने सालों से कुछ नहीं खाया हो।उस आदमी को देख कर राजा रोकी दोनों जहां थे वहीं रुक गए। राजा ने रोकी को कहा - शायद यह कोई बड़ा जानवर है - लेकिन रोकी समझ चुका था यह वही है जिसके बारे में मोहल्ले के लोग बात करते हैं। तभी अचानक से वह जानवर जैसी चीज दोनों की तरफ बढ़ी। उसको अपनी ओर बढ़ते देख दोनों तेजी से भागने लगे। रोकी और राजा जंगल के पीछे की तरफ भागने लगे रोकी को पता था। कि अगर यह वैसी कोई भी चीज है तो आग से जरूर डरेगी तभी रोकी ने राजा को कहा - राजा लाइटर निकालो - लेकिन राजा ने कहा - लाइटर तो नदी पर ही छूट गई - रोकी ने अपनी टॉर्च की लाइट उस भयानक सी दिखने वाली चीज पर मारी लेकिन उसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। और वह बहुत तेजी से दोनों की ओर भागा चला आ रहा था राजा और रोकी पूरी रफ्तार से पीछे की तरफ भाग रहे थे।










तभी दोनों नदी के पास पहुंच गए और दोनों नदी में कूद गए और नदी तैर कर दूसरी तरफ को जाने लगे। लेकिन नदी के दूसरी तरफ भी वही जानवर या फिर आप उसे कोई शैतान भी कह सकते हो वह जो कुछ भी था। वह दूसरी तरफ से उन दोनों की तरफ आ रहा था। दोनों ने अब सोच लिया मरना तो तय है वो दोनों हिम्मत हार चुके थे। तब लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था शायद रोकी और राजा पर उस दिन भगवान की कृपा रही होगी। तभी दोनों नदी के अब इस तरफ आने लगे जहाँ वह रेत निकाल रहे थे। और दोनों तुरंत नदी से बाहर निकल कर अपनी लाइटर उठा लेते हैं और पास में सुखी झाड़ी बहुत थी उनमें आग लगा देते हैं। झाड़ी बहुत सुखी थी इसलिए आग तुरंत लग जाती है और आग की लपटें बहुत तेज तेज उठने लगती हैं।

लेकिन रोकी और राजा अभी भी बहुत डरे हुए थे रोकी ने राजा से कहा- राजा यह शायद वही शैतान है जिसको लोग रूप बदलने वाला शैतान कहते हैं और बहुत लोग तो यह भी कहते हैं यह एक श्रापित आत्मा है लेकिन लोगों का ऐसा कहना भी था कि यह शैतान अगर किसी के खून की एक बूंद की भी महक ले ले तो वह उसे जिंदा नहीं छोड़ता। - राजा और रोकी यही सब इधर उधर की बातें आपस में कर रहे थे। तभी ऐसा लगा कि पीछे से कोई चलता हुआ उनके के पास आ रहा है। रोकी और राजा पहले से ही बहुत ज्यादा घबराए हुए थे दोनों एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो जाते हैं। और रोकी ने रोते हुए कहा - राजा भाई अब हमारा मरना तो बिल्कुल तय है - राजा जो खुद भी बहुत ज्यादा डरा हुआ था उसने कहा - ऐसा मत कहो अभी भगवान है वह हमको बचाएंगे - राजा ने रोकी के हाथ से टॉर्च ली और कहा - अब रुकना नहीं है। -उसके बाद दोनों पूरी जान लगा कर दौड़ने लगते हैं उसी जंगल के रास्ते से होते हुए अपने घर जाने को पूरा दम लगा कर भाग रहे थे। वह दोनों लेकिन उनमें से किसी की भी यह हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि कोई भी पीछे मुड़कर एक बार भी देखें बस वह भाग रहे थे। तभी राजा ने सामने देखा एक घर दिख रहा है राजा ने कहा - रोकी शायद हम जंगल से बाहर निकल गए- दोनों भागते हुए उस घर के पास खड़े हो गए। वहां पर एक सफेद धोती पहने हुए एक बुढ़िया बैठी हुई थी रोकी और राजा वही के रहने वाले थे लेकिन इन्होंने कभी यहां ऐसा घर देखा नहीं था। और उस बुढ़िया को भी नहीं पहचानते थे। लेकिन फिर भी वह दोनों उस बुढ़िया के पास जाकर बैठ गए। उन्होंने उस बुढ़िया से कहा - दादी आगे मोहल्ला कितनी दूर है - उस बुढ़िया ने कहा - तुम मोहल्ले में तो हो यहीं से तो मोहल्ला शुरू होता है सबसे पहला घर मेरा ही है - लेकिन दोनों कुछ समझ नहीं आ रहा था।










क्योंकि ना उन्होंने कभी इस बुढ़िया को देखा था और मोहल्ले में कभी ऐसा घरभी नहीं देखा था इसकी बातें भी थोड़ी अजीब सी लग रही थी इसलिए दोनों उठ कर वहां से जाने लगे। अब पहले से ही भागते हुए वह थक चुके थे। इसलिए थोड़ा आराम से जा रहे थे रोकी ने कहा - राजा आज हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं लगता है क्योंकि इस जंगल से हम रोज आते जाते हैं आज इस जंगल में हम अभी तक भटक रहे हैं सिर्फ 20 मिनट का रास्ता और हम बाहर नहीं निकल पाए अभी तक अब मुझे नहीं लगता कि हम बचकर जा पाएंगे यहां से - रोकी की ऐसी बेतुकी बातें सुनकर राजा ने कहा - अब तू चुप हो जा तेरी वजह से ही हम इतनी देर तक नदी में रुके तूने ही कहा था कि आज ज्यादा रेत निकाल लेते हैं लालच के चक्कर में आज हमारा यह हाल है - दोनों एक दूसरे से बात ही बात में थोड़ा झगड़ रहे थे लेकिन वहाँ रुके नहीं थे।




