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Death_Lover
Unsplash चंद दराज़ों से वो हरदम झाँकता है, अन्दर या बाहर वो हरदम यही भाँपता है मिट रहा है कतरा-कतरा अस्त्तित्व सभी का, फिर भी हर इंसा ज़िन्दगी यूँ ही क्यों काटता है॥ "हिमांश" ये ज़िन्दगी अब यूँ ही बसर नहीं होगी.... ©Death_Lover #traveling #ज़िन्दगी #मौत #अस्त्तित्व #शास्वत #जीवन #मृत्यु
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Unsplash किसी ने क्या खूब कहा है "हिमांश" कि ये दुनिया रहने के लिए नहीं है, सिर्फ़ आने-जाने के लिए बनी है "मेरे अभागों"॥ ©Death_Lover #snow #शाश्वत #दुनिया #जीवन #मृत्यु
Parasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
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White मृत्यु को देखने का मुझे अवसर कभी मिला नहीं. क्योकि आज तक उसे नज़दीक से मैंने देखा ही नहीं ©Parasram Arora मृत्यु
मृत्यु
read moreनवनीत ठाकुर
White तेरी अदाओं से जो लिखी थी मोहब्बत की दास्तां, आज उसी किताब का अधूरा पन्ना याद आया। तेरी पलकों की स्याही से जो लिखे थे जज़्बात, उन ख्वाबों का सिमटा हुआ फसाना याद आया। तेरे लम्स की तपिश में जो पिघला था वजूद, वो टूटते सितारों का सुहाना गुमां याद आया। तेरी जुल्फों में छुपा था जो शाम का सुकून, आज उसी ढलते सूरज का अंजुमन याद आया। तेरी बातों के फूल जो खिलते थे चमन में, उनकी खुशबू का बिखरा हर जाम याद आया। तेरा नाम जुबां पर आते ही रोशन हुए, हर उस हसीन पल का गुलिस्तां याद आया। हुस्न की महफ़िल में जब तेरे हुस्न का ज़िक्र हुआ, जैसे वीरानों में किसी का सलाम याद आया। तेरे दीदार की हसरत में जो गुज़रे थे लम्हे, उन लम्हों का हर अधूरा ख्वाब याद आया।"** ©नवनीत ठाकुर #हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
#हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
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