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Sanjeev gupta

जंगल को गुलजार #Quote #nojotophoto

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 जंगल को गुलजार

Royal thinking

जंगल-जंगल ढूँढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को

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जंगल-जंगल ढूँढ रहा है 
मृग अपनी कस्तूरी को...

कितना मुश्किल है तय करना 
खुद से खुद की दूरी को... जंगल-जंगल ढूँढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को

Ajay Daanav

प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता। #कविता

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हृदय से उपजे विचार हो तुम
शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम
करती हुई झंकृत मन-वीणा
सातों सुरों की झनकार हो तुम
हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी
कविता का मेरी सार हो तुम
हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।

Akash Chaudhary

प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️ #Poetry

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प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात

गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते
जो कभी वृक्ष के वक्ष से
कलाएं करते थे,
कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर
गुजरी,
मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया
उनके पैरों के निशान,
क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको
परिभाषित करो,
क्या नहीं बताना चाहते
मुझे अपने प्रेम के विषय में,
तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं
समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं,
तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद
आयी होगी,
चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं
जब चाहना तब दास्तां सुनाना......,
तुम्हारा मौन समझता हूं मैं,
तुम बता रहे हो शायद मुझे 
प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता
वो होता है बस ,बस होता है।।

©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️

Shashank मणि Yadava "सनम"

#Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ #कविता

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Dharmendra Azad

एक शे'र-

सड़क जाती है जो जंगल से होकर 
उसी से फिर वो जंगल भी गुजरता 

@धर्मेन्द्र तिजोरीवाले "आज़ाद" #जंगल

prathamesh zore

मकानों के जंगल मे
एक पौधा अपना हो
तुटी हुई छत,
कर कर ता पंखा,
जली हुई बत्ती,
और निंदो मे एक सपना हो.... #जंगल

Kalam_Kasturi

#जंगल

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 #जंगल

Jain Saroj

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Randeep Yagyik

" जंगल"

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रणदीप का प्रणाम

     तुम   जंगल   काटो
     वहां शहर  वसा  दो
     तुम   कहते   हो   न
    जंगलों में असभ्यता है
    याद है..................?
    राम ने वहां मान पाया
    जंगल से  ही  सभ्यता
   का सबको पाठ पढ़ाया
     जंगल   नहीं   होगा
   तब वनवास नहीं होगा
   अतः तब फिरसे कोई
     राम   नहीं   होगा !
          
                 - रणदीप 'पुष्पवीर'

©Randeep Yagyik " जंगल"
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