जंगल की आगे की तरफ लगातार चल रहे थे। तभी राजा की टॉर्च की रोशनी किसी चीज पर पड़ी थोड़ा ध्यान से देख तो वही बुढ़िया अब उन दोनों के ठीक सामने पर खड़ी हुई मिली।राजा और रोकी अब क्या करे दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी वो दोनों फिर पीछे की तरफ भागने लगे। दोनों थोड़ा ही पीछे भागे होंगे कि उन्होंने देखा वही पतला हड्डी जैसा जिसे जानवर या शैतान कह रहे थे। वह उनके पास खड़ा हुआ है। राजा रोकी चीखने और चिल्लाने लगे और कहने लगे - हमने क्या करा है हमें क्यों मार रहे हो। - लेकिन उस जानवर जैसे आदमी को उनकी कुछ भी बात समझ नहीं आ रही थी।


वह पता नहीं क्या कह रहा था तभी पीछे से उस बुढ़िया ने राजा को पकड़ लिया और घसीटते हुए ले जाने लगी पर राजा उस बुढ़िया से अपने आप को छुड़ा नहीं पा रहा था और थोड़ी ही देर में राजा की आवाज मानो पूरे जंगल में गूंज रही हो बचाओ बचाओ छोड़ दो मुझे और वह जो बुढ़िया थी अब वह बिल्कुल भयानक रूप में आ गई थी रोकी ने देखा जो राजा को ले जा रही है घसीटती हुई वह बुढ़िया अब पूरी बदल कर उस आदमी की तरह हो गईं थीं जो उसके सामने खड़ा हुआ हैं। पतला और एकदम हड्डी सा और देखते ही देखते उसने रोकी को पकड़ा और पीछे से जकड़ कर उसे भी घसीटते हुए थोड़ी दूर ले गया फिर उस शैतान ने रोकी को तड़पा-तड़पा कर मार दिया। उसने रोकी के शरीर से एक एक बूंद खून चूस लिया था।

और अगले दिन लोगों को रोकी और राजा की लाश बहुत बुरी हालत में उसी जंगल में मिली। कहते हैं कि उस जंगल में आज भी रोज रात को वह शैतान घूमता है जो एक साथ कई रूप बना लेता है। अगर उसे लोगों के खून की एक बूंद की महक से भी पकड़ कर उनको मार देता है। यह वहाँ कई वर्षों से चला आ रहा हैं उस जंगल के बारे में राजाऔर रोकी को भी इस मोहल्ले के बड़े लोगों से कई बार पता चला था।

©Rakesh #Travel खून का प्यासा प्रेत

Saurabh Pandey

@अपराधबोध poem kavita

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*अपराधबोध*

तेरे उपवन का मैं दोषी हूँ
लगता है मैं सेल्फिश हूँ...।

दोष मेरा था, जोश मेरा था,
फिर रोष तो तेरा जायज़ है
हठ मेरा, हाय.. क्या कर डाला?
खिलते सुमन को तोड़ डाला
सौरभ जो जहाँ को मिलनी थी
मिट्टी में उसे मैं रौंद डाला..
तेरे उपवन का दोषी हूँ
मैं सच में कितना सेल्फिश हूँ...।

किस मुह से कुछ मागूँगा
क्या क्या अब मैं त्यागूगां?
झूठ लगेगा सच भी मेरा
कैसे तुझे सवारूँगा?
भूल हुई तुम सह लेते
दर्द कभी न तुम कहते
जो भी बाधाएं पथ में थीं
हाला समझ तुम पी लेते
रुक जाता उतने पर भी मैं
इतनी बात नही बढ़ती
मूरत है ममता की तू
भूल को भूल तभी जाती।

तेरे उपवन का मैं दोषी हूँ
मैं सच में कितना सेल्फिश हूँ...।
        #Saurabh Pandey @अपराधबोध
#poem #kavita

rakesh

प्यार का भूत प्रेत #Break_up_day #Seawater #ज़िन्दगी

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Sea water सब day खत्म 😊
तो अब काम day चालू👷
साला सब पर प्यार ❤️
का भूत था💔
आ जाओ बेबी सोना वाले🥺
😂🤣

©rakesh प्यार का भूत प्रेत #Break_up_day 

#Seawater

Abhay Bhadouriya

 "अपराधबोध और आत्मग्लानि"
 लकड़बग्घो की वो जोड़ी है
जो "दृढ़ संकल्प "के 
कमजोर पड़ते ही
आपको खींचकर ले जाती है.. 
अवसाद की काली गुफा में
 #yqhindi #अपराधबोध 
#abhaybhadouriya

Shivani Goyal

सुखसागर अंतिम भाग धुंधकारी का प्रेत #Novembercreator #पौराणिककथा

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kumar raja

भ्रूण हत्या का प्रेत #hindistory #horrorstory #Bhoot

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Poonam Aggarwal'मीता'

#आसेब(भूत-प्रेत)

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 #आसेब(भूत-प्रेत)

Mannu Kumar

मनु प्रेत जीके #शायरी #nojotophoto

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 मनु प्रेत जीके

Puja Choudhary

गलत राह की ओर कदम बढ़ाकर
लौट आना...
उस गलती को होने से तो रोक सकता है
पर क्या उससे हमारा गुनाह कम हो जाता है...

गुनाह कम हो या न हो
अपराधबोध बेशक कम हो जाता है...

 #गुनाह #सही_गलत #अपराधबोध #innocence #complicated #lifelessons
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